माता-पिता को छोड़ने वाले बच्चों को अब 6 महीने जेल की सजा भुगतनी पड़ सकती है। सरकार ने कानून में बदलाव करके गोद लिए व सौतेले बच्चों आैर दामाद को भी जिम्मेदार बनाने पर विचार कर रही है।


2007 के कानून में बदलाव की सरकार कर रही तैयारीनई दिल्ली (प्रेट्र)। बूढ़े मां-बाप की अनदेखी करना महंगा पड़ सकता है। अगर माता-पिता को छोड़ा या उनसे दु‌र्व्यवहार किया तो अब छह महीने की जेल हो सकती है। मोदी सरकार मौजूदा तीन महीने कैद के प्रावधान को बढ़ाकर छह करना चाहती है। इसके लिए माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण व कल्याण अधिनियम 2007 में बदलाव करने की तैयारी है। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने संशोधन विधेयक का मसौदा भी तैयार कर लिया है।गोद लिए व सौतेले बच्चे और दामादों पर भी होगी जिम्मेदारी
माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण बिल 2018 के मसौदे के तहत बच्चों की परिभाषा का दायरा भी बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है। संशोधन विधेयक के तहत गोद लिए या सौतेले बच्चों, दामाद, बहू और पोते-पोतियों को भी किसी व्यक्ति के बच्चों की श्रेणी में शामिल किया गया है। मौजूदा कानून के प्रावधानों में केवल जैविक बच्चे एवं पोते-पोतियों को ही इस श्रेणी में शामिल किया गया हैं।खाना खर्चा के साथ माता-पिता की सुरक्षा की भी होगी जिम्मेदारी


संशोधन विधेयक के मसौदे में गुजारा भत्ते की निर्धारित 10 हजार रुपये प्रति माह की सीमा को भी खत्म करने का प्रस्ताव किया गया है। उक्त वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, 'जिन लोगों की कमाई अच्छी है, उन्हें अपने माता-पिता की देखभाल पर अधिक खर्च करना चाहिए। संशोधित विधेयक में देखभाल की परिभाषा भी बदलने का प्रस्ताव किया गया। इसमें खाना, कपड़ा, घर और स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के अलावा माता-पिता की सुरक्षा का इंतजाम करना भी शामिल किया गया है।'अनदेखी होने पर बुजुर्ग खटखटा सकते हैं ट्रिब्यूनल का दरवाजामौजूदा कानून में बच्चों और वारिस के लिए अपने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों को प्रति महीने दस हजार रुपये का गुजारा भत्ता देना अनिवार्य है।' इसमें यह भी प्रावधान है कि अगर कोई बच्चा अपने मां-बाप की अनदेखी करता है या उनकी देखभाल करने से मना करता है तो बुजुर्ग माता-पिता मेंटेनेंस ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटा सकते हैं। अगर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा तैयार संशोधन विधेयक को संसद से मंजूरी मिल जाती है तो यह 2007 के कानून का स्थान लेगा। फिर बुजुर्ग माता-पिता की अनदेखी करने वालों की खैर नहीं होगी। उन्हें तीन की बजाय छह महीने जेल की सजा काटनी होगी।बहू-बेटे से तंग मां ने ली हाई कोर्ट की शरणस्कूल के बाहर गुंडा गर्दी, एक पिता पर गुंडों ने बोला हमला

Posted By: Satyendra Kumar Singh