Meerut : जी हां पढने और सुनने में आपको अजीब जरूर लग सकता है कि एक प्रिंसीपल को खडे होने की सजा मिली वो भी चार घंटे तक लगातार. आइए आपको भी बताते हैं कि ये हिमाकत किसने की और प्रिंसीपल साहब भी एक स्‍टूडेंट की तरह सजा झेल भी गए.


अगर जान नहीं बचा सकते, तो खड़े रहोमेडिकल कालेज में मरीजों के साथ कितना अमानवीय ढंग से काम होता है, इससे तो सभी परिचित हैं। शनिवार को ड्यूटी पर जा रही मेडिकल कालेज की फार्मासिस्ट रेखा पर पेड़ गिर गया। कर्मचारी उसे इमरजेंसी में भर्ती कराने गए तो वहां कोई डॉक्टर नहीं था। करीब एक घंटे बाद डॉक्टर आए तब आक्सीजन मास्क लगाया गया, लेकिन सिलेंडर खाली था। वेंटीलेटर भी प्रॉपर वर्क नहीं कर रहा था। रेखा की मौत हो गई। सिस्टम से नाराज कर्मचारियों ने पोस्टमार्टम हाउस पर प्रिंसीपल और मेडिकल सुपरिटेंडेंट को चार घंटे खड़ा रखकर सजा दी


मेडिकल कॉलेज में मरीजों को सही तरह से इलाज ना मिलने की खबर आपने अक्सर सुनी होगी, लेकिन ये मामला डॉक्टर्स की अनलिमिटेड लापरवाही को उजागर करता है। शनिवार को हादसे में घायल मेडिकल कॉलेज में तैनात स्टाफ फॉर्मासिस्ट रेखा की वक्त पर इलाज ना मिलने से मौत हो गई। आप अंदाजा लगा सकते हैैं कि जो डॉक्टर अपने स्टाफ का इलाज नहीं कर सकते, वो पब्लिक का इलाज कैसे करेंगे।सुबह हुआ हादसा

42 वर्षीय रेखा मेडिकल कॉलेज के गाइनिक डिपार्टमेंट में फार्मासिस्ट के पद पर कार्य कर रही थीं। शनिवार को भी वो सुबह आठ बजे ड्यूटी पर आईं। आते समय ही रास्ते में पेड़ रेखा के ऊपर आ गिरा। जिसकी वजह से उनके सिर में चोट लगी और वो नीचे जमीन पर गिर गईं। पास से गुजर रहे कुछ कर्मचारियों ने रेखा को पेड़ के नीचे से निकाला और अस्पताल की इमरजेंसी में लेकर गए। रेखा के सिर और गर्दन की हड्डी टूट गई।नहीं था सीनियर डॉक्टरमेडिकल कॉलेज इमरजेंसी में जब घायल रेखा को ले जाया गया तब वहां कोई सीनियर डॉक्टर नहीं था। एक जूनियर डॉक्टर की वहां ड्यूटी थी। बार-बार कहने के बाद भी उसने किसी सीनियर डॉक्टर को कॉल करके नहीं बुलाया। इमरजेंसी में भर्ती कराने के करीब 50 मिनट बाद रेखा को ऑक्सीजन लगाई गई। मगर अस्पताल में जीवन रक्षक मशीनों की हालत की पोल यहीं खुल गई। रेखा को ऑक्सीजन मास्क तो पहनाया गया मगर सिलेंडर में ऑक्सीजन ही नहीं थी। रेखा की गंभीर हालत को देखते हुए उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया तो उसकी स्क्रिन ही खराब थी। इसी लापरवाही के बीच रेखा ने दम तोड़ दिया।प्रिंसीपल, सीएमएस को बंधक

अस्पताल की इमरजेंसी में इलाज के दौरान हुई लापरवाही ने रेखा की जिंदगी ले ली। इसे देख मेडिकल कॉलेज के कर्मचारी नाराज हो गए और प्रिंसिपल और मेडिकल सुप्रीटेंडेंट को ऑफिस से निकाल कर लाए और पोस्र्टमार्टम हाउस पर करीब चार घंटे तक बंधक बनाकर खड़ा रखा। कर्मचारियों का आरोप था कि रेखा ही नहीं बल्कि अब तक मेडिकल कॉलेज के कई और स्टाफ कर्मचारियों की मौत लापरवाही से हुई है। रेखा ने दम तोड़ दिया मगर कोई ऑर्थोपेडिक डॉक्टर उसे देखने नहीं आया।कार्य बहिष्कारमेडिकल कॉलेज कर्मचारी एसोसिएशन और कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष सतीश चन्द्र त्यागी और प्रांतीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष विपिन त्यागी ने इस पूरे मामले पर रोष जताया और कहा कि जिस तरह से मेडिकल कॉलेज में कर्मचारियों के साथ इलाज में लापरवाही हो रही है उसको लेकर सोमवार को भी कर्मचारी कार्य का बहिष्कार करेंगे। जब तक कर्मचारियों के लिये सही योजनाएं नहीं बनेंगी कर्मचारी काम नहीं करेंगे।'ये घटना एक हादसा था जो किसी के भी साथ हो सकता था। मैं खुद इस अस्पताल का हिस्सा हूं और मुझे भी रेखा की मौत का उतना ही दुख है जितना बाकी कर्मचारियों को था। रेखा को इलाज दिया गया था मगर हमारे साथ जो गाली-गलौच हुआ वो बेहद शर्मनाक था.'-डॉ। विनय अग्रवाल, प्रिंसिपल मेडिकल कॉलेज
'अब से पहले भी कर्मचारियों के इलाज में लापरवाही बरती गई है। शनिवार को भी इसी लापरवाही की वजह से हमारी सहकर्मी रेखा की मौत हुई.'-एमके शुक्ला, प्रांतीय उपाध्यक्ष, मेडिकल कॉलेज कर्मचारी संघ

Posted By: Inextlive