- विंडर मेयर थियेटर में कलाकारों ने नाटक के माध्यम से बयां किया भारत-पाकिस्तान विभाजन का दर्द

- कलाकारों ने समझाया इस्लाम का महत्व, पेश की आपसी सौहार्द की मिशाल

बरेली : जिस समय देश के टुकड़े हो रहे थे, हर किसी के जहन में इस विभाजन से दरारें आ गई थीं, इसी विभाजन के दर्द को जब कलाकारों ने नाटक के माध्यम से संडे को विंडर मेयर थियेटर में बयां किया तो ऑडिटोरियम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. दिल को भेदने वाले बोल और कलाकारों भावुक मंचन से हर कोई रोमांचित हो रहा था. संस्कृति मंत्रालय की व्यक्तिगत अनुदान परियोजना के अंतर्गत हिंदी के प्रख्यात नाटककार असगर वजाहत के जिस लाहौर नई देख्या, ओ जम्याइ नई नाटक में दिखाया गया कि किस प्रकार विभाजन के बाद दोनों देशों के लोगों में एक-दूसरे के प्रति बदले की भावना का गुबार भर गया था.

इसको कलाकारों ने बखूबी दर्शाया. विभाजन के बाद पाकिस्तान के लाहौर शहर में एक मकान में अधेड़ मां का बेटा तो भारत आ जाता है लेकिन वह मां पाकिस्तान में रहकर बेटे के लौट आने की राह में जिंदगी गुजारने लगती है. जहन को झकझोर देने वाले कृत्य यह था कि जिस मकान वह अधेड़ मां रहती है उस पर विभाजन के बाद एक मुस्लिम परिवार का कब्जा हो जाता है लेकिन वह भी पाकिस्तान के नहीं बल्कि भारत के लखनऊ के रहने वाले होते हैं. विभाजन की कड़वाहट इस कदर इस भारतीय परिवार के लोगों दिलों में भर जाती है कि वह मकान पर कब्जा जमाने के लिए उस अधेड़ महिला को मारने की योजना बनाने लगते हैं. लेकिन वह कहते हैं न कि प्यार में वह ताकत है जो पत्थर को भी पिघला सकती है. ऐसा ही कुछ इस नाटक के अंत में हुआ कि इस अधेड़ मां का बेटा भले ही इस विभाजन की भेंट चढ़ गया लेकिन उसके प्यार के दीप से पाकिस्तान में भी दिवाली मनाकर आपसी सौहार्द की मिशाल पेश की.

इन कलाकारों ने किया अभिनय

कमला घले, दीक्षा अग्रवाल, मौलश्री शरद, पीके अस्थाना, मोनिस हिदायत, एके अरोड़ा, अमित गंगवार, सुमोन्त डे, इलियास गाजी, यश ठाकुर, प्रशांत सिंह, हृदेश प्रताप सिंह व सुबोध शुक्ला समेत अन्य कलाकार भी शामिल रहे.

यह रहे मौजूद

कर्नल एमसी पंत, ब्रजवासी लाल अग्रवाल, अरविंद अग्रवाल, डॉ. ब्रजेश्वर सिंह, डॉ. गरिमा सिंह, डॉ. शालिनी अरोड़ा, डॉ. धीरेंद्र कुमार शर्मा, राजेश कुमार त्रिपाठी आदि मौजूद रहे.

Posted By: Radhika Lala