लंदन ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाले भारतीय पहलवान सुशील कुमार का मानना है कि विश्व कुश्ती संघ के वज़न वर्ग में बदलाव करने से भारतीय पहलवानों पर भी बुरा असर पड़ेगा.


सुशील कुमार का कहना है कि बदलाव की वजह से ओलंपिक खेलों में 60 और 66 किलोग्राम वर्ग की श्रेणियां ही ख़त्म हो गई हैं.वे ये भी कहते हैं कि इस बदलाव की वजह से पूरे विश्व के उन खिलाड़ियों पर असर पड़ेगा जो इन श्रेणियों में कुश्ती लड़ते हैं.वे मानते हैं कि इस बदलाव की वजह से उन्हें भी अपने वज़न वर्ग में परिवर्तन करना होगा. हमेशा 60 किलोग्राम वज़न वर्ग में कुश्ती लड़ने वाले सुशील कुमार का कहना है कि वे अब संभवत: 67 किलोग्राम वज़न वर्ग में अपने दांव-पेंच आज़माएंगे.हालांकि उन्होंने इस बारे में अभी कोई अंतिम फ़ैसला नहीं लिया है.नज़र रियो ओलंपिक पर"मैंने पहले भी कहा था कि कुश्ती वापस आएगी क्योंकि दुनिया के 204 देश कुश्ती खेलते हैं. कुश्ती नहीं होगी तो पूरी दुनिया में एक भूचाल आ जाएगा."-सुशील कुमार, भारतीय पहलवान


ओलंपिक में एक खेल के तौर पर कुश्ती को बरक़रार रखे जाने पर सुशील कुमार बहुत ख़ुश हैं.वे कहते हैं, ''मैंने पहले भी कहा था कि कुश्ती वापस आएगी क्योंकि दुनिया के 204 देश कुश्ती खेलते हैं. कुश्ती नहीं होगी तो पूरी दुनिया में एक भूचाल आ जाएगा.''

सुशील कुमार इसके लिए भारत के नेताओं को भी श्रेय देते हैं. उनका कहना है कि कुश्ती को ओलंपिक में क़ायम रखने के लिए यहां के तमाम राजनीतिक दलों के नेताओं ने ज़ोर लगाया.वे कहते हैं कि देश के झंडे तले खेलना बड़े गौरव की बात है.अगले साल फ़रवरी में होने वाले कोलेराडो स्प्रिंग की तैयारी में जुटे सुशील कुमार चाहते हैं कि देशवासी उन्हें दुआएं दें ताकि वे दोबारा अच्छा प्रदर्शन कर सकें. वे एशियाड और राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी में भी जुटे हैं.सुशील कुमार कहते हैं कि अब उनकी नज़र कांस्य और रजक पदक से आगे साल 2016 के रियो ओलंपिक पर टिकी है.

Posted By: Subhesh Sharma