इंडिया में आईएसआईएस का वाट्सएप ग्रुप!
बार ग्रुप से लेफ्ट होने के बाद भी जोड़ा गया और धमकी भी दी गई
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ALLAHABAD: देश में आतंकी ग्रुप आईएसआईएस सक्रिय है, इसकी भनक लगने के बाद पुलिस के होश उड़ गए हैं। लोकल पुलिस की ओर से मामले में एटीएस से मदद मांगी गई है। अब लोकल पुलिस के साथ एटीएस भी जांच में जुटी है। वाट्सएप से डाटा रिकवर करने की तैयारी की जा रही है ताकि देश में इस संगठन से जुड़े लोगों की पहचान की जा सके। धूमनगंज थाना क्षेत्र के चक मुंडेरा निवासी अनिल प्रजापति को वाट्सएप गु्रप से जोड़ने और खुफिया एजेंसियों से जुड़ी जानकारी देने पर हर माह पांच हजार डालर देने के ऑफर की शिकायत मिलने पर पुलिस के संज्ञान में यह मामला आया है।
आईएसआईएस नाम से है ग्रुप
जिस गु्रप से अनिल को जोड़ा गया था वह आईएसआईएस नाम से बना है। ऐसे में पुलिस को शक है देश में अंदरखाने कहीं ये आतंकी संगठन सक्रिय तो नहीं है। यदि है तो यह खतरनाक स्थिति है। पुलिस ने गु्रप से जुड़े सभी लोगों की जानकारी के लिए एटीएस से मदद मांगी। क्योंकि छात्र ने जो स्क्रीन शॉट पुलिस को उपलब्ध कराया है उससे इसके सदस्यों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है। ऐसे में एटीएस वाट्सएप से डाटा रिकवर करने की तैयारी में जुटी है, ताकि इसके सदस्यों की डिटेल निकाली जा सके। ग्रुप के जो नंबर नजर आ रहे हैं वे विदेश के हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यदि अनिल ने ग्रुप से लेफ्ट होने की बजाय उसकी मेंबर लिस्ट देखी होती तो केस की जांच में काफी मदद मिल जाती, लेकिन वह घबराकर ग्रुप से लेफ्ट हो गया।
धूमनगंज थाना क्षेत्र के चक मुंडेरा कैलाशपुरी निवासी अनिल प्रजापति के मोबाइल नंबर को दो दिन पहले एक वाट्सएप ग्रुप से जोड़ा गया। फिर उसे मैसेज दिया गया कि हमारे साथ जुड़ो और खुफिया एजेंसियों की जानकारी दो तो तुम्हे हर माह पांच हजार डालर दिया जाएगा। गु्रप पर आतंकी की फोटो देखते ही अनिल घबरा गया और तुरंत ग्रुप से लेफ्ट हो गया। इसके बाद फिर उसे जोड़ दिया गया और धमकी दी गई कि अब यदि लेफ्ट हुए तो तुम्हारे परिवार को परिणाम भुगतना होगा। अनिल फिर ग्रुप से लेफ्ट हो गया और शिकायत लेकर धूमनगंज थाने पहुंचा। मामला सामने आते ही पुलिस के बड़े अधिकारियों को खबर दी गई और वहां से निर्देश के बाद आईटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया।
छात्र से की गई लंबी पूछताछ
रविवार को पुलिस अधिकारियों ने अनिल प्रजापति से लंबी पूछताछ की। उसके मोबाइल को देखा। साथ ही उसे हिदायत दी गई कि मोबाइल को अपडेट या साफ्टवेयर से कोई छेड़छाड़ नहीं करे। यह भी कहा गया कि यदि उसे फिर ग्रुप से जोड़ा जाता है तो लेफ्ट होने की बजाय पुलिस को खबर दे। उसने कहा कि मैसेज आने के बाद वह इतना घबरा गया था कि उसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। पुलिस अब छात्र के मोबाइल की आईएमईआई नंबर के जरिए भी जानकारी जुटाने में जुटी है।