सितंबर में थोक भाव के हिसाब से महंगाई दर मामूली बढ़कर - 4.54 फीसदी रही। अगस्त में थोक महंगाई दर - 4.95 फीसदी थी। हालांकि लगातार 11 महीने से इस किस्म की महंगाई दर शून्य से नीचे है। मतलब यह कि थोक में चीजों के दाम बढ़ने के बजाए निरंतर घट रहे हैं।


200 रुपए प्रति किलोसरकार के लिए यह थोड़ी चिंता की बात हो सकती है क्योंकि इससे पहले खुदरा कीमतों के हिसाब से महंगाई दर बढ़ने के आंकड़े आए थे। इसके अलावा दालों के भाव 200 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गए हैं। बहरहाल, सितंबर में खाने-पीने की चीजों की थोक महंगाई दर बढ़कर 0.69 फीसदी हो गई। अगस्त में इन चीजों महंगाई दर (-)1.13 फीसदी रही थी। इसकी सबसे बड़ी वजह सब्जियों और दालों के भाव में तेजी रही। सितंबर में सब्जियों की महंगाई दर (-)9.45 फीसदी हो गई, जो अगस्त में (-)21.21 फीसदी थी। पिछले माह थोक में प्याज की महंगाई दर 113.7 फीसदी हो गई, जो अगस्त में 65.29 फीसदी थी।2 से 3 महीने शून्य
पिछले माह नॉन-फूड आर्टिकल्स की महंगाई दर बढ़कर 2.61 फीसदी हो गई, जो अगस्त में (-)0.69 फीसदी रही थी। कारखानों में तैयार चीजों की थोक महंगाई दर भी (-)1.73 फीसदी हो गई, जो अगस्त में (-)1.92 फीसदी थी। कधो तेल के भाव में गिरावट के कारण ईंधन और पावर की महंगाई दर में कमी आ रही है। सितंबर में ईंधन और पावर की थोक महंगाई दर (-)17.71 फीसदी रही, जो अगस्त में (-)16.50 फीसदी थी। जानकारों का मानना है कि थोक में महंगाई दर अगले 2 से 3 महीने शून्य से नीचे ही रहेगी। एक रिपोर्ट में यस बैंक की चीफ इकोनॉमिस्ट शुभदा राव के हवाले से कहा गया है कि थोक महंगाई दर उम्मीद के मुताबिक रही है। अगले 2-3 महीने तक थोक महंगाई दर निगेटिव जोन में बनी रहेगी।

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Posted By: Shweta Mishra