भारत और चीन ने सीमा पर शांति और सद्भावना बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सीमा रक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए.


इस समझौते के तहत दोनों देश एक दूसरे के प्रति विश्वास बहाली के उपायों को लागू करेंगे.इस समझौते के अलावा दोनों देशों ने आठ अन्य समझौतों के लिए सहमति पत्र पर दस्तखत किए. इनमें नालंदा विश्वविद्यालय, सीमा के आरपार की नदियों और सड़क तथा बिजली क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए समझौते शामिल हैं.इससे पहले, बीजिंग में भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और चीनी प्रधानमंत्री ली काचियांग के बीच मुलाकात हुई. मनमोहन रूस की यात्रा के बाद कल ही चीन पहुंचे थे.भारत और चीन ने दोनों देशों के बीच सहयोग और दोस्ताना संबंध बनाए रखने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई है.व्यापारिक सहयोग"दक्षिणी सिल्क रोड के रास्ते दोनों देशों को जोड़ने के लिए बीसीआईएम आर्थिक गलियारे की संभावना भी तलाशी जाएगी."-मनमोहन सिंह, प्रधानमंत्री, भारत


इस मौके पर मनमोहन सिंह ने कहा कि,"ली ने दोनों देशों के बीच गैर-टिकाऊ व्यापार असंतुलन के बारे में मेरी चिंता को समझा और हम इस अंतर को भरने के उपाए तलाशने पर सहमत हो गए हैं." उन्होंने कहा कि दक्षिणी सिल्क रोड के रास्ते दोनों देशों को जोड़ने के लिए बीसीआईएम आर्थिक गलियारे की संभावना भी तलाशी जाएगी.

इस मौके पर दोनों देशों की सम्मिलित ताकत की ओर ध्यान दिलाते हुए भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और चीन जब हाथ मिलते हैं तो दुनिया देखती है.दोनों देशों ने साल 2013-15 को सांस्कृतिक आदान-प्रदान वर्ष घोषित किया.नालंदा में सहयोगदोनों देशों के बीच नालंदा विश्वविद्यालय के विकास के लिए भी एक समझौता हुआ. नालंदा विश्वविद्यालय में अगले अकादमिक सत्र से पढ़ाई शुरू होने का अनुमान है.चीन के प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देश आतंकवाद निरोध सहयोग के लिए संवाद बढ़ाने पर सहमत हैं.चीन के प्रधानमंत्री लीकाचियांगने कहा कि उन्होंने पदग्रहण करने के बाद पहली विदेश यात्रा भारत की थी.लीकाचियांगसे बातचीत के बाद मनमोहन सिंह ने कहा कि जब भारत और चीन हाथ मिलाते हैं तो पूरी दुनिया ध्यान से देखती है.चीन के प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देश आतंकवाद निरोध सहयोग के लिए संवाद बढ़ाने पर सहमत हैं.चीनी प्रधानमंत्री ने कहा कि बड़े पड़ोसी होने के कारण हमें जिम्मेदार होना चाहिए.

Posted By: Subhesh Sharma