-शनिवार से सोमवार की सुबह तक कानपुराइट्स को लग चुके हैं 55 शॉक

- ऑफ्टर शॉक के बाद बराबर की तीव्रता का झटका रेयर केस

KANPUR:

इंडियन और यूरेशियन टेक्टॉनिक प्लेट्स के एडजस्टमेंट से फिर झटके लग सकते हैं। शनिवार को 7.9 रिक्टर स्केल के झटके के बाद अभी तक तीन दिन में भ्भ् शॉक लग चुके हैं। सोमवार की सुबह भी ब् इनटेंसिटी का झटका आया था। कानपुर में करीब भ् इनटेंसिटी रही थी। अगर इनटेंसिटी 7 के आसपास होती तो कोहराम मच जाता। अहम बात यह है कि मेन झटके बाद आफ्टर शॉक कभी उस तीव्रता के नहीं आते हैं। लेकिन दो बार हिस्ट्री में ऐसा हुआ जब मेन व आफ्टर शॉक के झटके लगभग बराबर की तीव्रता वाले रहे हैं।

एडजस्टमेंट में झटका लग सकता है

आईआईटी सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के अर्थक्वेक इंजीनियरिंग एक्सपर्ट प्रो। दुर्गेश चन्द्र राय ने बताया कि इंडियन टेक्टानिक और यूरेशियन टेक्टानिक प्लेट्स के बीच एडजस्टमेंट में फिर जोर का झटका लग सकता है। लेकिन इसकी संभावना कम होती है। आफ्टर शाक जो झटके आते हैं वह उन प्लेटों के आपस में हल्की फुल्की टकराहट होने के वजह से आते हैं। तीन दिन में भ्भ् आफ्टर शॉक लग चुके हैं। सोमवार की सुबह करीब म् बजे भी झटका आया था। जिसकी इनटेंसिटी फ् से ब् के बीच थी।

रेयर केस में ऐसा होता है

अर्थ क्विक इंजीनियरिंग के एक्सपर्ट प्रोफेसर दुर्गेश चन्द्र राय ने बताया कि ऐसा बहुत कम होता है कि मेन शॉक के बराबर ही आफ्टर शॉक आते हों। हालांकि ताईवान और टर्की में इस तरह की घटना हो चुकी है। इन दोनों स्थानों पर झटके इयर क्999 में लगे थे। लेकिन झटके मेन के बराबर ही आए थे। इसके बाद इतिहास में कभी ऐसी घटना देखने को नहीं मिली है।

आशियाना बनाने में कॉन्फाइन्ड टेक्निक का यूज करें।

अगर कोई आशियाना बना रहा है तो फिर उसे भूकंपरोधी टेक्नोलॉजी का यूज करना चाहिए। ऐसा करने पर वह अपने साथ फैमिली को भी सुरक्षित कर लेगा। कॉन्फाइन्ड भवन निर्माण टेक्नोलॉजी का यूज सभी को करना चाहिए। यह टेक्नोलॉजी काफी पुरानी है। इसमें टाई बीम का अहम रोल होता है। इसमें दीवार के चारों तरफ हॉजर्ेंटल व वर्टिकल मेंबर्स का यूज किया जाता है। जिसे टाइम बीम कहा जाता है। राष्ट्रीय भूकंप अभियांत्रिकी सूचना केंद्र के पास यह टेक्नोलॉजी उपलब्ध है।

Posted By: Inextlive