- ट्रेनों में आतंकी वारदात की एबीसीडी सीख रहे स्लीपर सेल सो रही लोकल इंटेलीजेंस

- खुरासान मॉड्यूल में खुलासा हो चुका है कि कैसे शहर में ली थी बम बनाने और धमाके की ट्रेनिंग

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KANPUR: कानपुर से भिवानी के बीच चलने वाली कालिंदी एक्सप्रेस में धमाका और एक लेटर सामने आने के बाद यह साफ हो चुका है कि अभी भी ट्रेनें आतंकियों के लिए बड़ी वारदात करने का सबसे आसान जरिया है। कानपुर से लिंक रखने वाले कई संदिग्ध लोग ट्रेनों को पहले भी निशाना बनाते आए हैं। इसकी ट्रेनिंग से लेकर आतंकी साजिश की पूरी स्क्रिप्ट कानपुर में पहले भी लिखी जा चुकी हैं। कालिंदी एक्सप्रेस में ब्लास्ट के बाद दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने सिटी में सक्रिय खुरासान माड्यूल और उससे जुड़े स्लीपर सेल से जुड़ी खबरों के बारे में पड़ताल की। जो हकीकत सामने आई, वो ट्रेनों को सॉफ्ट टारगेट के तौर पर यूज किए जाने की तरफ इशारा कर रही है। जिसको लेकर खुफिया एजेंसियां भी एक्टिव काे गई हैं.

काले धब्बे को मिटाने का प्रयास
कालिंदी एक्सप्रेस ब्लॉस्ट के बाद इंटेलिजेंस एजेंसियों की निगाह एक बार फिर खुरासान माड्यूल पर टेढ़ी हो गई हैं। इसके स्लीपर सेल से जुड़े संभावित लोगों की तलाश भी तेज हुई है, लेकिन पहले की तरह इस बार भी लोकल इंटेलिजेंस को इन सबकी भनक तक नहीं लगी। आतंकी ट्रेनिंग के सेंटर के तौर पर कानपुर पर लगे धब्बे को मिटाने के लिए अब एटीएस को लगाया गया है।

लोकल इंटेलिजेंस फिर फेल
शहर एक्सप्लोसिव्स सप्लाई से लेकर आतंकी साजिशों के गढ़ के तौर पर बीते 4 साल में उभरा। इस दौरान यहां आईएस से जुड़े खुरासान माडयूल का खुलासा हुआ। बीते साल एक आतंकी पकड़ा गया। जाजमऊ और घाटमपुर में एक्सप्लोसिव्स से लदी गाडि़यां भी पकड़ी गई,लेकिन इन सब घटनाओं में लोकल इंटेलिजेंस के फेल्योर पर कभी कोई बात नहीं हुई। लोकल इंटेलिजेंस की सुस्ती को दूर करने के लिए पुलिस और शासन स्तर पर कभी कोई कार्रवाई नहीं हुई।

पैसेंजर ट्रेन ब्लास्ट से शुरुआत
लखनऊ में सैफुल्लाह एनकाउंटर के बाद कानपुर में दो साल पहले इस्लामिक स्टेट के खुरासान माडयूल के बारे में सुरक्षा एजेंसियों को पता चला। जाजमऊ से कई संदिग्ध आतंकियों और माडयूल के हेल्पर्स की गिरफ्तारी भी हुई। अगस्त 2017 में इस मामले में नेशनल इनवेस्टिगेटिव एजेंसी ने अपनी चार्जशीट दाखिल की। इस चार्जशीट में कानपुर में इन संदिग्ध आतंकियों की ट्रेनिंग से लेकर फंडिंग करने तक का खुलासा हुआ। ट्रेनों को साफ्ट टारगेट इसीलिए माना गया। भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में पाइप बम बना कर ब्लास्ट कानपुर में रहने वाले खुरासान माडयूल के इन्हीं संदिग्ध आतंकियों ने किया था। जोकि अभी जेलों में बंद हैं।

लो इंटेनसिटी एक्सप्लोसिव का यूज
अभी तक शहर के आसपास और ट्रेनों में जितनी भी आतंकी वारदातों का पता चला है उससे इस बात की पुष्टि होती है कि एक्सट्रीमिस्ट आईडियोलॉजीसे प्रभावित नए लड़कों की पहुंच हाई इंटेनसिटी एक्सप्लोसिव्स तक नहीं है। एक खूफिया एजेंसी के अधिकारी बातचीत में बताते हैं। कि ये लोग लोकल स्तर पर ही हथियार और एक्सप्लोसिव जुटाते हैं। एक्सप्लोसिव से बम बनाने की ट्रेनिंग वह इंटरनेट के जरिए ही ले लेते हैं। शुरुआत में इन्हें टेस्ट किया जाता है। इसके लिए छोटे टारगेट चुने जाते हैं। कालिंदी एक्सप्रेस में हुआ ब्लास्ट भी कुछ इसी तरफ इशारा कर रहा है।

ट्रेन और ट्रैक दोनों पर खतरा-

- 22 नवंबर को पुखरायां में इंदौर-पटना एक्सप्रेस एक्सीडेंट 151 की मौत, आतंकी साजिश की बात सामने आई

- 2016 में आतंक की ट्रेनिंग लेने के दौरान ही खुारासान माडयूल के संदिग्ध आतंकियों ने घाटमपुर में रेलवे ट्रैक पर प्लास्टिक एक्सप्लोसिव लगा ट्रैक उड़ाने की कािशश की

- 2016 में औरेया के पास रेलवे ट्रैक पर सिग्नल बॉक्स रख शताब्दी एक्सप्रेस को पलटाने की कोशिश

-2017 में लखनऊ-उन्नाव रेल ट्रैक को काट कर ट्रेन पलटाने की कोशिश

Posted By: Inextlive