एस्ट्रो अंकल के नाम से मशहूर पवन सिन्हा एक प्रोग्राम के सिलसिले में शहर आए हुए थे. हमारे रिपोर्टर अंबर चतुर्वेदी ने उनसे बात की.


इस फील्ड में आने का विचार कैसे आया?  मेरे पैरेंट्स रिलीजियस थे। घर में पहले से विभिन्न विषयों पर डिस्कशन होते थे। फैमिली मेंबर्स इसमें पार्टिसिपेट करते थे। इस तरह से धीरे-धीरे आध्यात्म के प्रति मेरी रुचि बढऩे लगी। कुछ दिनों बाद मैं घर छोड़ कर ऋषिकेश चला गया। वहां कुछ अच्छे लोगों के संपर्क में आने के बाद मुझे ये अहसास हुआ कि गृहस्थ आश्रम में रहकर मुझे समाज के लिए बहुत कुछ करना है।इस फील्ड में आने के लिए किसने मोटीवेट किया?


मुझे बचपन में अक्सरहां एक सपना आता था। सपने में मुझे एक संत दिखाई देते थे। एक बार की बात है। उस वक्त मैं 8वीं क्लास का स्टूडेंट था। मुझे डिबेट कॉम्पिटिशन में पार्टिसिपेट करने के लिए मुरादाबाद जाना था। वहां मैंने पोस्टर में एक व्यक्ति देखा, वही व्यक्ति मेरे सपने में आते थे। वह व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि स्वामी विवेकानंद थे। लकली मुझे प्राइज में जो बुक मिली वो भी उन्हीं पर बेस्ड थी। उसने ही मुझे मोटीवेट किया।यूथ पर पडऩे वाले असर की मेन वजह क्या है?

अभी मैं आध्यात्मिक क्रांति पर काम कर रहा हूं। प्रेजेंट टाइम में हम यूथ की शिकायत कर रहे हैं। दरअसल यह उनकी गलती नहीं है। परिवार में होने वाले टकराव के लिए पैरेंट्स ही जिम्मेदार हैं। उन पर पडऩे वाले असर की मेन वजह परिस्थिति है।ज्योतिष और साइंस के बारे में आपका क्या विचार है?सोसाइटी में तीन किस्म के लोग होते हैं। एक तो वे जो अंधभक्त होते हैं। दूसरे वे जो रेशनलिज्म होते हैं। जबकि तीसरे वे जो मध्यमार्गी होते हैं। मैं मध्यमार्गी लोगों को ही वरीयता देता हूं। ये वे लोग हैं जो साइंस के साथ-साथ आध्यात्म को भी मानते हैं। थर्सडे को पांच ग्रह एक दिशा में आने वाले हैं। इसका क्या इंपेक्ट पड़ेगा?इन सबके पीछे का रीजन आने वाला चंद्रग्रहण है। पांच ग्रह एक दिशा में आने से हड्डी में घुसने वाली ठंड बढ़ेगी। कुछ इलाकों में बूंदाबांदी के आसार हैं। देश में तनाव बढ़ेगा। कुछ नई नीतियां बनेंगी। जबकि महंगाई में इजाफा होगा।आपकी हॉबीज क्या हैं?मुझे रीडिंग, ट्रैवलिंग, म्यूजिक सुनने और क्रिकेट, बैडमिन्टन खेलने का शौक है। मुझे एनसीसी से सी सर्टिफिकेट भी मिला है। मुझे जब भी समय मिलता है मैं बारी-बारी से इन सब का लुत्फ उठाता हूं।खुद के बारे में आपका क्या विचार है?

अभी बहुत कुछ सीखना-पढऩा है। क्योंकि सीखने की कोई उम्र नहीं होती है। मैं इगो के बिना सीखना चाहता हूं। इगो हर इंसान की कमजोरी है।आप स्टूडेंट्स को क्या मैसेज देना चाहेंगे?   कुछ बनने के लिए सपने का होना जरूरी है। सपने को हकीकत में बदलने से पहले उन्हें इसका ध्यान होना चाहिए कि वे समाज के लिए क्या करेंगे। क्योंकि वहीं देश के फ्यूचर हैं। इसलिए देश के बारे में सोचना उनका कर्तव्य है।

Posted By: Inextlive