मलेशिया एयरलाइंस के बोइंग 777 विमान को ग़ायब हुए दस दिन से ज्यादा हो चुके हैं लेकिन विमान के बारे में अभी तक कुछ भी पता नहीं चल सका है. सोशल मीडिया पर इस विमान के बारे में अलग-अलग के अनुमान जताए जा रहे हैं.


इन्हीं अनुमानों के बारे में कुछ पूर्व पायलट और विमानन विशेषज्ञ की राय.1. अंडमान में लैंडिंगऐसा माना जा रहा है कि विमान भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की दिशा में जा सकता है. अंडमान में किसी ख़तरे की आशंका कम होने के कारण वहां सेना का रडार बंद हो सकता है. हालांकि अंडमान क्रानिकल अख़बार के संपादक अंडमान में विमान के होने की संभावना को ख़ारिज करते हैं.उन्होंने सीएनएन को बताया कि भारतीय सेना यहां निगरानी करती है और वो बिना जानकारी के किसी विमान को यहां लैंड करने की इजाज़त नहीं देगी. लेकिन यहां 570 से अधिक द्वीप हैं और उनमें से 36 में ही इंसानी बस्तियां हैं.


बोइंग 777 के एक पूर्व पायलट स्टीव बज़्दीगान बताते हैं कि अगर विमान को चोरी किया गया है तो उसे छिपाने के लिए यह सबसे बेहतर जगह है. यह कठिन है, लेकिन असंभव नहीं. उन्होंने कहा कि अगर यह विमान सही सलामत लैंड कर गया होगा, तो भी इस हालत में नहीं होगा कि दोबारा उड़ान भर सके.2. विमान पाकिस्तान में है

उत्तर की ओर कज़ाकस्तान में इस विमान के जाने की आशंका भी जताई जा रही है. लाइट एयरक्राफ्ट पायलट और 'व्हाई प्लेन क्रैश' पुस्तक के लेखक सेल्विया रिगले बताते हैं कि समुद्र तट या किसी दूसरी जगह के मुक़ाबले रेगिस्तान में लैंडिंग अधिक संभव है. लेकिन कज़ाक सिविल एविएशन कमेटी ने समाचार एजेंसी रायटर्स को बताया है कि अगर विमान कज़ाकस्तान आता तो पकड़ा जाता. दूसरी बात ये है कि कज़ाकस्तान जाने के लिए विमान को भारत, पाकिस्तान और अफ़गानिस्तान जैसे देशों से होकर गुज़रना पड़ता. लेकिन ये भी हो सकता है कि उनकी रडार प्रणाली पुरानी होने के कारण अनजाने विमान के बारे में उन्हें पता ही न चल पाया हो.5. दक्षिण की ओर जाने का अनुमानअंतिम सैटेलाइट 'पिंग' से पता चलता है कि विमान मलेशियाई रडार से लापता होने के बाद क़रीब पांच या छह घंटे तक उड़ता रहा. एयरपोर्ट ग्रुप बीएए के पूर्व समूह सुरक्षा प्रमुख नार्मन शैंक्स ने बताया कि रडार की नज़र से बचने के लिए विमान के दक्षिणी गलियारे की ओर जाने की आशंका ज्यादा है. ऐसे में पहले वह हिन्द महासागर से गुजरा होगा और फिर उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के निर्जन इलाक़े में पहुँचा होगा. हो सकता है कि ईँधन समाप्त होने के बाद वह ऑस्ट्रेलिया के उत्तर में समुद्र में दुर्घटनाग्रस्त हो गया होगा.6. उत्तर पश्चिम चीन का तक्लामाकन रेगिस्तान


एविएशन ब्लॉगर कीथ लेजरवुड का मानना है कि लापता विमान सिंगापुर एयरलाइंस की फ्लाइट 68 की छाया में छिप गया होगा. उनकी दलील है कि दोनों विमान आसपास ही थे. यूनीवर्सिटी कालेज लंदन के रडार विशेषज्ञ प्रोफ़ेसर ह्यूग ग्रीफिथ ने बताया कि ऐसा हो सकता है, लेकिन सैन्य और नागरिक रडार में अंतर होता है. सैन्य रडार की क्षमता अधिक होती है और ऐसे में दोनों विमानों को बेहद नज़दीक होना होगा. लेकिन इस बात पर निर्भर करता है कि लैंड कंट्रोल इसे किस तरह लेता है. साल 1941 में जापानी विमानों ने पर्ल हार्बर को निशाना बनाया था तो वे अमरीकी रडार की पकड़ में आ गए थे लेकिन इसे यह कहकर ख़ारिज कर दिया कि अमरीका की मुख्य भूमि से बमबर्षक आ रहे हैं.9. अपहरण के कारण दुर्घटना
एक आशंका ये भी है कि विमान के अपहरण कोशिश की गई हो और इस दौरान विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया हो. बज़्दीगान कहते हैं कि विमान के तेज़ी से ऊपर नीचे होने से इस बात की आशंका है कि कहीं कुछ गड़बड़ ज़रूर थी. 9/11 के बाद अपहरण की आशंका को कम करने के लिए कॉकपिट के दरवाजे को मजबूत बनाया गया है लेकिन भी इसे खोला जा सकता है.10. यात्रियों को मार दिया गया होब्रिटेन की शाही वायुसेना के पूर्व नेविगेटर सीन मैफ़ेट के मुताबिक़ एक अनुमान यह भी है कि हवाई जहाज़ को 45,000 फ़ीट की ऊंचाई पर ले जाया गया हो. मकसद यात्रियों को मारना रहा होगा. ऊंचाई पर ले जाने की वजह ये रही होगी कि यात्री मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल न कर पाएं. इतनी ऊँचाई पर ऑक्सीजन मास्क का इस्तेमाल किया गया होगा लेकिन 10-15 मिनट के इस्तेमाल के बाद गैस ख़त्म हो गई होगी. इसके बाद कार्बन डाई ऑक्साइड के प्रभाव से यात्री पहले बेहोश हो गए हों और फिर मर गए हों. सवाल उठता है कि ऐसी स्थिति में केबिन में मौजूद लोग भी मारे जाएंगे.

Posted By: Subhesh Sharma