- बाशिक महासू के कैमाला जंगल पहुंचने पर जखोली मेले की हुई शुरुआत

- लोगों ने ढ़ोल-दमोऊ की थाप पर हारुल के साथ की देवता की आराधना, तांदी-नृत्य की रही धूम

DEHRADUN/TYUNI: बाशिक महासू के कैमाला जंगल पहुंचने से बावर क्षेत्र में दो दिवसीय जखोली मेले की शुरुआत हो गई. मौसम के अचानक करवट बदलने से हुई आधे घंटे की तेज बारिश के बाद भी सैकड़ों लोग देव दर्शन को कैमाला में डटे रहे. लोगों ने ढ़ोल-दमोऊ की थाप पर हारुल के साथ देवता की आराधना की. देर शाम तक लोक गीतों के साथ परंपरागत तांदी-नृत्य की धूम रही. लोगों ने देवता के दर्शन कर सुख-शांति की कामना की.

बारिक महासू के लगाए जयकारे

जखोली मेले के लिए मंडे सुबह बागी गांव से गाजे-बाजे के साथ चली देव पालकी दोपहर बाद कैमाला जंगल पहुंची. जहां जखोली मनाने आए विभिन्न गांवों के सैकड़ों लोगों ने बाशिक महासू के जयकारे लगाए. देव पालकी के आगमन से कैमाला में परंपरागत जखोली मेले की शुरुआत हो गई. जखोली मेले के पहले दिन देव दर्शन को बड़ी संख्या में जुटे लोगों ने बाशिक महासू के दर्शन कर मनौती मांगी. इस दौरान कई लोगों ने देवता से मांगी गई मनौती पूरी होने पर अपने बच्चों के बाल भी कटवाए. जश्न मनाने के लिए बावर, शिलगांव, देवघार, फनार, बंगाण समेत आसपास क्षेत्र के लोग गाजे-बाजे के साथ मेला स्थल पहुंचे. परंपरागत पोशाक पहने बड़ी संख्या में जुटी ग्रामीण महिलाओं ने देव पालकी के कैमाला पहुंचने पर ढ़ोल-दमोऊ की थाप पर हारुल व लोक गीतों के साथ तांदी-नृत्य की प्रस्तुति से बाशिक महासू की आराधना की. देर शाम तक नाच-गाने का दौर चला. लोगों ने परिवार की खुशहाली की मनौती मांगी. इस दौरान मौसम अचानक खराब होने से कैमाला और आसपास क्षेत्र में तेज बारिश शुरू हो गई. करीब आधे घंटे चली तेज बारिश से मौसम खुशनुमा हो गया. तेज बारिश के बाद भी लोग मेला स्थल में डटे रहे.

Posted By: Ravi Pal