-भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितता का गढ़ बने ईसीसी पर बड़ी कार्रवाई

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PRAYAGRAJ: इविवि प्रशासन द्वारा यूइंग क्रिश्चियन कॉलेज की सालों पुरानी फाइलों को काफी गहराई से खंगाला जा रहा है. इससे कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. एक नवंबर 2018 को कुलपति प्रो. रतनलाल हांगलू ने ईसीसी के मामले में एक जांच कमेटी का गठन किया था. इसमें विवि के वित्त अधिकारी भी सदस्य हैं. बीते 25 फरवरी को विवि के वित्त अधिकारी डॉ. सुनीलकांत मिश्रा ने कुलपति को 15 पन्नों की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सौंपी है.

18 साल तक बने रहे प्राचार्य

इस रिपोर्ट में कई वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितताओं की ओर इशारा किया गया है. जांच कमेटी ने ईसीसी के पूर्व प्राचार्य डॉ. मरविन मैसी की पत्नी डॉ. मिसेज पीएस मैसी पर मकान भत्ता का 14 लाख 71 हजार से अधिक की राशि गलत तरीके से लेने का प्राथमिक तौर पर दोषी पाया है. जुलाई 2001 में जब डॉ. मैसी प्राचार्य बने तो वे अपनी पत्नी और बच्चों के साथ कॉलेज हाउस में रहने आ गए. डॉ. मैसी ने जुलाई 2018 तक मकान भत्ता नहीं लिया परंतु उनकी पत्नी मिसेज पीएस मैसी ने फरवरी 2009 से मकान भत्ता लेना शुरू कर दिया.

कॉलेज हाउस में ही रहते थे

इस संदर्भ में विवि को जानकारी तब हुई जब जांच कमेटी ने पाया कि जुलाई 2018 के बाद भी मैसी दंपति कॉलेज हाउस में ही रहते थे. अपना पक्ष रखते हुए मिसेज पीएस मैसी ने 31 अक्टूबर 18 को लिखे पत्र में वित्त अधिकारी कार्यालय को बताया था कि उन्होंने जुलाई 2001 से फरवरी 2009 तक मकान भत्ता नहीं लिया और वे 2009 की शुरुआत में ही जमुना कैम्पस में अपने नए बने मकान में चली गई. मार्च 2009 से उन्होंने मकान भत्ते का दावा किया था. जबकि उनके पति और कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य डॉ. मर्विन मैसी ईसीसी परिसर में बने कॉलेज हाउस में ही रहे.

रिटायरमेंट से पहले ही दे डाली नौकरी

विवि प्रशासन के अनुसार भारत सरकार का नियम है यदि पति-पत्नी दोनों या दोनों में से कोई एक किसी सरकारी संस्था में एक ही शहर में कार्यरत हैं और दोनों में से कोई एक भी सरकारी आवास में रह रहा है तो दोनों व्यक्तियों का मकान भत्ता काटा जाएगा. मैसी दंपति ने इस मामले में सरकारी नियमों की अवहेलना की. अब इविवि ने उनसे 14,71,296 रुपए की वसूली की पूरी तैयारी कर ली है. जांच में यह भी पाया कि कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य डॉ. मर्विन मैसी ने कॉलेज में दो पदों पर नियुक्ति में भी गंभीर अनियमितता बरती. एक मामला फिजिक्स विभाग और दूसरा प्राचीन इतिहास विभाग से जुडा हुआ है. इन दोनों विभागो में 30 जून 2017 को कार्यरत शिक्षकों के पद रिक्त हो रहे थे. लेकिन कॉलेज के प्राचार्य ने इनके रिटायर होने से करीब 40 दिन पहले 22 मई 2017 को दो नए अध्यापकों को नियुक्तिदे डाली. इसके एवज में दोनों को कुल 1,54,347 का भुगतान किया गया था. यह पद के मनमाने दुरुपयोग का गंभीर मामला है. इस मामले में एक ही समय में, एक ही पद पर कार्यरत दो लोगों को भुगतान किया गया जो कि यूजीसी और एचआरडी के नियमों के विरुद्ध है. जांच कमेटी ने यह भी कहा है कि इस राशि की वसूली इसके लिए जिम्मेदार व्यक्ति से की जाए.

Posted By: Vijay Pandey