एजुकेशन में क्वॉलिटी होनी चाहिए। केवल डिग्री देने से देश का विकास नहीं होगा और न ही युवाओं को रोजगार मिलेगा। पूरे देश में गिनती के ऐसे कॉलेज हैं जो रोजगारपरक शिक्षा दे रहे हैं। बाकी तो बस डिग्री बांट रहे हैं। यह बात दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के मिलेनियल्स स्पीक में युवाओं ने कही। इलाहाबाद विवि के मैथ्स डिपार्टमेंट के स्टूडेंट्स से लोकसभा चुनाव के मुद्दों पर चर्चा हुई। क्वॉलिटी एजुकेशन पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि कौशल विकास मिशन जैसी योजना ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। इससे स्किल्ड युवाओं की रोजगार की समस्या हल नहीं हो रही है।

तो हमारे उत्पादों की भी होगी मांग

युवाओं ने कहा कि दुनिया में कई देश ऐसे हैं जो अपने यहां स्किल्ड एजुकेशन को बढ़ावा दे रहे हैं। इसकी वजह से इन देशों में बनने वाले उत्पादों का दूसरे देशों में मुंह-मांगा दाम मिल रहा है। इनकी डिमांड भी खूब है। लेकिन हमारे देश में कौशल विकास मिशन और मेक इन इंडिया जैसी योजनाओं को हाशिए पर रख दिया गया है। इनका संचालन ठीक से होने पर हजारों युवाओं को नौकरी मिल सकती है। हकीकत में इन योजनाओं की आड़ में डिग्री बांटकर केवल धनउगाही की जा रही है। सरकार को इस मामले में जांच कराकर सही संचालन पर जोर देना चाहिए।

खुद क्यों न बनाएं राफेल जैसा विमान

मिलेनियल्स की बात अपनी जगह बिल्कुल ठीक थी। उनका कहना था कि हम समृद्धशाली बनने की ओर बढ़ रहे हैं। हमारे विज्ञान और संस्कृति का दुनिया लोहा मानती है लेकिन फिर भी कमी कहां हो गई। ऐसा क्यों है कि हमें राफेल फ्रांस से और मिग को रूस से खरीदना पड़ता है। इनके जैसा विमान हम अपने देश में क्यों नहीं बना लेते? इसके पीछे कमी केवल हमारे युवाओं में स्किल की कमी की है। अगर कोई अधिक ब्रिलियंट है तो उसे विदेश में अच्छे सैलरी पर बुला लिया जाता है। टैलेंट का पलायन हो जाता है। अगर सरकार स्किल्ड एजुकेशन दे दे तो देश में टैलेंट की कमी नहीं होगी। साथ ही टेक्नोलॉजी को डेवलप करे तो हमें दूसरे देश से चीजें का आयात नहीं करनी होंगी।

प्राइमरी शिक्षा पर देना होगा जोर

क्वॉलिटी एजुकेशन की शुरुआत प्राइमरी शिक्षा से होती है। युवाओं का कहना था कि सबसे पहले प्राइमरी विद्यालयों को ठीक करना होगा। वहां पर तैनात टीचर्स को आधुनिक शिक्षा प्रणाली से जोड़ना होगा। जिस तरह से कॉन्वेंट स्कूलों में सिस्टम होता है ठीक वैसे ही सरकारी स्कूलों का डेवलपमेंट होना चाहिए। अगर ऐसा हुआ तो प्रत्येक बच्चे की शिक्षा की नींव बेहतर होगी। शिक्षकों के जो पद खाली पड़े हैं उनको सरकार को बिना देरी किए भरना होगा। भर्तियों में देरी से ही प्राइमरी शिक्षा धूल खा रही है। खासकर प्राइमरी शिक्षा में कम्प्यूुटर एजुकेशन मस्ट करना होगा। इससे बच्चा बड़ा होकर डिजिटल इंडिया प्रोजेक्ट से सीधे जुड़ सकेगा। उसे अलग से कम्प्यूटर शिक्षा को फॉलो नहीं करना पड़े। अभी तो ऐसे बहुत से प्राइमरी स्कूल हैं, जहां बच्चे कंप्यूटर का क भी नहीं जानते हैं। उल्टे मोबाइल के चक्कर में पड़कर गलत रास्ते पर चले जाते हैं।

कड़क मुद्दा

युवाओं का कहना था कि आज पूरा देश युद्ध के मुहाने पर खड़ा है। यह स्थिति केवल ढुलमुल विदेश नीति के चलते हुई है। वोट की राजनीति के चक्कर में अब तक बनी किसी भी सरकार ने कश्मीर मुद्दे का हल नहीं खोजा। वर्तमान केंद्र सरकार भी धारा-370 हटाने का वादा करके आई थी। लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इसका परिणाम सामने है। पुलवामा में जिस आतंकी ने जवानों को आरडीएक्स विस्फोट में मारा। वह कश्मीर का निवासी ही था। हमारे देश का था। ऐसे में कई आतंकी वहां पैदा हो रहे हैं। अगर धारा-370 हटा दी गई होती तो कश्मीर में भी घर-घर आतंकी पैदा होने से बच सकते थे। हालांकि युवाओं का कहना था कि इस सरकार में देश का नागरिक सुरक्षित है। लेकिन कश्मीर की समस्या का पुख्ता समाधान ढूंढने का समय आ गया है। भारत को पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों के साथ उदारता का व्यवहार छोड़कर ईट का जवाब पत्थर से देना होगा।

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सतमोला खाओ, कुछ भी पचाओ

डिस्कशन में युवाओं ने एक बेहतर मुद्दे पर भी बात की। उनका कहना था कि गांव में केवल खेती को ही नहीं बढ़ावा देना चाहिए। सरकार को वहां हार्टिकल्चर, मत्स्य पालन सहित डेरी उत्पाद आदि व्यवसाय को बढ़ावा देना होगा। इससे वहां रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। आज हमारे किसान सुसाइड कर रहे हैं। क्योंकि उनके पास रोजगार के ऑप्शन नहीं हैं। किसानों को सेफ रखने के लिए उनको उद्योग की एबीसीडी भी बतानी होगी।

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उद्योग और आईटी सेक्टर में पिछड़ा देश

एक बात और सामने आई कि पिछले पांच सालों में सरकार इंडस्ट्रीज को बहुत अधिक आगे नहीं ले जा सकी। कई ऐसे शहर हैं जहां नई इंडस्ट्रीज की जरूरत है। अगर सरकार फैक्ट्रीज को खोलती या पुरानी इंडस्ट्रीज को जिंदा करती तो हजारों-लाखों युवाओं को रोजगार मिल सकता था। इसी तरह आईटी सेक्टर को बढ़ावा देना चाहिए। शहरों में आईटी सेंटर्स का विकास होने के साथ आई टी इंस्टीट्यूट्स खोले जाने की मांग भी युवाओं ने की है।

वर्जन

पाकिस्तान के साथ बहुत अधिक उदारता दिखाई जा चुकी है। अब इंडिया को अपने कड़े रुख से पीछे नहीं हटना चाहिए। उनकी प्रत्येक हरकत का जबर्दस्त जवाब देना होगा। ऐसा नहीं किया तो फिर से आतंकी घटनाएं बढ़ जाएंगी। इसलिए सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक जैसे कदमों को अब इंडियन गवर्नमेंट और सेना को पीछे नही खींचना होगा।

सुरभि कुमारी

आरक्षण जैसे मुद्दे को राजनीतिक रंग दे दिया गया है। यह गलत है। एक बार फिर से आरक्षण पर सरकार को मंथन करना चाहिए और नए सिरे से आर्थिक आधार पर कोटा देना चाहिए। ऐसा सिस्टम होना चाहिए कि सभी वर्गो को आरक्षण का लाभ दिया जा सके। इससे युवाओं में नई ऊर्जा का विकास होगा और देश भी आगे बढ़ेगा।

दुर्गविजय सिंह

किसी भी देश की तरक्की की नींव प्राइमरी एजुकेशन होती है। इस सिस्टम को जितना रिच किया जाएगा, नींव उतनी ही मजबूत होगी। इसलिए इन स्कूलों में स्किल्ड टीचर्स रखे जाने के साथ कम्प्यूटर एजुकेशन को बढ़ावा देना होगा। साथ ही इन स्कूलों में पढ़ाई के आधुनिक इंतजाम भी करने होंगे।

नैंसी गुप्ता

यह बात सही है। शुरुआती कक्षाओं यानी 5 से 10 क्लास तक तक कम्प्यूटर शिक्षा पर अधिक जोर देना जरूरी है। ऐसा करने से बच्चे डिजिटल इंडिया के मर्म को समझ सकेंगे और आगे चलकर देश का नाम रोशन करेंगे। डिजिटली मजबूत शिक्षा के जरिए सरकार की कई योजनाओं को आसानी से बढ़ावा दिया जा सकता है।

अभिनव अवस्थी

आइटी सेक्टर में डेवलपमेंट समय की मांग है। जिस तेजी से विश्व के दूसरे देश इस फील्ड में आगे बढ़ रहे हैं उसको देखकर हम काफी पीछे हैं। आइटी टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने वाले नए कोर्सेज और इंस्टीट्यूट खोले जाने चाहिए। स्किल को डेवलप करने के लिए नए सेंटर्स का विकास किया जाना चाहिए।

कल्पना मिश्रा

इस देश के लिए आरक्षण कभी भी अच्छा नहीं रहा। इसके चक्कर में खाई पैदा होती जा रही है। अब समय आ गया है कि आरक्षण को खत्म करने के साथ रोजगार को बढ़ावा देना चाहिए। सरकार को पिफर से आरक्षण पर मंथन करना चाहिए। मुझे लगता है कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में आरक्षण जरूरी नहीं है।

नेहा पटेल

मैं नेहा की बात से सहमत हूं। आरक्षण पर दोबारा रिव्यू करने का समय आ गया है। आजादी के बाद से अब कई चीजें बदल गई हैं। इसका नजर अंदाज नही किया जा सकता। अब आरक्षण को वोट बैंक की राजनीति से नही बल्कि युवाओं की जरूरत के हिसाब से देखना चाहिए।

देबायन गोस्वामी

क्वॉलिटी एजुकेशन बहुत जरूरी है। यह समय की मांग है। देश में गिने-चुने ऐसे इंस्टीट्यूट हैं जिनकी हर जगह डिमांड होती है। लेकिन यह गिनती के लोग ही पढ़ सकते हैं। जॉब हासिल हो इसके लिए बेहतर इंस्टीट्यू्ट्स की संख्या में वृद्धि होनी चाहिए।

अभिषेक त्रिपाठी

देश के विकास के लिए शिक्षा, संस्कृति और संस्कार का होना बेहद जरूरी है। युवाओं को इन तीनों बिंदुओं के बारे में विचार करना चाहिए। जब पूरा देश इसके बारे में सोचेगा तो अपने तरक्की हासिल होने लगेगी। हमारे देश में इन तीनों को वाकई तवज्जो दी जाती है।

जन्मेजय तिवारी

आरक्षण जैसे मामले पर संवेदनशीलता बरतनी जरूरी है। ऐसा न हो कि वोट बैंक की राजनीति के चक्कर में युवाओं को आपस लड़वाया जा ता रहे। जहां जरूरत है वहां पर आरक्षण दिया जाना चाहिए।

दुर्गेश पांडेय

अगर संख्या बढ़ाने से एजुकेशन का स्तर सुधर सकता तो देश में कई हजार कॉलेज मौजूद हैं। इसलिए इनकी संख्या बढ़ाने से बेहतर होगा कि शिक्षा की क्वालिटी को बढ़ावा दिया जाए। सरकार को ऐसे क्वालिटी वाले कॉलेजों को खोलने की दिशा में कदम बढ़ाना होगा।

पिंकी कुमारी

Posted By: Inextlive