- सिटी के रेलवे स्टेशन व बस अड्डे पर नहीं है कोई साफ सफाई के इंतजाम

- हजारों की तादाद में यहां होता यात्रियों की चहल-पहल

- यहां से भी तो शुरू हो सकता है स्वाइन फ्लू फैलने का सिलसिला

Meerut : एक ओर जहां पूरे देश में स्वाइन फ्लू कहर बरपा रहा है। वहीं शहर के सबसे अधिक बीमारी संभावित क्षेत्रों में फैली गंदगी प्रशासनिक व संबंधित विभागों की स्वाइन फ्लू को लेकर गंभीरता न होने की पोल खोल रही है। सिटी के रेलवे स्टेशन व बस अड्डों की भी कुछ यहीं दुर्दशा है। जिन्हें देखकर साफ जाहिर हो रहा है, यहां हर दिन हजारों यात्री न जाने कितनी गंदगी व अव्यवस्थाओं से जूझते हुए सफर करते है। लेकिन यहां न तो किसी को इसकी सुध है और न ही कोई इसका खबर लेता है।

यहीं से शुरू होता है वायरस

सिटी के रेलवे स्टेशन और बस स्टॉप जहां हर दिन हजारों यात्रियों का आनाजाना लगा रहता है। यहां सबसे ज्यादा तादाद में भीड़ रहती है। इसलिए यहां वायरस फैलने की सबसे ज्यादा संभावना रहती है। मगर सिटी के रेलवे स्टेशन व बस अड्डों पर तो साफ सफाई के भी इंतजाम बड़े बदतर है। बहते नल, जगह जगह पर कूड़ा करकट और न ही यहां पर किसी तरह की हेल्थ चेकिंग के इंतजाम हैं। यहां की खराब व्यवस्थाओं के चलते तो सबसे ज्यादा स्वाइन फ्लू का डर यहीं से शुरू होता है।

पानी के नल रहते हैं बहते

बुधवार को जब आई नेक्स्ट ने सिटी के रेलवे स्टेशंस व बस अड्डों के हालात व इंतजाम को लेकर जायजा लिया तो बड़े ही बुरे हालात सामने आए। यहां रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों पर तमाम नलों को बहता ही पाया गया और आसपास फैला कूड़ा करकट और काला गंदा पानी जो संबंधित विभागों को शर्मसार करता नजर आ रहा था। यहां न तो किसी का ध्यान जाता है और न ही किसी को इसकी परवाह है।

जगह-जगह है कूड़ों के ढेर

बस अड्डा हो या फिर रेलवे स्टेशन यहां जगह जगह कूडे़ के ढेरों लगे दिखते हैं। शहर के रोडवेज बस अड्डे के तो यह हालात है कि यहां तो खड़ा होना दूर की बात सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। वहीं सिटी स्टेशन पर भी काफी जगह गंदगी के ढेर पड़े हुए हैं।

लावारिस सामान भी नहीं होता चेक

शासनादेश अनुसार तो यात्रियों की हेल्थ चेकिंग करने के भी बड़े बडे़ दावे किए जाते हैं। मगर यहां का सीन तो कुछ और कहता है। यहां तो एक यात्री की टिकट तक चेक नहीं की जाती है। बस अड्डे के हालात तो यह है कि यहां पड़ा लावारिस सामान भी कोई चेक नहीं करता है। भले ही इसमें कोई बम हो या फिर हजारों की जान के लिए यह लावारिस सामान खतरा हो। लेकिन इसकी चिंता किसी को भी नहीं है।

खुला हुआ सामान खाते हैं यात्री

आप सिटी के किसी भी रेलवे स्टेशन पर या बस अड्डे पर चले जाए। वहां आप तमाम ठेलों पर खुले हुए खाने के सामान जैसे पकौड़े, छोले भटूरे, पूड़ी आदि जैसी चीजों को खरीदकर खाते हैं। इनमें आधा सामान तो बासी होता है और बाकी कसर इस सामान को खुला रखकर निकाल ली जाती है। क्योंकि खुले हुए सामान पर तमाम मक्खियों का भिनभिनाना व धूल मिट्टी वाला हो जाता है। जब हम इस खाने को खाते है तो खाने के जरिए तमाम कीटाणु के जरिए वायरस भी हमारे शरीर में जाता है। यहीं से हो जाती है बिमारियों की शुरुआत। लेकिन इस पर भी संबंधित विभागों की बिल्कुल पकड़ नहीं है।

यहां नही है स्वास्थ्य विभाग के कोई इंतजाम

रेलवे विभाग जहां स्पेशल अलग से स्वास्थ्य सेंटर होने का दावा किया जाता है। वहां स्वाइन फ्लू के बचाव के नाम पर एक डॉक्टर तक नहीं है। वहीं बस अड्डों पर भी स्वास्थ्य संबंधित कुछ इंताजाम नहीं है। दोनों ही विभाग इस खामी को स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी बताते हुए टाल मटोल करने में लगे हुए है। विभागों के आलाधिकारियों का कहना है कि इसकी जिम्मेदारी तो स्वास्थ्य विभाग की बनती है हमारी नहीं। उनका कहना है कि हमारी तो केवल स्टेशनों को चमकाने की ही जिम्मेदारी बनती है।

यह जिम्मेदारी तो मेडिकल विभाग की होती है हमारी नहीं। मेडिकल की तरफ से डॉक्टर के इंतजाम होने चाहिए। हमारे लेवल पर जो हो सकता है हम करते हैं, लेकिन बाकी जिम्मेदारी तो स्वास्थ्य विभाग की बनती है। इसलिए सीएमओं से पूछा जाए।

जीएस शर्मा, एआरएमआई, रोडवेज, बस अड्डा

खुले खाने रखने के लिए हम तो हमेशा ठेले वालों को टोकते रहते हैं और ये लोग मानते भी हैं। हमारे लेवल तक जितना हो सकता है, हम करते हैं लेकिन बाकी स्वास्थ्य विभाग का भी कुछ करना बनता है। लेकिन सीएमओ की तरफ से यहां पर कुछ भी इंतजाम नही है।

आरपी त्रिपाठी, सिटी स्टेशन अधीक्षक

Posted By: Inextlive