-केजीएमयू में नैट टेस्ट से पकड़ में आ रहा संक्रमित ब्लड

LUCKNOW:

ब्लड जीवन देता है। लेकिन ब्लड संक्रमित हो तो यह जान ले भी सकता है। एनीमिया के मरीज को यदि संक्रमित ब्लड चढ़ गया तो उसकी जान बचा पाना मुश्किल है। इसलिए नैट टेस्टेड ब्लड ही मरीजों को चढ़ाया जाना चाहिए। केजीएमयू में 'सेफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन-नीड ऑफ ऑवर' विषय पर आयोजित कार्यशाला में प्रो। तूलिका चंद्रा ने यह जानकारी दी।

जांच में पकड़े गए

केजीएमयू के ब्लड बैंक में 2012 से न्यूक्लि एसिड टेस्ट (नैट टेस्ट) की सुविधा शुरू होने के बाद से अब तक 50 यूनिट एचआईवी, 489 हेपेटाइटिस सी और 1800 यूनिट हेपेटाइटिस बी पॉजिटिव पाया गया। यानी ये लोग ऐसे थे जिन्हें जानकारी ही नहीं थी कि वह इतने खतरनाक वायरस या बीमारी की चपेट में और दूसरों को बीमारी फैला रहे थे।

नैट से ब्लट अधिक सुरक्षित

प्रो। तूलिका चंद्रा ने बताया कि अभी भी प्रदेश में केजीएमयू, एसजीपीजीआई और बरेली की एक ब्लड बैंक में ही यह सुविधा है। बाकी जगह एलाइजा टेस्ट से ही खून में बीमारियों की जांच की जाती है। एलाइजा में वही बीमारी पकड़ में आती हैं जिनका संक्रमण ब्लड डोनेशन से तीन माह पहले हुआ हो। जबकि नैट टेस्ट में छह दिन पहले हुआ संक्रमण की भी पहचान हो जाती है।

तीन यूनिट की नैट टेस्टिंग

प्रो। तूलिका चंद्रा ने बताया कि पिछले कुछ वर्षो में हेपेटाइटिस, एचआईवी जैसे संक्रमण बढ़े हैं। पहले एक वर्ष में 3 से 5 यूनिट एचआईवी संक्रमित ब्लड पकड़ में आता था लेकिन अब यह 11 से 12 यूनिट हो गया है। जिनका एक बड़ा कारण असुरक्षित ब्लड भी हो सकता है। वर्तमान में केजीएमयू की ब्लड बैंक में अत्याधुनिक फैसिलिटी का प्रयोग करके मरीजों को सुरक्षित ब्लड उपलब्ध कराया जा रहा है। 2012 से अब तक 3 लाख 10 हजार यूनिट की नैट टेस्टिंग की जा चुकी है। जिसमें 2300 से ज्यादा संक्रमित लोगों को पकड़ा गया।

मरीजों को मिले सुरक्षित ब्लड

कार्यक्रम में महिला एवं परिवार कल्याण व मातृ एवं शिशु कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि सुरक्षित ब्लड ट्रांसफ्यूजन बहुत ही महत्वपूर्ण है। हमे यह इसके लिए आश्वस्त होना पड़ेगा की मरीजो जो रक्त चढ़ाया जा रहा है वो संक्रमण मुक्त होना चाहिए।

एनएचएम करें मदद

वीसी प्रो। एमएलबी भट्ट ने कहा कि नैट टेस्ट करने पर सलाना 6.7 करोड़ रुपए का खर्च आता है। जिसके लिए एनएचएम के माध्यम से काफी सहयोग मिलता है। केजीएमयू की ओर से थैलीसीमिया जैसे रोगियो को नि:शुल्क ब्लड उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रयास है कि ऐसे ही अन्य मरीजों को भी नि:शुल्क ब्लड दें जिसके लिए एनएचएम और सरकार की ओर से और मदद चाहिए।

प्राइवेट ब्लड बैंकों में भी लागू हो नैट

यूएसए से आई डॉ। लिजा पैट ने बताया कि नैट को प्राइवेट क्षेत्र की ब्लड बैंकों में भी लागू किया जाना चाहिए। इसके अलावा आईएलबीएस डॉ। मीनू बाजपेई, डॉ। संगीता पाठक, डॉ। अर्चना कुमार, ने भी व्याख्यान दिए। इस मौके पर डीन प्रो। मधुमति गोयल, एनएचएम के एमडी पंकज कुमार सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive