देश के कई बड़े बैंकों उद्योगपतियों के साथ ठगी करने वाले शातिर जालसाज साजी अहमद सिद्दीकी पर मेहरबान होना लखनऊ जेल के वरिष्ठ जेलर पर भारी पड़ गया है।

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LUCKNOW: मेरठ में जालसाजी के एक मामले में वांछित साजी को मेरठ कोर्ट में पेश करने के लिए पांच बार लखनऊ जेलर को रिमाइंडर भेजने के बावजूद उसे अचानक रिहा करने पर कोर्ट ने इसे अदालत की घोर अवमानना और बेहद आपत्तिजनक माना है और इस पर सख्त नाराजगी जताते हुए जेलर को तलब कर लिया है। कोर्ट ने जेलर को पेश कराने के लिए डीआईजी जेल और लखनऊ के आरआई को भी आदेश की प्रति भेजी है। अब आगामी 22 अक्टूबर को जेलर को मेरठ एसीजेएम-7 कोर्ट में जाकर बताना होगा कि आखिर उन्होंने किन परिस्थितियों में साजी अहमद को वांछित होने के बाद भी कोर्ट में प्रस्तुत नहीं किया। मालूम हो कि लखनऊ जेल के वरिष्ठ जेलर सीपी तिवारी हैं। वहीं दूसरी ओर इस मामले की गंभीरता को देखते हुए एडीजी जेल चंद्रप्रकाश ने भी इसकी छानबीन कराने की बात कही है।

पचा गये सारे बी वारंट, रेडियोग्राम

दरअसल साजी अहमद सिद्दीकी के खिलाफ करीब दो दर्जन मामले दर्ज हैं। राजधानी में दर्ज नौ करोड़ रुपये की ठगी के एक मामले में उसे हजरतगंज पुलिस ने विगत 20 जून को गिरफ्तार किया था। इसके बाद उसे लखनऊ जेल भेज दिया गया। इसके बाद मेरठ में धोखाधड़ी के एक मामले में उसके वांछित होने की वजह से एसीजेएम-7 की कोर्ट द्वारा लखनऊ के वरिष्ठ जेलर को दो बार बी वारंट और पांच बार रेडियोग्राम भेजकर साजी को मेरठ भेजने के निर्देश दिए गये। 'दैनिक जागरण आई नेक्स्टÓ के पास इन सारे आदेशों की प्रति है। हैरत की बात यह है कि बार-बार कोर्ट का आदेश आने के बावजूद जेलर ने उसे मेरठ भेजने की जहमत नहीं उठाई। इस बीच साजी ने हाईकोर्ट की शरण ली, जहां उसे लखनऊ के केस में जमानत मिल गयी। आपको यह जानकर हैरत होगी कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद साजी को रिहा करने से पहले लखनऊ जेल से मेरठ कोर्ट एक पत्र भेजा गया, जिसमें उसे छोडऩे के बारे में पूछा गया। मेरठ कोर्ट ने ई-मेल के जरिए फिर से अवगत कराया कि साजी मुकदमे में वांछित है लिहाजा उसे रिहा करने के बजाय पेश किया जाए। इसके बावजूद जेलर ने उसे देर शाम रिहा कर दिया जिसके बाद वह तुरंत फुर्र हो गया।
एक से बढ़कर एक कारनामे
साजी अहमद सिद्दीकी के गिरोह में करीब बीस सदस्य हैं जिनमें से करीब छह अभी तक जेल की सलाखों के पीछे हैं। इस गिरोह के सदस्य खुद को केंद्रीय मंत्री का ओएसडी, रिश्तेदार, पर्सनल असिस्टेंट, पर्सनल सेक्रेटरी, यूपी सरकार में राज्यमंत्री और आईएएस अधिकारी बताकर लोगों को ठगते हैं। उनके खिलाफ सपा सरकार में स्कूली बैग, यूनिफॉर्म इत्यादि का ठेका दिलाने के नाम पर कई उद्योगपतियों को ठगने के मामले भी दर्ज हैं। वहीं साजी कई बड़े बैंकों को भी ठग चुका है। गैंग के सक्रिय सदस्यों में शामिल सीबीआई का भगोड़ा अभिषेक श्रीवास्तव और जैन अंसारी शामिल हैं। इस गैंग में कई महिला सदस्य भी हैं जिनके बैंक खातों में करोड़ों रुपये की रकम जमा है।  
ईडी के राडार पर भी
दरअसल इस गिरोह ने कई बैंकों को भी चूना लगाया है। इनमें इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, बांबे मर्केटाइल बैंक आदि शामिल हैं। इनमें से कई मामलों की जांच सीबीआई और ईडी ने की है। अलीगंज स्थित इलाहाबाद बैंक के साथ 2।5 करोड़ की धोखाधड़ी के मामले में साजी ईडी के राडार पर है क्योंकि वही गारंटर बना था। इस मामले में एफआईआर भी दर्ज हुई थी जिसकी पड़ताल कर ईडी पीएमएलए का केस दर्ज करने की तैयारी में है।
फैक्ट फाइल
- 07 जुलाई 2018 को मेरठ कोर्ट ने साजी को पेश करने के लिए भेजा बी वारंट
- 20 अगस्त को मेरठ कोर्ट ने उसे न्यायालय में पेश करने के लिए फिर पत्र भेजा
- 29 जून, 15 सितंबर और 11 अक्टूबर को वायरलेस द्वारा रेडियोग्राम भेजा गया
- 12 जुलाई को जेलर ने मेरठ कोर्ट से साजी के वांछित होने के बाबत पत्र भेजा
- 12 जुलाई को शाम सात बजे के करीब साजी को जेल से रिहा कर दिया
यह मामला अभी मेरी जानकारी में आया है जो बेहद गंभीर प्रतीत होता है। नियमों के मुताबिक वांछित अपराधी को रिहा नहीं किया जा सकता। मैं इस प्रकरण की गहन छानबीन कराऊंगा।
चंद्रप्रकाश एडीजी जेल

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Posted By: Shweta Mishra