मंदी के दुर्दिनों ने दुनिया भर के लोगों के साथ भारतीयों की सोच भी बदली है. अब उन्हें मोटे वेतन से ज्यादा सुरक्षित नौकरी भाने लगी है. अब एक सर्वे ने भी इस पर मुहर लगा दी है.


यह सर्वे किया है स्टाफिंग व एचआर फर्म रैंडस्टैड इंडिया ने। इसमें निष्कर्ष निकाला गया है कि बीते कुछ साल पहले की तुलना में अब भारतीय कर्मचारी नौकरी में किसी दूसरी चीज से ज्यादा सुरक्षा को तरजीह देने लगे हैं. वे उन कंपनियों में काम करना चाहते हैं, जो वित्तीय दृष्टि से मजबूत स्थिति में हैं। एक दौर वह भी था, जब बेहतर वेतन-भत्तों के लिए वे किसी भी कंपनी में कूदने से बिल्कुल परहेज नहीं करते थे. रैंडस्टैड की रिपोर्ट कहती है कि 64 प्रतिशत भारतीय कर्मचारियों का किसी कंपनी के चयन का आधार अब नौकरी की सुरक्षा और कंपनी की वित्तीय सेहत हो गया है.
पचास प्रतिशत कर्मचारी कॅरियर में आगे बढऩे के मौके प्रदान करने वाली कंपनी में नौकरी करना चाहते हैं. वर्ष 2011 में जब सर्वे किया गया था, तो वेतन और अन्य लाभ ही शीर्ष पर थे. वहीं इस साल प्राथमिकता की सूची में ये तीसरे स्थान पर पहुंच गए हैं. सर्वे में 150 कंपनियों के 8,500 कर्मचारियों को शामिल किया गया.


नौकरी चुनने का पैमाना विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग है. लंबी अवधि तक नौकरी की सुरक्षा दूरसंचार क्षेत्र में प्राथमिकता है, जबकि वाहन क्षेत्र के साथ ऐसा नहीं है. परिवहन और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के कर्मी आज भी प्रतिस्पर्धी वेतन और लाभ को ही पहली तरजीह देते हैं. टूर एंड ट्रैवल या पर्यटन क्षेत्र में वेतन की प्राथमिकता कहीं नीचे है. ऊर्जा क्षेत्र के कर्मचारी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिलने वाले अवसरों पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं.

Posted By: Kushal Mishra