DEHRADUN : एग्जाम फोबिया और रटने के फेर में बच्चे अक्सर सीखने में पिछड़ जाते हैं. इसी को देखते हुए एजुकेशन डिपार्टमेंट ने प्राइमरी और जूनियर क्लासेज को एग्जाम फ्री करने का फैसला किया है. इस मामले में विभाग अक्टूबर सेकेंड वीक तक ऑफिशियली ऑर्डर्स जारी कर देगा. नए नियमों के तहत लर्निंग लेवल एसेस्मेंट एलएलए के आधार पर क्लासेज प्रमोट की जाएंगी.


Day to day evaluationअक्टूबर मंथ स्टार्ट होने के साथ ही हर किसी को एग्जाम का टेंशन सताने लगता हैं, लेकिन प्राइमरी और उच्च प्राथमिक में इस बार एग्जाम नहीं होंगे। राइट टू एजुकेशन कानून लागू होने के बाद डिपार्टमेंट ने क्लास एक से लेकर आठ तक में एग्जाम वर्ड को पूरी तरह से समाप्त कर दिया है। स्कूल्स में न तो अब हॉफ ईयरली एग्जाम आयोजित किए जाएंगे और न ही एनुअल एग्जाम। इसकी जगह कंटीन्यूअस कंप्रेंसिव इवेल्युवेशन यानि सतत एवं व्यापक मूल्यांकन प्रणाली को लागू किया गया है। जिसमें टीचर्स स्टूडेंट का डे टू डे इवेल्युवेशन करेंगे।  एग्जाम फोबिया दूर करने की कोशिश


जिला शिक्षा अधिकारी बेसिक पदमेंद्र सकलानी ने बताया कि अब कंटीन्यूअस कंप्रेंसिव इवेल्युवेशन प्रणाली को लागू कर दिया गया है। बच्चों का लगातार मूल्यांकन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सतत एवं व्यापक मूल्यांकन को अपनाने से उनके अंदर से एग्जाम फोबिया को दूर करने की कोशिश की जा रही है। साथ ही यह भी तय कर दिया गया कि अब दक्षता आधारित मूल्यांकन Learning level assessment को लागू कर दिया गया है। इसके अन्तर्गत टीचर प्रत्येक बच्चे का नियमित मूल्यांकन करेगा और तय करेगा कि वह कितना पारंगत हुआ है। एससीईआरटी के निदेशक आरके कुंवर ने बताया कि अक्टूबर मंथ तक सभी स्कूल्स के टीचर्स को बच्चों का मूल्यांकन करना है इसके बाद विभाग इन स्कूल्स की रिपोर्ट के आधार पर यह तय करेगा कि किस स्कूल के बच्चों को उपचारात्मक शिक्षण की आवश्यकता है। जल्द ही सभी स्कूल्स को इस आशय के निर्देश जारी कर दिए जाएंगे कि दशहरा अवकाश के बाद सभी बच्चों का दक्षता आधारित मूल्यांकन कर लिया जाए। उन्होंने बताया कि इस संबंध में सीआरसी समन्वयकों को प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है।इस तरह से होगा दक्षता आधारित मूल्यांकनएजुकेशन डिपार्टमेंट की ओर से सभी सीआरसी समन्वयकों को इस बात की ट्रेनिंग दी जा चुकी हैं। न्यूनतम दक्षता आधारित मूल्यांकन के लिए डिपार्टमेंट ने तय कर दिया कि क्लास एक के बच्चे को अक्षर ज्ञान, सौ तक गिनती, 10 तक पहाड़े आदि आने चाहिए। अलग-अलग क्लासेज में मानक तय कर दिए गए हैं कि किसी क्लास में बच्चों का शैक्षिक स्तर कितना होना चाहिए।टीचर्स की बढ़ेगी जवाबदेही

एग्जाम खत्म होने से भले ही स्टूडेंट्स और बच्चे खुश हो, लेकिन ऑफिसर्स की माने तो अब टीचर्स की जवाबदेही भी तय होगी। कोई पेरेंट अपने बच्चे का एलएलए कम होने पर पूछ सकता है कि उसके बच्चे को इतना क्यों आता है। इसलिए टीचर्स को समय-समय पर अभिभावकों को बच्चों के शैक्षिक स्तर के बारे में जानकारी देनी होगी। बच्चों का शैक्षिक स्तर कमजोर होने पर विभाग भी कार्रवाई कर सकेगा।बच्चों के अंदर से एग्जाम फोबिया को खत्म करने और एक भयमुक्त वातावरण तैयार करने की दृष्टि से एग्जाम शब्द को खत्म किया गया है। अक्टूबर मंथ में ही बच्चों का लर्निंग लेवल एसेस्मेंट (एलएलए)कर लिया जाएगा.  इसमें डे टू डे इवेल्युवेशन के जरिए बच्चों का ओवर ऑल डेवलेपमेंट होगा। - आरके कुंवर, डायरेक्टर, एससीईआरटीकेवल एग्जाम शब्द को हटाया गया है। अब बच्चों का कंटीन्यूअस कंप्रेंसिव इवेल्युवेशन यानि सतत एवं व्यापक मूल्यांकन होगा। इसमें टीचर्स की जवाबदेही ज्यादा होगी। पैटर्न सक्सेसफुल होगा या नहीं यह तो वक्त ही बताएगा। इतना जरूर है कि बच्चों के अंदर से एग्जाम शब्द का जो डर था वो हट जाएगा।- सूरत सिंह, शिक्षक नेता

Posted By: Inextlive