Kanpur: स्वरूपनगर में रहने वाले बिजनेसमैन राहुल कपूर की पत्नी मानसी ने बेटे को जन्म दिया. वह हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के बाद घर पहुंची थी कि किन्नरों की एक टोली वहां पहुंच गई. वे ताली बजाकर घरवालों नेग रुपए मांगने लगे. राहुल ने खुशी से उनको ग्यारह सौ रुपए दिए तो वे उखड़ गए और रुपए फेंक दिए. बोले सोने की चेन और 11 हजार लेंगे. राहुल हर तरीके उन्हें समझाया और ने इतने रुपए देने में असमर्थता जताई लेकिन वो जिद पर अड़े रहे. जिद मनवाने के लिए अब उन्होंने अश्लीलता भी शुरू कर दी. राहुल के हाथ जोडऩे पर उन लोगों 5000 रुपए कम कर दिए. लेकिन किन्नर नहीं माने और बद्दुआ की धमकी देने लगे. अश्लीलता की सारी हदें पार कर दीं. महिलाएं शर्म से घर के अन्दर चली गई. मोहल्ले वालों की भीड़ जमा हो गई. आखिर मुंहमांगा नेग मिलने पर ही किन्नर शांत हुए. ऐसा सिर्फ राहुल के साथ नहीं हुआ बल्कि रोजाना सैकड़ों लोग किन्नरों की ज्यादती का शिकार होते हैं. पुलिस भी इनके मामले में हाथ नहीं डालने से बचती है.


खुशी-खुशी दे दिया तो ठीक वरनामान्यताओं के मुताबिक किन्नर को ये वरदान मिला है कि उनकी हर दुआ और बद्दुआ जल्द पूरी होती है। जिसे वे हथियार के रूप में इस्तेमाल करने लगे हैं। वे पहले तो प्यार से नेग मांगते है। अगर उनको मुंह मांगी नेग मिल जाती है, नाच-गाकर और आशीर्वाद देकर चले जाते हैं। लेकिन किसी ने नेक देने से इन्कार किया तो बेशर्मी और अश्लीलता पर उतर आते हैं। इस पर भी न मिला तो बद्दुआ देने की धमकी देकर ब्लैकमेल करते हैं। जिस पर घर की औरतें और बड़े बुजुर्ग मजबूरी में उन्हें मुंहमांगा नेग दे देते हैं।ये तो हमारा अधिकार है


किन्नर नेग को अपना अधिकार समझते हैं। वे कहते हैं ये अधिकार कानून ने नहीं, बल्कि ईश्वर ने उनको दिया है। इसी के चलते वे बच्चा पैदा होने, शादी होने या अन्य किसी आयोजन पर संबंधित परिवार में नेग लेने जाते हैं। नेग को बना दिया धंधा

पहले किन्नर शादी या बच्चा होने जैसे किसी खुशी के मौके पर ही नजर आते थे। वे संबंधित समारोह में जाकर खुशी से गाकर-नाचकर सभी को आशीर्वाद देते थे। लोग भी अपनी खुशी से क्षमतानुसार इन्हें नेग देकर विदा करते थे। लेकिन अब इस काम ने व्यवसाय और वसूली का रूप ले लिया है। मार्केट, ऑफिस, रोड, ट्रेन और बसों में भी किन्नर वसूली करने लगे हैं। हालांकि किन्नर गुरु काजल किरन का कहना है कि वे दूसरी बिरादरी के लोग है। उनकी बिरादरी सिर्फ घरों या शादी समारोह में जाकर नेग लेती है। मार्केट में दुकानदारों, होटल या ट्रेन में वसूली करने वालों से उनका कोई वास्ता नहीं है।पुलिस से तगड़ा है इनका नेटवर्क

शहर में किन्नरों का नेटवर्क किसी प्राइवेट एजेंसी की तरह है। किसी भी गली या मोहल्ले में किसी परिवार में बच्चा पैदा होता है, तो चंद घंटे में उसकी खबर किन्नर गुरु तक पहुंच जाती है। इसके साथ बच्चे के पेरेन्ट्स क्या करते हैं, उनके घर में कमाई के सोर्सेज क्या हैं, घर में कौन-कौन सदस्य रहते हैं, ये सारी जानकारी पहुंच जाती है। सरकारी हॉस्पिटल से लेकर प्राइवेट नर्सिंगहोम, गेस्ट हाउस, होटल्स तक में किन्नरों के एजेंट मौजूद रहते हैं। जो सारी सूचना किन्नरों तक पहुंचाते हैं। इसके एवज में उन्हें कमीशन दिया जाता है। सादे समारोह या लव मैरिज करने वाले भी इनकी नजर से बच नहीं पाते है। इनका रजिस्ट्री ऑफिस में भी नेटवर्क फैला है। यहां पर भी शादी का रजिस्ट्रेशन होते ही इन तक खबर पहुंच जाती है। जिसके बाद ये नेग लेने के लिए संबंधित घर पहुंच जाते हैं। असली के साथ फर्जी किन्नर भी‘हींग लगे न फिटकरी और रंग आवे चोखा’ कहावत तो सुनी होगी। इसी तर्ज पर किन्नरों की कमाई है। रोजाना हजारों रुपए नेग वसूल लेते हैं। इसे देखकर अब कई लोग फर्जी किन्नर बनकर रोड पर घूमने लगे हैं। वे किन्नर बनकर कई गलत काम भी करते हैं। मसलन स्मैक, चरस व ड्रग्स बेचना। किन्नर बनकर अक्सर लोगों को लूट भी लेते हैं। ट्रेन में भी फर्जी किन्नरों का गिरोह सक्रिय रहता है। किन्नर गुरु व पूर्व पार्षद काजल किरन का भी कहना है कि फर्जी किन्नर ही उनकी बिरादरी को बदनाम कर रहे हैं। वे रोड, ट्रेन या मार्केट में जाकर किसी से नेग नहीं लेते है। इस तरह रोड पर लोगों से जबरन नेग वसूलने वाले दूसरी बिरादरी के या फर्जी किन्नर हैं। कौन ले इनकी बद्दुआ!
किन्नरों के बर्ताव और नेग वसूलने के तरीके के बारे में सभी को मालूम है। लेकिन इसके बाद भी पुलिस अनदेखी कर देती है। पुलिस भी उनके खिलाफ कार्रवाई करने से घबराती है। उनके बारे में कोई भी शिकायत मिलने पर संबंधित पुलिस वाला पीडि़त को ही उल्टा सुझाव देकर टहला देता है। पुलिस पीडि़त को ही उनसे समझौता करने की सलाह दे देते हैं, ताकि कोई बड़ा बवाल उनको झेलना न पड़े। पिछले महीने कल्याणपुर और बाबूपुरवा थाने में किन्नरों का हंगामा इसका प्रमाण है। पुलिसवाले खुद किन्नरों की बद्दुआ से डरते हैं। नाम न छापने की शर्त पर एक थानाप्रभारी का कहना है कि अधिकारी खुद ही किन्नरों पर कार्रवाई करने से डरते हैं। कोई भी घटना होने पर वे ही उनको निर्देश देते हैं कि बवाल मत बढ़ाओ,  बातचीत करके मामला निपटाओ।"हम लोग तो प्यार से ही नेग मांगते है, लेकिन आजकल कोई प्यार से कुछ कहां देता है। हम लोग नेग के रुपए से एक साल में 50 गरीब लड़कियों की शादी करते है। साथ कई सामाजिक कार्य करते हैं। नेग का एक हिस्सा गरीबों पर खर्च होता है। "काजल किरन, किन्नर गुरु व पूर्व पार्षद
"अगर कोई भी क्राइम करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी फिर वो पुरुष हो या महिला या फिर किन्नर। अभी तक किसी ने भी किन्नरों के खिलाफ वसूली करने की लिखित या मौखिक शिकायत नहीं की है। कानून सभी के लिए एक है। अगर किसी को इस तरह की कोई समस्या है, तो वह कंट्रोल रूम में शिकायत दर्ज करा सकता है। इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होती है। पीडि़त खुद उनसे मिलकर शिकायत कर सकता है."यशस्वी यादव, एसएसपी "किन्नर जीवनयापन के लिए कुछ तो करेंगे। वे चोरी या अन्य क्राइम तो नहीं करते हैं। समाज में किन्नर की आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा नहीं है। उनका कोई सम्मान नहीं है। न कुछ पाने की लालसा ओर न कुछ खोने का गम। इसी वजह से ये आक्रामक, अक्खड़ और बदतमीज हो जाते हैं। अब मान्यता में भी परिवर्तन हो रहा है। पहले खुशी के मौके पर किन्नर की टोली आने पर लोग उनका वेलकम करते थे। वे बधाई गाते थे। जिसके बाद उनको खुशी से नेग दिया जाता था। अब लोग उनको घृणा की दृष्टि से देखते हैं। उनको गेट पर ही कुछ रुपए देकर वापस करने की कोशिश की जाती है। जिससे वे आक्रमक होते जा रहे हैं। "-डॉ। एनके सक्सेना, साइकियाट्रिस्ट123 किन्नर वोटर भी  शहर में किन्नर की संख्या हजारों में है। इसमें 123 किन्नर वोटर भी हैं। कैंट विधानसभा में 19 किन्नर वोटर हैं, जबकि आर्य नगर और घाटमपुर में 6 किन्नर वोटर हैं। किन्नर गुरु काजल किरन के मुताबिक उनकी बिरादरी पूरे शहर में है। इसमें नौबस्ता, कल्याणपुर, घंटाघर, मीरपुर, बेगमपुरवा, बाबूपुरवा, जूही, मसवानपुर, लाल बंग्ला में ज्यादातर किन्नर रहते है।

Posted By: Inextlive