- 2004 में घुड़सवारी के दौरान हुआ था पैर में फै्रक्चर

- डॉक्टर की हिदायत के बावजूद नहीं छोड़ी घुड़सवारी

- स्टेट व नेशनल चैंपियनशिप में अब तक जीते दर्जनों मेडल व ट्राफियां

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LUCKNOW: कहावत है हिम्मत-ए-मर्दामदद-ए-खुदाइसका मतलब है कि जो शख्स हिम्मत करता है ईश्वर भी उसकी मदद करता है। इस कहावत को खुद के ऊपर पूरी तरह फिट किया है लखनऊ घुड़सवार पुलिस के प्रभारी सब इंस्पेक्टर शिवाजी दुबे ने। घुड़सवारी के दौरान ही पैर में सीरियस फ्रैक्चर के बाद डॉक्टर ने उन्हें घुड़सवारी न करने की सलाह दी। पर, उन्होंने इस सलाह को दरकिनार कर अपनी प्रैक्टिस जारी रखी और अब तक स्टेट से लेकर नेशनल चैम्पियनशिप तक में दर्जनों मेडल व ट्राफियां अपने नाम कर चुके हैं। अपनी उपलब्धियों के बल पर दो आउट ऑफ टर्न प्रमोशन पा चुके शिवाजी तीसरे प्रमोशन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। पर, इस बार का उनका इंतजार काफी भारी पड़ रहा है।

पीएसी में हुई थी भर्ती

जौनपुर के मुंगराबाद, शाहपुर निवासी कोरियर व्यवसायी जगनारायण दुबे के दो बेटों में बड़े बेटे शिवाजी दुबे क्998 में पीएसी में जवान के पद पर भर्ती हुए। पांच साल तक पीएसी में नौकरी की पर, खेल के क्षेत्र में कुछ करने का जज्बा उनके भीतर लगातार हिलोरें मारता रहा। ख्00फ् में पुलिस हेडक्वार्टर की ओर से घुड़सवार पुलिस के लिये डिपार्टमेंटल वांट्स निकली। शिवाजी ने फौरन इसके लिये अप्लाई किया। जिसके बाद शिवाजी का सेलेक्शन घुड़सवार पुलिस के लिये हो गया।

पहले साल ही जीता मेडल

सेलेक्शन होने के बाद शिवाजी ने मुरादाबाद स्थित पुलिस ट्रेनिंग अकादमी में तीन महीने की ट्रेनिंग ली और ख्00ब् में इलाहाबाद में पोस्टिंग मिल गई। पोस्टिंग मिलते ही शिवाजी ने घुड़सवारी कंपटीशन के लिये तैयारी शुरू कर दी। मेहनत और जज्बे का ही परिणाम था कि उसी साल स्टेट कंपटीशन में टेंट पेगिंग में गोल्ड मेडल हासिल हो गया। इसके बाद तो मेडल और ट्राफियां जीतना जैसे आम बात हो गई। महज दो साल में नेशनल और स्टेट कंपटीशन में आधा दर्जन गोल्ड और इतने ही सिल्वर मेडल हासिल कर लिये।

प्रैक्टिस के दौरान पैर हुआ फ्रैक्चर

ख्00म् में ऑल इंडिया कंपटीशन की तैयारी के दौरान बाई जांघ की हड्डी में सीरियस फ्रैक्चर हो गया। हड्डी इस बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हुई कि ऑपरेशन कर रॉड व प्लेट डालनी पड़ी। छह महीने तक चलने-फिरने के भी लाले लग गए। डॉक्टर्स ने अब आगे घुड़सवारी करने से साफ मना कर दिया। पर, शिवाजी ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने डॉक्टर्स की हिदायत को दरकिनार कर नये सिरे से प्रैक्टिस शुरू की। इसी बीच तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार ने शिवाजी की उपलब्धियों को सम्मान देते हुए उसे हेडकॉन्सटेबल पद पर आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दे दिया। प्रमोशन मिलने पर शिवाजी दोगुने उत्साह से कंपटीशन की तैयारियों में जुट गए और एक के बाद एक दर्जनों मेडल व ट्राफियां जीतते चले गए। उनकी इसी उपलब्धियों को देखते हुए ख्0क्0 में उन्हें दूसरा आउट ऑफ टर्न प्रमोशन सब इंस्पेक्टर की पोस्ट पर हो गया।

वाइफ को है शिवाजी पर गर्व

शिवाजी की वाइफ सरिता दुबे को पति पर भारी गर्व है। सरिता कहती हैं कि जब उनके पति किसी कंपटीशन में पार्टिसिपेट करने जाते हैं तो उन्हें पहले से विश्वास होता है कि वे मेडल तो जरूर जीत कर आएंगे। सरिता का सपना है कि शिवाजी विदेश में आयोजित होने वाले कंपटीशन में भाग लें और देश का नाम रोशन करें।

Posted By: Inextlive