बनारसी साड़ी और इंडियन प्रीमियर लीग में क्या रिलेशन है? सवाल आपको भले ही मजाकिया लगे मगर सच ये है कि रिलेशन है बहुत तगड़ा. जैसे-जैसे आईपीएल का फीवर बढ़ता है बनारसी साड़ी इंडस्ट्री में धंधा चौपट होता जाता है. वजह सिर्फ एक है वो है सट्टेबाजी. अब आप सोच रहे होंगे कि ये सट्टेबाजी से साड़ी इंडस्ट्री का का क्या रिश्ता? यही तो आज समझाने जा रहे हैं हम..


बनारसी साड़ी पर भारी IPL की हर पारी पावरलूम और साड़ी इम्ब्रायडरी मशीन ओनर शाहिद जमा इन दिनों काफी परेशान है। वजह है वर्कर्स की कमी। लूम और मशीन दोनों रोज ही किसी दिन पांच तो किसी दिन 10 घंटे तक बंद रहती हैं। इनके ऑपरेटर्स तो गायब हो जाते हैं। ऑपरेटर्स को ज्यादा कुछ बोला भी नहीं जा सकता क्योंकि ऐसा करने पर वह पूरे दिन के लिए भी गायब हो सकते हैं। मशीन और लूम ऑपरेटर्स दोपहर बाद ही निकल लेते हैं। शाहिद को अच्छी तरह पता है कि ऐसा क्यों है। वह सीधे कहते हैं कि ये सब सट्टेबाजी में बिना तबाह हुए नहीं मानने वाले। रोज मैच होता है तो रोज ही निकल जाते हैं और कहीं किसी के घर बैठ कर सट्टेबाजी में डूबे रहते हैं। गजब का है चक्का


रेवड़ी तालाब निवासी और लूम ओनर अतीक अंसारी भी सट्टेबाजी से परेशान है। काम का ऑर्डर तो है मगर काम करने वाले नहीं है। अतीक भी मानते हैं कि पिछले दो-तीन साल से बुनकर आईपीएल के दौरान सट्टेबाजी में पूरी तरह तल्लीन हो जाते हैं। इसका असर पूरी बनारसी साड़ी मंडी में पड़ता है। इसमें बड़े कारोबारी से लेकर बुनकर तक के इन्वॉल्वमेंट से पूरी इंडस्ट्री सफर करती है। अतीक खुद मानते हैं ना जाने ये कैसा चक्का है कि अपनी रेगुलर कमाई छोड़ लोग इसके पीछे भागते हैं और पिछले सालों में उन्होंने ये भी महसूस किया कई बुरी तरह से फाइनेंशियली बरबाद हो गए। साड़ी कारोबार को दूसरा झटकावैसे तो अपने सिटी में आईपीएल के दौरान सïट्टेबाजी शबाब पर होती है। ये किसी से छुपा नहीं है। बावजूद इसके इस बार आईपीएल में सट्टेबाजी से बनारसी साड़ी कारोबारी को साल का दूसरा सबसे बड़ा झटका लगा है। साड़ी कारोबार से करीब दस लाख लोग जुड़े हैं। डेली 50 से 60 करोड़ रुपये का कारोबार होता है। इस इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का अनुमान है कि इन दिनों कारोबार आधा हो गया है। यह हालत तब तक रहेगी जब तक आईपीएल चलेगा। पहले आंध्र ने किया था शॉक्ड

अभी तक साड़ी कारोबार मार्च की मंदी से पूरी तरह से उबर नहीं पाया है। मार्च में कारोबार 40 परसेंट तक गिर गया था। वजह थी आंध्र प्रदेश में सभी तरह के टेक्सटाइल्स कारोबारियों की हड़ताल। इस हड़ताल की वजह से बनारसी साड़ी इंडस्ट्री को करोड़ों रुपये की मार पड़ी थी। रही सही कसर अब आईपीएल ने पूरी कर रहा है। वर्कर्स से लेकर ओनर और काफी संख्या में गद्दीदार सट्टेबाजी पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं और धंधे पर कम। गद्दियों पर भी सट्टेबाजी बनारस में कई ऐसी जगहें भी हैं जहां कुछ दिन पहले तक बनारसी साड़ी के लिए बोली लगती थी वहां अब टीवी स्क्रीन पर मैच देखते हुए स्कोर, हार-जीत या मैच के सेशन पर बोली लग रही है। काफी गद्दीदार अपने गद्दी पर ही इस गेम में ज्यादा वक्त दे रहे हैं क्योंकि ये उनके लिए सेफ भी है। गद्दीदार अब ऑर्डर भी नहीं ले रहे क्योंकि उन्हें पता है कि लूम वाले या दूसरे वर्कर्स काम के लिए नहीं मिलेंगे। अब तो भी काम होगा, आईपीएल के बाद.   सट्टेबाजी शबाब पर -आईपीएल की शुरुआत के साथ सिटी में सïट्टेबाजी शबाब पर है। -टीमों की हार-जीत पर सïट्टा लग रहा है।-बैट्समैन के स्कोर की बोली लग रही है।-बॉलर्स के विकेट लेने पर दाव लगाए जा रहे हैं।-बिजनेसमेन सïट्टेबाजी में रुपये लगा रहे हैं।-वर्किंग परसन की मेहनत भी लग रही है।-बेरोजगार भी पीछे नहीं हैं।-सिटी के बिजनेस पॉइंट पर इन दिनों माल के बजाय टीमों के रेट पर चर्चा हो रही है।-चाय-पान की अड़ी पर मैच पर ही माथापच्ची होती है।

-ऑफिसेज भी इस माहौल से अलग नहीं हैैं।सब भरोसे का खेल - सट्टेबाजी में रोजाना करीब 50 लाख रुपये का होता है वारा-न्यारा।- सिटी में करीब आधा दर्जन है मास्टर सटोरी तो मुम्बई और कोलकाता से लेकर भाव ओपन करते हैं।- हर मास्टर सटोरी के नीचे अलग-अलग एरिया में करीब आधा से एक दर्जन लोकल सटोरी होते हैं जो भाव को अपने नीचे काम करने वाले बुकिंग वालों तक पहुंचाते हैं। - बुकिंग करने वाले ही सट्टेबाजों से डायरेक्ट लिंक में होते हैं और एक सट्टा खेलने वाले तक उसका प्रॉफिट पहुंचाना और वहां से कैश कलेक्ट करना इनका काम होता है। - बुकिंग करने वाले हर सट्टा खेलने वालों का रजिस्टर मेंटेन करते हैं और हर सट्टेबाज से फोन से मिलने वाले ऑर्डर की रिकार्डिंग भी रखते हैं। - हर सट्टा खेलने वालों की एक क्रेडिट लिमिट होती है। इस क्रेडिट लिमिट तक उसे हार के दौरान दांव लगाने का मौका मिलता रहता है। क्रेडिट लिमिट क्रास करने पर उसे बिना पेमेंट किये दांव लगाने का मौका नहीं मिलता।
- सट्टेबाजी का पूरा गेम खास मोबाइल नम्बर्स के जरिये ही होता है। सट्टा खेलने वाले का जो मोबाइल नम्बर बुकिंग वाले के पास होगा, वह सिर्फ उसी नम्बर से भाव देगा और ऑर्डर लेगा। - ये पूरा गेम काफी फेयर होता है। कोई कितनी भी बड़ी रकम जीत ले, उसे बुकिंग करने वाले अगले ही दिन पेमेंट दे देते हैं। जबकि हारने वालों से उन्हें वसूलना भी अच्छी तरह आता है। सट्टेबाज और अड्डे- गोलघर, चौक, ठठेरी बाजार, मदनपुरा स्थित साड़ी कारोबारी सट्टेबाजी में खास इंटरेस्ट लेते हैं। - दालमंडी, दवा मंडी, बेनियाबाग, नई सड़क, पाण्डेयपुर और विशेश्वरगंज मंडी के कारोबारी भी हैं दांव लगाने वाले। -सिटी के कई और स्थानों भेलूपुर, सिगरा, महमूरगंज, दशाश्वमेध और चेतगंज भी जमकर चल रहा कारोबार। -पाण्डेयपुर, हुकुलगंज, नईबस्ती, दौलतपुर, लालपुर, अर्दली बाजार समेत कई कॉलोनियों में सïट्टा लग रहा हैकैसे होता है ये खेल- सïट्टेबाजी की शुरुआत मैच शुरू होने के पहले से ही हो जाती है। - यदि मैच कमजोर व मजबूत टीम के बीच होती है तो मजबूत टीम की जीत पर रुपये लगाने वाले को कम रुपये मिलते हैं।-जैसे मजबूत टीम की जीत पर एक हजार रुपये लगाने वाले को 1200 या डेढ़ हजार रुपये ही मिलेंगे।- कमजोर टीम की जीत पर एक हजार लगाने वाले को तीन हजार या पांच हजार भी मिल सकते हैं। - पूरा खेल इस बात पर है कि जिस बात की संभावना ज्यादा होगी, उसे पर कम फायदा दिया जाएगा और जिस बात की संभावना कम होगी उस पर दांव लगाने वालों ज्यादा फायदा दिया जाएगा। - मैच की हार-जीत पर दांव सामान्य सट्टेबाजी है जबकि मैच के दौरान हर पांच ओवर के सेशन के लिए दांव लगाना बड़े सट्टेबाजों की निशानी है। सेशन में अगले पांच ओवर में बैटिंग करने वाली टीम कितना रन बना लेगी, विकेट गिरेगा या नहीं, बॉलर को सफलता मिलेगी या नहीं, बैट्समेन चार रन या छह रन मारेगा या नहीं, इन बातों पर दांव लगता है। - मैच की दोनों पारियों के दौरान टोटल कितने विकेट गिरेंगे? कितने चौक्के-छक्के लगेंगे? एक्स्ट्रा में कितने रन जाएंगे? इन बातों पर भी दांव लगता है। - मैच के रिजल्ट पर सïट्टा के लिए भाव एक-दो दिन पहले ही आ जाता है जबकि मैच के दौरान सेशन के लिए भाव कुछ मिनट पहले ओपन होता है। रेट ओपन होते ही सट्टा लगाने वाले को ऑर्डर बुक करना पड़ता है। -बनारस में बैठे सटोरियो को टोटल बिजनेस का 10 परसेंट तक प्रॉफिट मिलता है, चाहे कोई जीते या हारे। वह अपने नीचे के लोकल सटोरी को इसमें से 5 परसेंट तक देता है जबकि बुकिंग करने वाले दो परसेंट पर काम करते हैं। किसका भाव ज्यादा-किसका कमभाव कम: मुम्बई इंडियन, चेन्नई सुपरकिंग्स, राजस्थान रॉयल्स, रॉयल चैलेंजर बेंगलुरू, कोलकाता नाइट राइडर्स (इनके जीत की संभावना ज्यादा रहती है इसलिए इनकी जीत पर दांव लगाने पर कम प्रॉफिट मिलता है.)भाव ज्यादा: पुणे वॉरियर्स, दिल्ली डेयरडेविल्स, किंग्स इलेवन पंजाब, सनराइजर्स हैदराबाद (इनके जीतने की संभावना कम होने की वजह से इन पर दांव लगाने वालों को ज्यादा प्रॉफिट दिया जाता है.)हर दम नए पंछी की तलाशसटोरियों की कोशिश होती है कि मैच के दौरान अधिक से रुपये का सïट्टा लगे। इसके लिए वह कई लोकल सटोरी बनाता है। लोकल सटोरी बुकिंग एजेंट बनाते हैं। बुकिंग एजेंट उन्हें बनाया जाता है जो लेन-देन में अच्छे रिकार्ड वाले हों, उनका सोशल नेटवर्क अच्छा हो और पैसा वसूल करना जानते हो। कुछ एजेंट नये लोगों को पहली कुछ बोली पर उन्हें जानबूझकर जीत भी दिला देते हैं ताकि अधिक कमाई के चक्कर में वह अधिक रुपये लगाए।  ''आईपीएल मैच पर सïट्टेबाजी की वजह से साड़ी कारोबार पर असर पड़ रहा है। कारोबारी इसमें रुपये लगा रहे हैं। कारोबार पर उनका ध्यान कम है। पिछले कई दिनों से गिरावट के बाद सट्टेबाजी का झटका काफी तगड़ा है। अतीक अंसारी, पॉवरलुम ओनरसाड़ी मार्केट का माहौल इन दिनों काफी बदल गया है। अब माल पर चर्चा कम होती है। आईपीएल मैच में सïट्टेबाजी पर बात अधिक होती है। सट्टेबाजी पर काफी रुपये लगा रहे हैं। किस टीम पर रुपये लगाने से फायदा होगा इस पर हर किसी की नजर होती है। राजू पाल साड़ी गद्दीदार

Posted By: Inextlive