Gorakhpur : बचपन में साइकिल चलाता था तो पंचर हो जाती थी आज चला रहा हूं तो डर लग रहा है कि कहीं आज फिर साइकिल पंचर न हो जाए. ये कहना है मध्य प्रदेश से निकलकर मुंबई का रास्ता पकडऩे वाले एक सीधे-सादे नौजवान का जो आज टीवी पर कॉमेडी की दुनिया का चमकता सितारा बनकर जगमगा रहा है. मुबीन खान 'सौदागर' अपनी लाजवाब टाइमिंग और मिमिक्री की बदौलत कॉमेडी की दुनिया में एक जाना माना नाम बन चुके हैं. बेसिकली एमपी से बिलांग करने वाले मुबीन ट्रांसपोर्ट का बिजनेस करने वाली फैमिली में पैदा हुए. उनमें बचपन से ही मिमिक्री का टैलेंट था. क्लास में अपने टीचर्स की नकल उतारने वाले मुबीन अब बॉलीवुड एक्टर्स को हूबहू कॉपी करते हैं. दोस्तों के एनकरेज करने पर उन्होंने एमपी में हुए एक कॉमेडी चैम्पियनशिप में पार्टिसिपेट किया और फस्र्ट प्राइज हासिल किया. एक बार मुंबई पहुंचने के बाद उन्होंने फिर पलटकर पीछे नहीं देखा.


पंचर करके साइकिल वापस करते थे दुकानदार कोमुझे याद है कि बचपन में मेरे पास साइकिल नहीं थी, हम पैदल ही स्कूल जाया करते थे। हम दोस्तों की एक टोली थी, जब हम लोगों को कहीं घूमने जाना होता था तो हम सब दोस्त घर के पास की एक साइकिल की दुकान से किराए पर साइकिल लेकर खूब मस्ती किया करते थे। उन दिनों एक रुपए में एक घंटे के लिए किराए पर साइकिल मिला करती थी। हम सब दोस्त जंगल घूमने के लिए किराए पर साइकिल लेकर निकलते और घंटो मस्ती करने के बाद हर बार पंचर साइकिल लाकर दुकानवाले को वापस कर देते। कई दिनों तक यही सिलसिला चलने पर उस दुकानदार ने हम लोगों को साइकिल किराए पर देना ही बंद कर दिया। अगूंठे पर आज भी है चोट का निशान
मैंने बाजार में दुकान भी लगाई है, मैं साइकिल के कैरियर में सामान बांध कर बाजार ले जाया करता था, उस वक्त मैंने फील किया कि साइकिल चलाने से मेरी सेहत में भी काफी फर्क पड़ रहा है। अपने बचपन में कई बार मैं साइकिल से गिरा, एक बार तो ऐसा बुरा एक्सीडेंट हुआ कि मेरे अंगूठे में फ्रैक्चर हो गया। उस चोट का निशान आज भी मौजूद है और मुझे मेरे बचपन की मस्ती की याद दिलाता रहता है।http://inextlive.jagran.com/video/standup-comedian-mubin-saudagar-wishes-bikeathon-2013-participants-201311090001सबको चलानी चाहिए साइकिलअब तो साइकिल चलाने का टाइम नहीं मिलता मगर जब भी मौका मिलता है तो साइकिल पर हाथ आजमाने से नहीं चूकता हूं। अब तो बच्चे बसों और कैब्स में स्कूल जाते हैं, साइकिल से स्कूल-कॉलेज जाने वाले बहुत कम रह गए हैं। हाईस्कूल पास करते ही टीनएजर पैरेंट्स से बाइक की डिमांड करने लगते हैं, बाइक मिलने के बाद तेज रफ्तार में रोड्स पर फर्राटा भरते नजर आते हैं जिस वजह से एक्सीडेंट्स होते हैं। इस ट्रेंड पर रोक लगनी चाहिए। मेरे ख्याल से साइकिलिंग एक ऐसी चीज है जो आपको फ्रेश रखती है। आजकल की तेज रफ्तार जिंदगी में हम सब की लाइफ से साइकिल दूर होती जा रही है, ऐसे में ये जरूरी है कि साइकिलिंग को प्रमोट किया जाए। साइकिलिंग से सेहत तो ठीक रहती ही है, एनवायर्नमेंट भी सेफ रहता है। आपके इस 'बाइकॉथनÓ इवेंट के बारे में सुनकर बहुत अच्छा लगा, अच्छी पहल है, इसे हमेशा कांटीन्यू रखिएगा।आई लव 'बाइकॉथन'


मुबीन कहते हैं कि आई नेक्स्ट का हीरो साइकिल्स प्रजेंट्स आई नेक्स्ट बाइकॉथन सीजन -5' इवेंट बहुत अच्छा इनीशिएटिव है। वे मानते हैं कि इससे यूथ में तो साइकिलिंग के लिए अवेयरनेस बढ़ेगी ही, सोसायटी में भी इससे एक अच्छा मैसेज जाएगा। उन्होंने आई नेक्स्ट को 'बाइकॉथन' के लिए अपनी बेस्ट विशेज देते हुए कहा कि वे इस इवेंट का पूरी तरह सपोर्ट करते हैं और साइकिलिंग को प्रमोट करने के लिए वे हमेशा अवेलबल रहेंगे।

Posted By: Inextlive