It’s all right to cry
रोना राहत है, ये कहावत किसी ने ऐसे ही नहीं कही. रिसर्चेस और डॉक्टर्स की मानें तो कभी-कभी रो लेना आपके मन का बोझ कम करता है, आइज से टॉक्सिन्स रिमूव करता है और साथ ही रोते वक्त आपकी बॉडी में बनने वाले कई
इमोशनल क्राइंग हमारी बॉडी से इन केमिकल्स को रिलीज करता है और हम बेहतर महसूस करते हैं. साइकॉलोजिस्ट डॉ केके मिश्रा के मुताबिक जब किसी स्ट्रेस के बाद हम रोते हैं तो उस स्ट्रेस से हमारा मूड डायवर्ट होता है और रोते वक्त एनर्जी रिलीज होती है जो हमारी बॉडी को रिलैक्स करती है. रोने से हमें हल्कापन महसूस होता है क्योंकि इससे हमारा ब्लडप्रेशर डाउन हो जाता है जो हमें कूल और रिलैक्स करता है.Choose a corner and release
कई बार मन की कोई परेशानी हमें अंदर ही अंदर उदासी से घेरती जाती है, जिसे आप न किसी से शेयर कर पा रहे होते हैं, न उबर पा रहे होते हैं. मन में किसी भी तरह का स्ट्रेस रखना हमारे हार्ट, ब्रेन और हमारी ओवरऑल फिजियोलॉजी के लिए बिल्कुल ठीक नहीं. अगर आपके मन में कोई परेशानी है जो धीरे-धीरे आपको डिप्रेशन की ओर ले जा रही है तो एकांत में जाकर उस प्रॉब्लम के बारे में सोच कर आंसुओं के साथ अपना स्ट्रेस निकाल लें. जिस प्राब्लम से परेशान है उस के हर अच्छे बुरे आस्पेक्ट को लेकर एक बार सारा स्ट्रेस आंसुओं के साथ निकाल दें ठीक वैसे ही जैसे हम कम्प्यूटर फॉर्मेट करते हैं इसके बाद उस सारी प्राब्लम को भूलकर एक बार नई शुरुआत (रीस्टार्ट) करें. ऐसा करने से स्ट्रेस कम तो होगा साथ ही साथ सिस्टम भी नॉर्मल होगा, जो आपके स्ट्रेस की वजह से एब्नॉर्मल स्टेज में पहुंच चुका होता है. कभी-कभी स्ट्रेस निकालने के लिए तो ये टेक्नीक ठीक है लेकिन इसे हैबिट न बनाएं. क्योंकि रोने से आपकी बॉडी में पानी की कमी हो जाती है इसलिए रोने के बाद ढेर सारा पानी पीना मत भूले.