आईआरडीआरए की ओर से आयोजित किया गया इंटरनेशनल रिवर समिट

ALLAHABAD: संगम नगरी इलाहाबाद में रीवर वाटर यूजर एसोसिएशन आईआरडीआरए की ओर से तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय रिवर समिट का आयोजन किया गया। इसमें आस्ट्रेलिया, अफगानिस्तान, लिबिया, नीदरलैण्ड, न्यूजीलैंड, भूटान, व‌र्ल्ड बैंक के साथ ही भारत के विशेषज्ञों ने भाग लिया। इसमें पर्यावरण के साथ ही जैविक विविधता पर चर्चा हुई। विशेषज्ञों ने अपने-अपने अध्ययन को सबके सामने रखा।

कई मुद्दों पर रखी बात

एनसीजेडसीसी सभागार में आयोजित समिट का उद्घाटन चीफ गेस्ट राजस्थान के पूर्व राज्यपाल अंशुमान सिंह ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस दौरान व‌र्ल्ड बैंक के एडवाइजर गंगा स्ट्रेटेजिक प्रोजेक्ट कीस बोंस, लेफ्टिनेंट जनरल, डिप्टी डायरेक्टर थैंकसिन यूनिवर्सिटी थाईलैण्ड डॉ। मानित बूनप्रांग, पूर्व कुलपति एमजीसीवीवी चित्रकूट प्रो। ज्ञानेंद्र सिंह के साथ ही प्रो। आरके इसाक मौजूद रहे। प्रोफेसर राजेंद्र कुमार इसाक ने नदियों द्वारा प्रदान की गई नदी बेसिन प्रबंधन और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं पर जोर दिया।

जैव विविधता पर हुई चर्चा

तीन दिवसीय समिट में टेक्निकल सेसन, कीनोट, पोस्टर प्रेजेंटेशन, डिस्कशन के साथ ही नेशनल एक्सपर्ट्स मीट सेंटर ऑफ अट्रैक्शन रहा। सम्मेलन के दूसरे दिन प्रो। ज्ञानेंद्र सिंह ने जल और जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र के एजेंडे की चर्चा की। ओपन डिस्कशन में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने सुरक्षा और जैव विविधता यूएन एजेंडा 21 की नीतियों पर चर्चा की। आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से आए विशेषज्ञों ने विकास, जलवायु परिवर्तन और पारिस्थितिकी तंत्र की भूमिका और जैव विविधता संरक्षण, पुनर्वास से संबंधित संयुक्त राष्ट्र के एजेंडे को सामने रखा, जिस पर चर्चा हुई। विशेषज्ञों ने क्षतिग्रस्त पारिस्थितिक तंत्र की बहाली के सुझाव दिए।

Posted By: Inextlive