RANCHI : अगर मैनेजमेंट बेहतरीन हो तो कम रिर्सोसेज में भी बहुत कुछ किया जा सकता है. सक्सेस में स्ट्रेटजी व इनोवेटिव आइडियाज की काफी अहमियत होती है. अगर इंसान अपनी एबिलिटी का सही इस्तेमाल करना सीख जाए तो उसे आगे बढऩे से कोई रोक नहीं सकता है. यह कहना है बीआईटी मेसरा के स्टूडेंट्स गौतम अग्रवाल अक्षय जालान अली अनवर और सुष्मिता दास का. 15 दिनों की जागृति एनुअल ट्रेन जर्नी से वापस लौटे इन स्टूडेंट्स ने कहा कि टॉप एंटरप्रेन्योर से मुलाकात के दौरान उन्हें काफी कुछ सीखने को मिला. उनके एक्सपीरिएंस आइडियाज सोच और व्यूज हमें आगे बढऩे में मददगार साबित होगी.


सौ स्टूडेंट्स की टीम

जागृति एनुअल ट्रेन जर्नी एक मिशन की तरह है। इस जर्नी में देश और विदेश के डिफरेंट यूनिवर्सिटी, कॉलेजेज और इंस्टीट्यूट्स के सौ स्टूडेंट्स पूरे देश का टूर करते हैं और टॉप एंटरप्रेन्योर्स और सक्सेसफुल पर्सनॉलिटी से मिलते हैं और उनके एक्सपीरिएंस व आइडियाज को जानते हैं। इस साल इस जर्नी के लिए बीआईटी मेसरा के चार स्टूडेंट्स को सेलेक्ट किया गया था। जर्नी के लिए उन्हीं स्टूडेंट्स को सेलेक्ट किया जाता है, जिनकी एज 20 से 25 के बीच होती है। खास बात है कि इस जर्नी में रॉयल बैंक ऑफ अमेरिका के अलावे स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी का एक स्टूडेंट  भी शामिल था। इसके अलावे 70 परसेंटस्टडेंट्स आईआईटी से चुने गए थे.इस साल जागृति ट्रेन जर्नी 15 दिनों की थी, जिसमें स्टूडेंट्स ने करीब 95 सौ किमी का सफर तय किया। जर्नी का थीम था- यारों, चलो बदलने की रूत है। इस दौरान स्टूडेंट्स को देश के इंपॉर्टेंट प्लेसेज का टूर कराया गया। जर्नी के दौरान स्टूडेंट्स कई टॉप एंटरप्रेन्योर्स और सोशल वर्कर्स से भी मिले। दरअसल सोसाइटी को समझने के लिए स्टूडेंट्स को यह जर्नी कराई जाती है। जर्नी के दौरान स्टूडेंट्स ट्रेन में ही रहते हैं और एक-दूसरे से  आइडियाज को शेयर करते हैं।

जानने-सीखने को मिला
बीआईटी मेसरा के आर्किटेक्ट डिपार्टमेंट के स्टूडेंट और जागृति यात्रा में शामिल गौतम अग्रवाल  ने बताया कि जर्नी के दौरान 12 स्टेशनों पर रूकने का मौका मिला। इस दौरान वहां के इंपॉर्टेट पर्सन्स ने मुलाकात कराई गई। ओडिशा में जहां एक एनजीओ के एक्टिविटीज को नजदीक से जाना, वहीं मुंबई में फ्लिपकार्ड डॉट काम के ओनर और फेमस डब्बावाला से मिलकर मैनेजमेंट का फंडा जानने का मौका मिला। बेंगलुरू में इंफोसिस के डायरेक्टर ने स्ट्रेटजी बनाकर काम करने की सलाह दी तो नई दिल्ली में नेशनल नॉलेज कमीशन के चेयरमैन सैम पित्रोदा ने अपने एक्सपीरिएंस शेयर किए। गौतम के मुताबिक, सैम पित्रोदा ने कहा कि हर इंसान में कुछ न कुछ खास एबिलिटी जरूर होती है, जिसे पहचानने की जरूरत है। जिनकी सोच पॉजिटिव होती है, वे जरूर अच्छा करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि न्यू आइडियाज को इंप्लीमेंट करने के लिए सेंट्रल गवर्नमेंट का चार सौ करोड़ रुपए का बजट है। ऐसे में अगर आपके पास कोई भी इनोवेटिव आइडियाज हैं तो उसे जरूर शेयर करें।

Posted By: Inextlive