ओडिशा के पुरी में 4 जुलाई गुरुवार को धूमधाम से जगन्नाथ रथ यात्रा का उत्सव शुरू हो रहा है। इस उत्सव में संजे-संवरे रथ आकर्षण का केंद्र होते हैं। आइए जानें कब से शुरू होता है इन रथाें का निर्माण और कैसे निकलती हैं जगन्नाथ जी की सवारी...


पुरी (एएनआई)। जगन्नाथ यात्रा आज देश के अलग-अलग शहरों में निकल रही है लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा में ओडिशा पुरी की रथ यात्रा होती है। नाै दिन तक धूमधाम से मनाए जाने वाला यह उत्सव 4 जुलाई गुरुवार से शुरू हो रहा है। इसमें भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा रथाें पर सवार होंगे। करीब 50 मीटर लंबे रस्से से खींचे जाते हैं रथ भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के ये खूबसूरत रथ करीब  50 फुट ऊंचे होते हैं। इन रथों के निर्माण का कार्य भी अक्षय तृतीया के दिन से शुरू कर दिया जाता है।ये रथ हर साल नए तैयार किए जाते हैं।  रथ यात्रा में इन रथों को करीब 50 मीटर लंबे रस्से से खींचने की रस्म निभाई जाती है। उत्सव में शामिल होने विदेश से भी आते हैं लोग


भव्य जगन्नाथ रथ यात्रा में शामिल होने के लिए सिर्फ भारत से ही नहीं बल्कि फ्रांस, अमेरिका, जापान और चिली से भी आते हैं। लोग पुरी में मनाए जाने वाले इस जश्न में शरीक होने के लिए आतुर दिखते हैं। रथ यात्रा के लिए श्रद्धालुओं की होने वाली भारी भीड़ को देखते हुए राज्य सरकार कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की है।

जगन्नाथ रथ यात्रा : बेहद खूबसूरत होते हैं 50 फुट ऊंचे रथ, जानें क्या है इनकी खासियतजगन्नाथ रथ यात्रा : जानें कितने प्रकार की लकड़ियों से तैयार होते हैं रथगुंडिचा मंदिर में समाप्त होती जगन्नाथ यात्राइस भव्य जगन्नाथ रथ यात्रा के दाैरान तीनों रथों को मंत्रों और शंखों के साथ खींचा जाता है।जगन्नाथ रथ यात्रा जगन्नाथन मंदिर से शुरू होती है और 2 -3 किलोमीटर की दूरी तय करके गुंडिचा मंदिर में समाप्त होती है। इस दाैरान भक्तगण भक्ति रस में डूबे रहते हैं। वे नाचते गाते रथयात्रा में भाग लेते हैं।

Posted By: Shweta Mishra