-बदमाशों से मिलीभगत, करा रही खूब फजीहत

-मुखबिर बनाकर पुलिस कर्मचारी देते सहूलियत

द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र:

जिले में बदमाशों के खिलाफ कार्रवाई में थानेदारों की कृपा बरस रही है। सक्रिय बदमाशों पर शिकंजा कसने में लापरवाही से पुलिस की फजीहत हो रही। थानों पर तैनात पुलिस कर्मचारियों के लिए मुखबिरी करने वाले मनबढ़ गोलियां चलाने से नहीं हिचक रहे। बेलीपार में बदमाश की हिस्ट्रीशीट खोलने में लापरवाही के बदले सिर्फ दरोगा पर एक्शन लेकर अफसर मामले को दबाने की कोशिश में जुटे हैं। लेकिन पूर्व में भी ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें थानेदारों ने हद दर्जे की लापरवाही की है।

एसएसपी के निर्देश को ताक में रखकर थानेदार मनमानी करते रहते हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि आपराधिक गतिविधियों में लिप्त लोगों की फाइलों की खंगाली जाएगी। सभी के क्रिमिनल रिकार्ड की जांच कर हिस्ट्रीशीट खोलने, गुंडा, गैंगेस्टर, जिला बदर सहित अन्य कार्रवाई में तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं। जल्द इसका परिणाम नजर आने लगेगा।

तब सोते रहे, अब जाकर खुली नींद

बुधवार सुबह बेलीपार एरिया के ठेकेदार संत कुमार की गोलियां मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में दिनेश निषाद सहित पांच लोगों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया गया। दिनेश के खिलाफ दो दर्जन से अधिक आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। बावजूद बेलीपार पुलिस ने उसके खिलाफ एक्शन नहीं लिया। थानेदारों की लापरवाही से दिनेश की हिस्ट्रीशीट नहीं खुल सकी। मर्डर की घटना के पुलिस अधिकारियों की नींद खुली है। इस बात का सवाल जवाब होने लगा है कि आखिर इसके लिए असल में जिम्मेदार कौन है। एक हल्का दरोगा पर कार्रवाई कर पुलिस अफसर भले पीठ थपथपा लें। लेकिन पूर्व में भी ऐसे मामला सामने आए थे।

2018 के अक्टूबर में खोराबार के कैथवलिया में पूर्व प्रधान अवधेश यादव के बेटे अनिकेत की सैलून में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। घटना के समय वह सेविंग करा रहा था। इस घटना के मुख्य आरोपी के खिलाफ जिला बदर करने का आदेश जारी हुआ था। तत्कालीन थानेदार ने जिला बदर करने से संबंधित प्रक्रिया पूरी नहीं कराई। इससे अनिकेत को जान गंवानी पड़ी। इस घटना के करीब तीन माह के भीतर ही ठेकेदार संत कुमार को गोली मार दी गई।

पुलिस अधिकारी की वरदहस्त, कीमत चुका रहे बदमाश

बेलीपार मर्डर के बाद इस बात की चर्चा हो रही है कि एक पुलिस अधिकारी की वरदहस्त बदमाशों को मिल रही है। उसी पुलिस अधिकारी के दबाव में आकर थानेदार ने हिस्ट्रीशीट नहीं खोल रहे थे। यह भी कहा जा रहा है कि एक अफसर का पैर छूकर कई बदमाश जिले में बेखौफ घूम रहे। अफसर का आशीर्वाद लेने के बदले हर माह निर्धारित धनराशि का चढ़ावा चढ़ जाता है। वसूली के लिए दो-तीन सिपाहियों को लगाया गया है। भेंट देने वाले बदमाश इस बात की गारंटी देते हैं कि वह कोई अपराध नहीं करेंगे। बल्कि किसी तरह का अपराध होने पर उसमें शामिल अपराधियों के लिए मुखबिरी करेंगे। हालांकि इस बात के कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं फिर भी मामला खुलने पर गोपनीय जांच शुरू करा दी गई है।

तो कौन-कौन होते जिम्मेदार

बेलीपार में हुई घटना के बाद सिर्फ हल्का दरोगा पर गाज गिरी है। पुलिस महकमे से जुड़े लोगों का कहना है कि दिनेश की हिस्ट्रीशीट नहीं खुलने के लिए सीधे तौर पर एसओ जिम्मेदार होते हैं। इनके अलावा अन्य सभी सुपरविजनल आफिसर्स की जवाबदेही बनती है। हर थाना का समय-समय पर मुआयना करने का नियम है। इस दौरान सभी बिंदुओं पर चर्चा की जाती है। ऐसे में दिनेश को बख्शने के पीछे कई लोगों की भूमिका हो सकती है। कई बार ऐसा भी होता है कि जिले के कप्तान डीसीआरबी से रिकार्ड तलब करके थानेदारों से सवाल जवाब तलब करते हैं। लेकिन इस मामले में भारी लापरवाही बरती गई।

कार्रवाई अफसर

मासिक थाना निरीक्षण एसओ

तिमाही थाना निरीक्षण सीओ

छह माह पर निरीक्षण एडिशनल एसपी

एक साल में निरीक्षण एसपी

बेलीपार की घटना में हल्का इंचार्ज को निलंबित किया गया है। अन्य के भूमिका की जांच चल रही है। जिम्मेदार लोगों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा। इस मामले में किसी अभियुक्त की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।

विपुल श्रीवास्तव, एसपी साउथ

Posted By: Inextlive