Allahabad : दीपावली करीब है. तो जाहिर है कि त्यौहार का बजट आपने बना लिया होगा. ज्वैलरी होम अप्लायंसेज इलेक्ट्रानिक आइटम्स स्वीट्स गिफ्ट्स सहित पटाखों के लिए भी हजारों रुपए का इंतजाम किया होगा. बट एक मिनट ठहरिए. क्या फेस्टिवल के नाम पर हजारों रुपए के पटाखों में आग लगाना ठीक है. अपनी खुशी के लिए बेइंतहा पॉल्यूशन फैलाना कितना सही है. हमारा मकसद आपको रोकना नहीं बल्कि पटाखों से होने वाले नुकसान से रूबरू कराना है. प्रामिनेंट इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट आईआईआईटी के स्टूडेंट्स का भी कुछ ऐसा ही सोचना है. उनकी मानें तो पटाखों पर हजारों रुपए खर्च करना पैसों की बर्बादी और पॉल्यूशन फैलाने से ज्यादा कुछ नहीं है.


हवा को जहरीला बना देते हैं ये element टेक्नोक्रेट्स के मुताबिक पटाखों में यूज होने वाले सल्फर फास्फोरस और सोडियम जैसे एलीमेंट्स इन्वॉयरमेंट में जबरदस्त पॉल्यूशन फैलाने का काम करते हैं। इसकी वजह से हवा जहरीली हो जाती है और यह हमारी बॉडी को नुकसान पहुंचा सकती है। ये गैसें ओजोन परत को भी डैमेज करती हैं। इस एलीमेंट का इस्तेमाल लैब में हो तो साइंटिस्ट्स देश के हित में बेहतर काम कर सकेंगे। इसके अलावा पटाखों से होने वाला शोर किसी को भी बहरा बना सकता है। मार्केट में मौजूद हैवी साउंड वाले पटाखे खुलेआम नाम्र्स का उल्लंघन हैं और इन्हें आसानी से कोई भी कहीं से भी परचेज कर सकता है।

Market capture  करने में लगा है चीन
दीपावली को देखते हुए मार्केट में चाइनीज पटाखों की एक से बढ़कर एक वैरायटी मौजूद हैं। ये इंडियन पटाखों के मुकाबले सस्ते और ज्यादा सरप्राइजिंग भी हैें। चीन अच्छी तरह जानता है कि इंडिया का मिडिल क्लास दीपावली को सबसे ज्यादा सेलिब्रेट करता है और इसी का फायदा उठाकर वह धीरे-धीरे हमारी मार्केट को कैप्चर कर रहा है। इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स की मानें तो गवर्नमेंट को सही पॉलिसी बनाकर इन पर रोक लगानी चाहिए। अगर विदेशी महंगे और खतरनाक पटाखों की बिक्री बैन हो जाए तो चाइनीज आइटम्स का इम्पोर्ट बंद हो जाएगा। केवल इंडियन फायर वक्र्स कंपनी केा हल्के पटाखे बनाने की परमिशन दी जाए। इस तरह से हमारी करेंसी इंडिया में ही रहेगी। जब family ने ले लिया decisionआईआईआईटी की स्टूडेंट कर्णिका बेसिकली दिल्ली की रहने वाली हैं। वह और उनकी फैमिली ने सात साल पहले दीपावली पर पटाखे ना जलाने का डिसीजन लिया था और आज भी वह इस पर कायम हैं। वह कहती हैं कि फेस्टिवल के दिन हम अपने घर के गेट पर पटाखे अवॉयड करने का स्लोगन भी लिखते हैं। इसके जरिए हम लोगों को पटाखे से होने वाले नुकसान के बारे में अवेयर करते हैं।पटाखों में भारी मात्रा में डेंजरस एलीमेंट्स का यूज होता है। इनसे निकलने वाली गैस बॉडी के लिए बेहद खतरनाक होती है। अगर इन एलीमेंट्स को यू बर्बाद न करके इनका लैब में इस्तेमाल किया जाए तो बेहतर रिसर्च सामने आ सकती है।वत्सल मिश्रा, इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्युनिकेशन सेकंड ईयर स्टूडेंटरात 11 बजे के बाद पटाखे जलाने पर रोक लगनी चाहिए। इससे हमारे बड़े-बुजुर्गों को काफी इरीटेशन होती है। बहुत ज्यादा पटाखों के यूज से हमारे हमारी हेल्थ और वेल्थ दोनों का नुकसान होता है।दिव्यांशु ओझा, एमबीए सेकंड ईयर स्टूडेंट


प्रत्येक दीपावली पर हजारों लोग पटाखे जलाने के दौरान बुरी तरह से जल जाते हैं। अगर इन घटनाओं से सबक लिया जाए तो अपने आप पटाखों से दूरी बन जाएगी। पटाखों से हमारी ओजोन परत भी डैमेज होती है।शिवानी भट्ट, अप्लाइड फिजिक्स सेकंड ईयर स्टूडेंटफेस्टिवल गैदरिंग और एंज्वॉयमेंट के लिए होते हैं। हम चाहें तो फैमिली और फ्रेंड्स के साथ पार्टी कर सकते हैं। अपने साथ-साथ दूसरों को भी खुशियां बाटी जा सकती हैं। पटाखों के नाम पर हजारों रुपए फूंक देना समझदारी नहीं है।कर्णिका, बायोमेडिकल सेकंड ईयर स्टूडेंटपटाखे जलाने से बेहतर है कि इन पैसों को जेनुइन कॉज के लिए डोनेट कर दिया जाए। मुझे तो पटाखों से बहुत डर लगता है और मेरी राय है कि लोग इनसे दूरी बनाकर अपने और अपनी सोसायटी को होने वाले नुकसान को रोक सकते हैं।अंश्रुता, एमबीए फस्र्ट ईयर स्टूडेंट

Posted By: Inextlive