PATNA : नॉर्थ-ईस्ट जोन के एकमात्र सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पीटल का बुरा हाल है. लगभग 70 करोड़ रुपए की लागत से बनाई जा रही इस हॉस्पीटल बिल्डिंग के पूर्वी हिस्से में दरार पड़ गई है.


 पटना जंक्शन के करबिगहिया छोर पर रेलवे सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पीटल की बिल्डिंग को अभी फाइनल टच ही दिया जा रहा है। इसी बीच, एक शॉकिंग खबर आ गई है। दरअसल, हॉस्पीटल के ग्राउंड फ्लोर के पूर्वी हिस्से और फस्र्ट फ्लोर की दीवारों में दरार आ गयी है। खबर चौंकानेवाली है। 1.5 लाख स्क्वायर फुट पर बनाए जा रहे इस हॉस्पीटल में केवल ओपीडी सर्विस ही शुरू की गई है। इधर, बिल्डिंग में दरार आने के बाद वहां के डॉक्टर्स व कर्मचारियों के बीच चर्चाएं तो खूब हो रही हैं, पर बोलने से हर कोई परहेज कर रहा है। पर, इतना तो तय है कि कहीं-न-कहीं निर्माण कार्य में कोताही बरती गई है।

कहां-कहां बताएं दरार
सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पीटल की इस बिल्डिंग में एक जगह नहीं, दर्जनों जगह दरार आ गई है। ग्राउंड फ्लोर पर डॉ रंजना के चैंबर के ठीक सामने तो स्थिति ऐसी है कि दीवार के अलावा ऊपर के टाईल्स पर भी दरार दिख रही है। दीवार पर छत से नीचे तक कई दरारें हैं। हॉस्पीटल की कैंटीन में भी दीवार पर कई वर्टिकल दरारें हो गई हैं।

पचड़े में नहीं पडऩा
फस्र्ट फ्लोर पर भी बिल्डिंग के पूर्वी हिस्से में दरार है। बिल्डिंग में दरार आने के बाद हॉस्पीटल के डॉक्टर्स और स्टाफ्स भी दबी जुबान से कहते हैं कि कंस्ट्रक्शन एजेंसी की लापरवाही पूरी बिल्डिंग में कई जगहों पर देखी जा सकती है। चूंकि इस बारे में उनका मुंह खोलना खतरे से खाली नहीं है, इसलिए वे लोग इस पचड़े में नहीं पडऩा चाहते।

गड़बड़ है मामला
स्ट्रक्चर को लेकर कहीं कंस्ट्रक्शन एजेंसी ने तो कोताही नहीं बरती है। इस संबंध में डिपार्टमेंट ऑफ सिविल इंजीनियरिंग, एनआईटी, पटना के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ संजीव कुमार सिन्हा कहते हैं कि जिस ढंग से इस बिल्डिंग में क्रैक आया है, वह फाउंडेशन के डिफरेंशियल सेटलमेंट के कारण हुआ मालूम पड़ता है। इसमें स्वाइल टेस्टिंग को लेकर भी चूक हुई लगती है, क्योंकि स्वाइल टेस्टिंग के आधार पर ही फाउंडेशनल स्ट्रक्चर की तैयारी होती है। उन्होंने इस बात को निराधार बताया कि हाल ही में आए भूकंप के झटके के कारण बिल्डिंग में दरार आई है. 

ग्रेनाइट में भी है पेंच
सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पीटल बिल्डिंग को खूबसूरत बनाने के लिए बाहर से ग्रेनाइट के समान दिखनेवाला टाइल्स लगाया गया है। हॉस्पीटल की मेन बिल्डिंग के बाहरी दीवारों पर लगी गे्रनाइट को पेंच के सहारे दीवार पर चिपकाया गया है। इसे लेकर भी लोगों के अलग-अलग तर्क हैं। इस बारे में कंस्ट्रक्शन में लगे एक्सपर्ट का कहना है कि ऐसा वे मजबूती के लिए कर रहे हैं। पर, डॉ संजीव सिन्हा कहते हैं कि ऐसा करना और भी खतरनाक है। क्योंकि अपना स्टेट सेस्मिक जोन-4 में आता है। ऐसे में थोड़े से कंपन से भी टाइल्स दीवार से नीचे गिर सकती है।

Posted By: Inextlive