इंटरनेशनल यूथ डे पर ताजनगरी के ऐसे बुजुर्गों से आपको रूबरू कराएगा जिनकी बढ़ती उम्र सिर्फ एक संख्या है उनका जज्बा अभी भी जवान है। अपने कामों से यह बुजुर्ग अपने से आधी उम्र के लोगों के लिए नजीर बने हुए है।

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AGRA : आज के युवा आधुनिक दुनिया की दौड़ में अंधाधुंध दौड़ रहे हैं। टेक्नोलॉजी की बात हो या फिर स्मार्टनेस की। कोई युवा किसी से कम नही दिखना चाहता। यह  प्रतिस्पर्धा उन्हें बाहरी दुनिया में तो एक्टिव, लेकिन अंदर से खोखला बना रही है। युवा जरा सी हार को सहन नहीं कर पाते। ऐसे में दोबारा एक नया जीवन शुरू करने एवं दोबारा कठिनाइयों का सामना करने की युवाओं के अंदर शक्ति की तेजी से गिरने लगती है। समाज में तेजी से बढ़ रहे सुसाइड केसों की संख्या इसको जगजाहिर कर रही है। इन सबसे परे दैनिक जागरण-आईनेक्स्ट आज इंटरनेशनल यूथ डे पर ताजनगरी के ऐसे बुजुर्गों से आपको रूबरू कराएगा, जिनकी बढ़ती उम्र सिर्फ एक संख्या है, उनका जज्बा अभी भी जवान है। अपने कामों से यह बुजुर्ग अपने से आधी उम्र के लोगों के लिए नजीर बने हुए है।

60 पार में ले रहे संगीत की शिक्षा
बीएससी के छात्र रहे लालाराम तेंगुरिया की उम्र 60 पार है। वह बचपन से ही शर्मीले स्वभाव के रहे। शायद यही वजह रही कि कभी वह जगजाहिर ही नही कर पाए कि उनकी किस क्षेत्र में रूचि है। घरवालों की इच्छा के चलते बीएससी की। आगे चलकर जब जिम्मेदारियां बढ़ीं तो बिल्डिंग कांट्रेक्टर का काम शुरू कर दिया। लेकिन संगीत के प्रति उनके रूझान और प्रेम में कहीं कमी नहीं आई। फेसबुक के माध्यम से नटरांजलि थियेटर आट्र्स से संपर्क हुआ। संस्था निदेशक अल्का सिंह द्वारा तेंगुरिया ने भारतीय संगीतालय में प्रवेश लिया। जहां वह गायन और तबला सीख रहे है। कहते है कुछ भी सीखने की उम्र नहीं होती है। इन्हीं वक्तव्यों को चरितार्थ करते हुए तेंगुरिया न सिर्फ संगीत का विधिवत गहन
अध्ययन कर रहे हैं, बल्कि संगीतालय में होने वाले कार्यक्रमों के आयोजन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

जल संरक्षण के लिए कर रहे प्रेरित
पूरी उम्र सरकारी नौकरी में सेवा करने में लगा दी। राजस्थान इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड से चीफ इंजीनियर की पोस्ट पर से रिटायर्ड डॉ. प्रीतमदास अब समाजसेवा में लगे हुए है। प्रीतम दास थोड़ा ऊंचा सुनते हैं। शरीर भी अब कमजोर पडऩे लगा है, लेकिन जब प्रकृति से संबंधित कोई मुद्दा उठता है, तो नौजवान भी उनके आगे फेल नजर आते है। शायद यही कारण है कि प्रीतम दास 83 वर्ष की उम्र में दयालबाग में पेड़ पौधों के संरक्षण पर कार्य करने वाली संस्था स्फीहा के ज्वाइंट सक्रेटरी है। इसके साथ ही प्रीतम दास तेजी से गिर रहे भूगर्भ जलस्तर को संजोने में लगे हुए है। प्रीतम दास लोगों को रेनवॉटर हार्वेस्टिंग के लिए जागरूक कर रहे है। अभी तक वह 63 घरों में रेनवॉटर हार्वेस्टिंग प्लांट अपने प्रयास से लगवा चुके है। आगे भी इनका यह कार्य जारी है।


इस उम्र में भी पीठ पर लादते हैं बोरी

बढ़ती उम्र में अक्सर लोग अपने बच्चों पर आश्रित हो जाते है। शारीरिक क्षमता कमजोर के साथ ही वह खुद को मानसिक रूप से भी कमजोर समझने लगते है। जल्दी उठना और जल्दी सोना जैसे उनकी आदत में शुमार हो जाता है। ऐसी सोच रखने वाले लोगों के सामने नजीर पेश करते हुए भारत सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ लेबर से रिटायर्ड 72 वर्षीय एचएस मिश्रा खुद का काम करते ही हैं। साथ ही दयालबाग में चलने वाले हर सत्संग सेवा में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। 72 वर्ष की उम्र में भी सुबह पांच बजे उठते हैं। खेतों में जाते हैं और सेवा कार्य करते हैं। उम्र के इस पड़ाव पर जहां लोग चलना-फिरना मुश्किल समझते हैं। वहीं, एचएस मिश्रा इस उम्र में भी सौ किलों की बोरी पीठ पर लादकर गोदाम में काम करते है।


80 की उम्र में कर रहे निशुल्क इलाज

80 वर्षीय डॉक्टर विजय कुमार मुंबई के एयर इंडिया एंड हिंदुजा हॉस्पिटल में मेडिकल हेड के पद पर कार्यरत रहे हैं। पद पर रहते हुए डॉ. विजय ने हर मरीज के इलाज में हर संभव मदद करने का प्रयास किया। पद को छोडऩे के बाद डॉ। विजय अब चिकित्सा क्षेत्र में लोगों को निशुल्क चिकित्सा सेवा प्रदान कर रहे हैं। दयालबाग शिक्षण संस्थान के एनएसएस की ओर से हर रविवार लगने वाले चिकित्सा कैंप में डॉ। विजय लोगों का निशुल्क इलाज करते हैं। सुबह तीन घंटे मरीजों को देखते हैं एवं देहात में लगने वाले इन कैंपों के माध्यम से लोगों को सफाई, स्वच्छता एवं बीमारियों के प्रति जागरूक करते हैं। इसके साथ  ही दयालबाग में चलने वाले होम्योपैथी कॉलेज में अपना महत्वपूर्ण सहयोग देते है।

72 की उम्र में युवाओं जितना काम

बेटे की चाह में 83 साल के बुजुर्ग ने की 30 साल की लड़की से शादी, नाना की बारात में खूब नाचे नाती

Posted By: Shweta Mishra