- असाध्य रोग कैटेगरी में रजिस्टर्ड था मरीज, सरकार देती है नि:शुल्क इलाज के लिए पैसा

- फिर भी जमा करा लिए पांच लाख, डेढ़ लाख और जमा करने का दिया आदेश

- असाध्य रोगी का सरकार देती है इलाज का पूरा पैसा

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LUCKNOW: सरकार कैंसर, किडनी, लिवर और अन्य जरूरतमंद मरीजों को असाध्य कैटेगरी में रजिस्टर कर नि:शुल्क इलाज की सुविधा देती है. इसके लिए केजीएमयू को अलग से बजट भी मिलता है. शुक्रवार को केजीएमयू में किए गए लिवर ट्रांसप्लांट वाले मरीज को लिवर कैंसर के कारण असाध्य रोग के तहत नि:शुल्क इलाज के लिए रजिस्टर्ड किया गया था, जिसमें पूरा खर्च सरकार की ओर से उठाया जाना था, लेकिन केजीएमयू के डॉक्टर्स ने मरीज के परिजनों से पांच लाख रुपए दवाएं व अन्य सामान के नाम पर जमा करा लिये. यही नहीं डेढ़ लाख रुपए और जमा करने का आदेश सुनाया है.

बेटे ने दिया था पिता को लिवर

मडि़याव में रहने वाले पेशे से ड्राइवर अजय कुमार का शुक्रवार को केजीएमयू में लिवर ट्रांसप्लांट किया गया था. केजीएमयू प्रशासन ने दावा किया कि देश में सबसे कम कीमतों पर उसका ट्रांसप्लांट किया गया. पिता को बचाने के लिए उनके एक बेटे ने लिवर डोनेट किया था. वह लिवर कैंसर से पीडि़त थे. इस कारण केजीएमयू में उनका पहले से इलाज चल रहा था, वह असाध्य रोग में रजिस्टर्ड भी थे. इसके लिए उनके पास असाध्य रोगी का कार्ड भी था, जिसमें मरीज को सभी प्रकार की जांचें व इलाज नि:शुल्क होता है. इसके बाद भी केजीएमयू प्रशासन ने मदद करने की जरूरत नहीं समझी. साथ ही लिवर ट्रांसप्लांट के लिए केजीएमयू के डॉक्टर्स ने पांच लाख रुपए जमा करा लिये. परिजनों ने बताया कि पांच में से तीन लाख रुपए चेक के माध्यम से एक मेडिकल स्टोर पर दवाओं के नाम पर जमा कराए गए हैं.

सीएम को भेजा गया था प्रस्ताव

मरीज के परिजनों को पैसों की दिक्कत के कारण केजीएमयू की ओर से मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए भी प्रस्ताव बनाकर भेजा गया और करीब 15 लाख रुपए की जरुरत बताई गई है. मुख्यमंत्री कार्यालय से रुपये देने के लिए संबंधित जिलाधिकारी को पत्र भेजकर मरीज का सत्यापन कराने के निर्देश दिए गए हैं. उसके बाद ही मरीज को सीएम कोष से मदद मिल सकेगी. इन सबके बावजूद केजीएमयू प्रशासन संवेदनहीन बना रहा.

डेढ़ लाख और मांगे

परिजनों ने बताया कि पांच लाख रुपए दे चुके हैं. अब डेढ़ लाख रुपए और जमा करने को कहा गया है. जिस मेडिकल स्टोर पर रुपए जमा कराए गए थे वहां से कहा गया है कि अब और रुपए चेक से नहीं लिए जाएंगे. कैश में ही बाकी डेढ़ लाख देने होंगे.

कोट-

असाध्य रोगी का इलाज नि:शुल्क होता है. इस मरीज के लिवर ट्रांसप्लांट की दवाएं व उपकरण उपलब्ध कराए गए थे. इसके लिए रुपए जमा कराने के बारे में जानकारी नहीं है. यदि गलत रुपए जमा हो गए हैं तो उन्हें वापस कराने का प्रयास किया जाएगा.

प्रो. एसएन शंखवार, सीएमएस, केजीएमयू

Posted By: Kushal Mishra