यहां पानी पहुंचाना, नाकों चने चबाना
-शहर के दर्जन भर से ज्यादा मोहल्लों में गर्मी में पानी मिलना आसान नहीं
-जलकल विभाग बूस्टर पम्प के सहारे यहां पहुंचाता है पानी, पम्प खराब होने पर पानी को तरस जाते हैं लोग Varanasi@inext.co.in VARANASIशहर के दर्जन भर से ज्यादा मोहल्ले ऐसे हैं, जहां पानी मिलना टेढ़ी खीर साबित होता है। जलकल विभाग ट्यूबवेलों में लगे बूस्टर पम्प के सहारे इन मोहल्लों में वाटर की सप्लाई करता है। लेकिन वाटर का फ्लो इतना कम होता है कि तमाम लोगों तक पानी ही नहीं पहुंच पाता है। अगर बूस्टर पम्प खराब हो गए तो फिर लोग पानी को तरस जाते हैं। गर्मी में वाटर लेवल नीचे चले जाने पर सप्लाई में दिक्कत आती है। जिससे ये मोहल्ले 'ड्राई' की हालत में आ जाते हैं। इसमें खासकर चौक, गोदौलिया, दशाश्वमेध, सोनारपुरा, भैंसासुर, प्रह्लाद घाट, तेलियानाला, पक्का महाल, रवीन्द्रपुरी और उसके आसपास के मुहल्ले शामिल हैं। वहीं चार दर्जन अन्य मोहल्लों में दूषित पेयजल आपूर्ति होने की बात भी डिपार्टमेंटल टेस्ट में सामने आई हैं। ऐसे में इन मोहल्लों में बीमारियों के भी फैलने की आशंका बढ़ गई है।
ऊंचाई वाले एरिया में प्रॉब्लमदरअसल, शहर के जो मोहल्ले ऊंचाई पर हैं। या फिर मोहल्ले से ट्यूबवेल व मेन पाइप लाइन की दूरी ज्यादा है। वहां वाटर सप्लाई में काफी दिक्कत आती है। इसके लिए जलकल विभाग ने अपने ट्यूबवेलों में बूस्टर पम्प लगवा रखे हैं। जिससे वाटर फोर्स बढ़ाकर घरों तक आपूर्ति की जाती है। लेकिन गर्मी में कई बार हालत बदतर हो जाती है। पक्का मोहाल में तो कई बार स्थिति ये हो जाती है कि सप्लाई का पानी न मिलने पर लोग खुद मोटर लगाकर गंगा का पानी घरों में पहुंचाते हैं।
यहां दूषित पेयजल आपूर्ति जलकल, नगर निगम और हेल्थ डिपार्टमेंट की ज्वाइंट टीम रोज दर्जन भर मोहल्लों में पानी टेस्ट करती है। इसकी रिपोर्ट के मुताबिक पाइप लाइन व ट्यूबवेल में मेंटीनेंस वर्क के बावजूद मच्छोदरी, घसियारी टोला, कोतवाली, रामापुरा, चेतगंज, ककरमत्ता, तेलियाबाग, प्रह्लाद घाट, पुराना पुल, राजघाट, बड़ी पियरी, छोटी गैबी, काटन मिल व कोदई चौकी मोहल्लों में दूषित पानी आने की समस्या बनी हुई है। इसके अलावा करीब तीन दर्जन अन्य मोहल्लों में दूषित पानी आने की शिकायतें अक्सर मिलती रहती हैं। पानी न मिलने के ये हैं कारण -ऊंचाई पर बसे मोहल्ले - ट्यूबवेल व पाइप लाइन से ज्यादा दूरी - बोरिंग व पाइप लाइन का पुराना होना - गर्मी में वाटर लेवल नीचे चला जाना- समय से पम्पों का मेंटीनेंस न होना
- मेन पाइप लाइनों में लीकेज - ओवरहेड टैंकों की सफाई न होना एक नजर 16 लाख आबादी है सिटी की 4 वाटर जोन हैं शहर में 14 मोहल्लों में बनते हैं सूखे के हालात 12 जूनियर इंजीनियर रखते हैं नजर 5 जोन अफसर करते हैं मॉनीटरिंग 311 एमएलडी वाटर सप्लाई 15 जगहों पर रोज वाटर टेस्ट विभाग के पास उपलब्ध धन और संसाधनों से पेयजल आपूर्ति दुरुस्त रखी जाती है। डिपार्टमेंट के पास मैनपावर की भी कमी है। शासन से मेंटीनेंस के लिए निर्धारित बजट भी नहीं आता, जिससे कई बार प्रॉब्लम सॉल्व करने में दिक्कतें आती हैं। बीके सिंह, महाप्रबंधक, जलकल