इराक में शिया और सुन्‍नी समुदाय के बीच चले आ रहे संघर्ष में भारतीय शिया समुदाय के हजारों लोग इराक जाकर सुन्‍नी चरमपंथियों के खिलाफ लड़ना चाहते हैं. इस सिलसिले में भारतीय सरकार को कम से कम 6000 लोगों ने वीजा आवेदन मिलें है. एक खबर के अनुसार तकरीबन 25000 भारतीय इराक जाना चाहते हैं.


6000 भारतीय शिया इराक जाने को तैयारभारत से तकरीबन 6000 शिया समुदाय के लोगों ने इराक जाने के लिए वीजा अप्लाई किया है. यह लोग इराक में सुन्नी चरमपंथियों के खिलाफ लड़ना चाहते हैं. इनके अलावा 25000 अन्य शिया लोग भी इराक जाकर अपने समुदाय को सपोर्ट करना चाहते हैं. गौरतलब है कि वीजा के लिए अप्लाई करने वालों में ज्यादातर लोग दिल्ली, लखनऊ और मेरठ से हैं. इनमें कुछ हिंदु धर्म मानने वाले लोग भी हैं जो इराक जाकर राहत कार्यों में लगना चाहते हैं. अगले हफ्ते पांच लोगों का एक समूह भारत से इराक जा सकता है जिसमें मौलाना कल्बे जवाद और जाने-माने वकील महमूद प्राचा शामिल हैं. क्या कहती हैं सुरक्षा एजेंसियां
इस मामले में भारत की सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि भारतीय शिया मुसलमानों के साथ-साथ हिंदु धर्म को मानने लोग वाले भले ही इराक में राहत कार्यों के लिए जाना चाहते हों पर यह लोग इराक पहुंचकर लड़ाई में हिस्सा ले सकते हैं. इसके साथ ही वे ISIS के निशाने पर होंगे क्योंकि आईएसआईएस ने भारत को दुश्मन देश घोषित किया हुआ है. आईएसआईएस लीडर अबु बक्र अल बगदादी के मुताबिक भारत में मुसलमानों को उनके हक नही मिलते हैं. करबला के लिए देंगे जान


इराक में करबला और नजफ दो ऐसे शहर हैं जो शियाओं के लिए धार्मिक रूप से सबसे ज्यादा महत्व रखते हैं. नजफ में पैगंबर मुहम्मद के दामाद इमाम अली का मकबरा है जिन्हें शिया समुदाय में एक सच्चे खलीफा का दर्जा हासिल है्. इसके साथ ही करबला में उनके पुत्र हसन का मकबरा है. गौरतलब है कि शिया समुदाय के लिए मक्का और मदीना के बाद सबसे ज्यादा पवित्र जगह करबला और नजफ है. इराक में लड़ रहे हैं 18 भारतीयइस बीच भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को 18 भारतीयों के इराक युद्ध में लड़ने की सूचना मिली है. इन लोगों में से करीब चार लोग महाराष्ट्र से बताए जाते हैं. एक खबर के अनुसार इराक में अभी भी तकरीबन 39 मजदूर फंसे हैं.

Posted By: Prabha Punj Mishra