Kanpur : रेलवे के तत्काल टिकट में खुलेआम हो रही धांधलेबाजी को उजागर करने के बाद आज आई नेक्स्ट एक और बड़ा खुलासा करने जा रहा है. जिसको जानने के बाद आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी. क्योंकि इस बार मामला एमपी एमएलए एमएलसी और मिनिस्टर से जुड़ा हुआ है. कुछ बाबू ऑफिसर्स और दलालों की मिलीभगत से पूरा रेलवे डिपार्टमेंट कलंकित हो रहा है. ये हम नहीं कह रहे बल्कि वो स्टिंग कह रहा है जिसको आई नेक्स्ट ने अंजाम दिया है. स्टिंग ऑपरेशन में आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने दलाल से उत्तर प्रदेश विधान सभा सदस्य का वो लेटर पैड ले लिया. जिसमें विधायक का नाम लिखकर किसी का भी टिकट वीआईपी कोटे के तहत कंफर्म कराया जा सकता है. एक साधारण व्यक्ति बनकर बस कुछ रुपए देने भर से उसने बताया कि कैसे असली लेटर पैड पर फर्जी वीआईपी कोटा लगाया जा रहा है. इसमें रेलवे के इम्प्लाईज भी शामिल हैं. आप ये जानकर चौंक जाएंगे कि इस फर्जी वीआईपी कोटे से अब तक सैंकड़ों टिकट दलाल कंफर्म करा चुके हैं. तो चलिए आपको बताते हैं पूरा स्टिंग...


ऐसे हो रहा है ‘खेल’
आई नेक्स्ट रिपोर्टर एक नार्मल पैसेंजर बनकर घंटाघर स्थित रेलवे स्टेशन के पास स्थित एक ट्रैवल एजेंसी के एजेंट के पास टिकट कराने के लिए गया। रिपोर्टर ने कानपुर से दिल्ली जाने के लिए टिकट बुक करने के लिए कहा। एजेंट ने बताया कि दिल्ली के लिए लंबी वेटिंग चल रही है। इस पर रिपोर्टर ने उससे पूछा, इसका मतलब कन्फर्म टिकट नहीं मिल पाएगी। एजेंट ने फौरन जवाब दिया कि ऐसी बात नहीं है। टिकट तो मैं कन्फर्म दे दूंगा लेकिन इसके लिए एक्स्ट्रा पैसे लगेंगे। क्योंकि अब तत्काल कोटे में भी वेटिंग स्टेटस दिखा रहा है। स्लीपर का टिकट चाहिए कि एसी कोच का चाहिए। स्लीपर के लिए 500 रुपये और एसी के लिए 800 रुपये एक्स्ट्रा लगेंगे। ये चार्ज टिकट के प्रिंट रेट से अलग देना होगा। रिपोर्टर ने टिकट बनाने के लिए फौरन हां कर दी। इस दौरान रिपोर्टर ने बातचीत करते-करते पूछा कि एक बात समझ में नहीं आई कि जब सभी ट्रेनों में वेटिंग स्टेटस दिखा रहा है तो तुम मुझे कन्फर्म टिकट कैसे दिलाओगे। कहीं तुम मुझे बेवकूफ तो नहीं बना रहे हो? ऐसा न हो कि मेरे पैसे भी चले जाएं और टिकट भी कन्फर्म न हो। इस सवाल पर पहले तो एजेंट चुप्पी साध गया लेकिन कई बार पूछने पर वेटिंग के बाद भी कन्फर्म टिकट दिलाने के किए गए उसके दावे के पीछे का जो राज एजेंट ने बताया। उसे जानकर रिपोर्टर भी सकते में आ गया।हर ‘मर्ज’ की दवा है मेरे पासरिपोर्टर को विश्वास दिलाने के लिए एजेंट ने चाबी से अपनी ड्रॉर खोली और एक मोटी फाइल बाहर निकाली। जैसे ही एजेंट ने फाइल खोली, उसे देखकर रिपोर्टर की आंखें खुली की खुली रह गईं। फाइल के अंदर एक-दो नहीं दर्जनों की संख्या में लेटर हेड रखे हुए थे। जिसमें विधायक, मंत्री से लेकर कई गेजेटेड ऑफिसर्स के नाम के लेटर हेड थे। एजेंट ने फौरन इंटरनेट स्टार्ट करके एक टिकट बनाई। इसके बाद उसने एक विधायक के लेटर हेड पर उस टिकट की पूरी इंफॉर्मेशन लिख कर अर्जेंट वीआईपी कोटे के लिए तैयार कर लिया। उस लेटर को एजेंट ने रिपोर्टर को दिखाया और बोला कि ये देखो मैं तुम्हारा वीआईपी कोटे में टिकट कन्फर्म कराऊंगा। उसने बताया कि इसके लिए उसे रेलवे ऑफिसर्स और क्लर्क को भी पैसे देने पड़ते हैं। स्टाफ की मिलीभगत से हो रहा सब


वीआईपी कोटे के फर्जी खेल को खेलने के लिए एजेंट्स कॉमर्शियल स्टाफ के कुछ लोगों की मदद लेते हैं। दरअसल ट्रेनों में वीआईपी कोटा लगाने का काम रेलवे के कॉमर्शियल स्टाफ का ही होता है। वीआईपी कोटे से संबंधित सभी लेटर्स कॉमर्शियल डिपार्टमेंट में ही पहुंचते हैं। यहां से लेटर के आधार पर स्टाफ रेलवे का एक वीआईपी कोटा फॉर्म भरता है। जिसे एसीएम या फिर डिप्टी सीटीएम से एप्रूव कराया जाता है।वीआईपी ऑन सेलफर्जी लेटर हेड बनाने के अलावा शहर में 100 से 200 रुपये में ओरिजनल लेटर हेड बेचे जा रहे हैं। विधायक हो या फिर बड़े से बड़ा मंत्री सभी के लेटर हेड अन ऑथराइज्ड एजेंट्स के पास मौजूद हैं। विधायक और मंत्री के कुछ स्टाफ मेंबर्स ही ओरिजनल लेटर हेड बेचने का खेल करते हैं। शॉकिंग फैक्ट ये है कि मंत्री महोदय को इस बात की खबर तक नहीं होती है और उनके नाम पर कई फर्जी लोगों की टिकट कन्फर्म हो जाती है। दरअसल चंद रुपयों के लालच में ये लोग पूरे रेलवे सिस्टम की सिक्योरिटी की धज्जियां उड़ा रहे हैं।एजेंट्स काट रहे हैं पैसेंजर्स की जेब दिल्ली के लिए स्लीपर के लिए 500 रुपयेएसी के 800 रुपयेमुंबई के लिए स्लीपर के लिए 600 रुपयेएसी के लिए 1000 रुपये

कलकत्ता के लिए
स्लीपर के लिए 400 रुपये एसी के लिए 600 रुपयेजम्मू के लिए स्लीपर के लिए 800 रुपयेएसी के लिए 1500 रुपयेमेरठ के लिए स्लीपर के लिए 300 रुपयेएसी के लिए 600 रुपयेनोट- टिकट पर प्रिंट किराए के अलावा ये पैसे दलाल पैसेंजर्स से चार्ज करते हैं।इम्पॉर्टेंट फैक्ट्स-साल 2006 में एक दिन में अधिकतम 5000 रिजर्वेशन होते थे-साल 2012 में एक दिन में तकरीबन 50,000 रिजर्वेशन होते हैं-जिसमें से रिजर्वेशन सेंटर्स पर केवल 5000 रिजर्वेशन ही हो रहे हैं, अन्य रिजर्वेशन एजेंट्स की मदद से ही कराए जा रहे हैं-एक स्लीपर ट्रेन में तकरीबन 20 से 30 वीआईपी कोटे की जगह होती है-एक एसी ट्रेन में 10 से 20 वीआईपी कोटे की जगह होती है

Posted By: Inextlive