बहुत कठिन है डगर स्वच्छता सर्वेक्षण की
2019 स्वच्छता सर्वेक्षण में जुटा निगम, कूड़े के निस्तारण को लेकर कोई खास कार्य योजना नहीं
दिन व रात दो शिफ्टों में हो रही शहर की सफाई डोर टू डोर कलेक्शन में देरी बन सकती है परेशानी Meerut। पिछले तीन बार से लगातार स्वच्छता सर्वेक्षण में पिछड़ने के बाद इस बार नगर निगम टॉप 100 में शामिल होने की उम्मीद के साथ सफाई की कवायद में जुट गया है। निगम के पास कार्य योजनाएं तो बहुत हैं, लेकिन उन्हें लागू किए बिना 2019 के स्वच्छता सर्वेक्षण में निगम का सफल हो पाना नामुमकिन लगता है। हालांकि निगम ने सर्वेक्षण में अच्छे अंक पाने के लिए विभिन्न योजनाओं पर काम शुरू कर दिया है। जिसके तहत दिन व रात की शिफ्ट में शहर के मार्गो की सफाई को प्राथमिकता पर रखा गया है। चौथी बार फिर तैयारस्वच्छता सर्वेक्षण में मेरठ नगर निगम तीन बार भाग ले चुका है। पिछले साल स्वच्छता सर्वेक्षण में मेरठ को 339वां स्थान मिला था। साल 2018 में 4 जनवरी से 10 मार्च तक चले स्वच्छता सर्वेक्षण के भरपूर प्रचार के बाद भी निगम अन्य शहरों के मुकाबले पिछड़ गया था। कारण, स्वच्छता सर्वेक्षण में शहर की साफ-सफाई व अन्य मानकों को निगम पूरा नहीं कर सका था क्योंकि निगम की तैयारी केवल प्रचार-प्रसार तक सीमित थी।
डिवाइडर स्वेपिंग मशीन शहर की करीब 204 किमी लंबी सड़कें और करीब 70 किमी लंबी डिवाइडर रोड यानि दोनों तरफ से करीब 140 किमी लंबी सड़क की सफाई डिवाइडर स्वेपिंग मशीन द्वारा की जाएगी। शहर की सड़क और डिवाइडर रोड की सफाई के लिए निगम डिवाइडर स्वेपिंग मशीन का पहली बार इस्तेमाल कर रहा है। इस मशीन से एक दिन में करीब 45 से 46 किमी डिवाइडर रोड की सफाई होगी। निगम को फिलहाल एक मशीन मिली है बाकि दो मशीन जल्द विभाग को मिलने वाली हैं इन तीन मशीनों से तीन माह में शहर की सड़कों को निगम चमकाने की उम्मीद कर रहा है। सफाईकर्मियों का रोल स्वच्छता रैकिंग के लिए शहर के 90 वार्डो में सफाई कर्मचारियों का विशेष रोल रहेगा। वार्ड साफ रहें इसलिए 10 नए वार्डो समेत प्रत्येक वार्ड के लिए 40 सफाईकर्मियों का विशेष दस्ता गठित करने की निगम की तैयारी है। हालांकि निगम के 200 नए सफाई कर्मचारियों की भर्ती का विवाद ही अभी रोड़ बना हुआ है। कूडे़दान से वंचित शहरपिछली बोर्ड बैठक में शहर के विभिन्न वार्डो मे कूडे़दान के मामले में प्रस्ताव दिया गया था। इसके बाद मात्र 120 कूडे़दान ही खरीदे गए थे, जो कि शहर की आबादी के हिसाब से बेहद कम हैं। शहर में 42 हजार के करीब सोडियम लाइटें लगाने के बाद भी शहर में अंधेरा पसरा हुआ है। यह मुद्दा भी सर्वेक्षण में निगम के नंबरों में कटौती के लिए काफी है।
2019 में चांसेज कम इस बार भी अगर नगर निगम ने कार्यप्रणाली में सुधार नहीं किया तो 2019 में होने वाले स्वच्छता सर्वेक्षण में भी मेरठ को निराशा ही हाथ लगेगी। सर्वेक्षण में नंबर कटौती का एक बड़ा कारण शहर की सफाई व्यवस्था हो सकती है। कारण डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने की व्यवस्था 90 वार्डो में शुरू हो सकी है। साथ ही कूड़ा निस्तारण प्लांट लगाने की योजना भी अभी तक प्रस्तावों तक ही सीमित है। ये ही वह पाइंट्स हैं, जिन पर नगर निगम के नंबर कट सकते हैं। इन पाइंट्स पर कटेंगे मार्क्स डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन शुरू नहीं हुआ। कूड़ा निस्तारण प्लांट अभी तक फाइलों में ही दफन है। शहर में जगह-जगह कूडे़ का ढेर। गावड़ी डंपिंग ग्राउंड और मंगतपुरम में कूडे़ का पहाड़। शहर की सड़कों पर बेहिसाब गड्ढे। शहर में सीवरलाइन और पेयजल व्यवस्था।स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए कवायद शुरू हो चुकी है। तीन माह का समय है, इसलिए निगम अपना पूरा प्रयास करेगा कि हर स्तर पर अधिक से अधिक अंक प्राप्त कर सकें।
मनोज त्रिपाठी, लेखाधिकारी, नगर निगम