जम्मू-कश्मीर में गठबंधन की सरकार बनाने के दावे करने के बाद विधानसभा भंग कर दी गर्इ। एेसे में यहां अब चुनाव का इंतजार है। वहीं राज्यपाल सत्यपाल द्वारा विधानसभा भंग किए जानें के फैसले पर कुछ लोग खुश तो कुछ लाेग नाराज हो गए हैं। जानें पूरा मामला...

श्रीनगर (आईएएनएस)। अब जम्मू-कश्मीर में नए सिरे से सरकार बनाने के लिए पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) ने राज्यपाल को चिट्ठी लिखकर नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) और कांग्रेस का भी समर्थन होने का दावा किया था। वहीं भाजपा ने भी कल पीडीपी के विद्रोही विधायकों और सज्जाद लोन के साथ मिलकर दावा किया था। पूरे दिन कल यहां सरकार बनाने को लेकर सियासी ड्रामा चला। ऐसे में राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने रात में विधानसभा भंग कर इस पर रोक लगा दी। यहां गठबंधन के लिए विराेधी पार्टियां सरकार बनाने के लिए एक होने का राग अलाप रही थीं।

राज्यपाल के इस फैसले का बीजेपी ने स्वागत किया

राज्यपाल के इस फैसले का बीजेपी ने स्वागत किया है।  जम्मू कश्मीर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रविंदर रैना का कहना है कि एक बार फिर से नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस और पीडीपी ने जम्मू कश्मीर में साजिश रची थी। यह राज्य के साथ बेहद गलत होता। वहीं भाजपा नेता और जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंद्र गुप्ता ने कहा कि पीडीपी, कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस पाकिस्तान के इशारे पर गठबंधन कर रही थींं। ये तीनों पार्टियां पाकिस्तान के निर्देश पर भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए आपस में हाथ मिलाकर आगे आईं हैं।

महागठबंधन का विचार इस तरह की बैचेन कर देगा

वहीं पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने का कहा उनके पास विधायकों की संख्या ज्यादा थी। ऐसे में सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने का मौका देना चाहिए था।  उन्होंने कहा कि पांच महीनों से राजनीतिक संबद्धताओं की परवाह किये बगैर,'हमने इस विचार को साझा किया था कि विधायकों की खरीद फरोख्त और दलबदल को रोकने के लिए राज्य विधानसभा को भंग किया जाना चाहिए, लेकिन तब नहीं हुई। किसी ने नहीं सोचा हाेगा कि एक महागठबंधन का विचार इस तरह की बैचेनी देगा। राज्यपाल आवास पर फैक्स मशीन से हमारा फैक्स प्राप्त न होना भी एक बड़ी चौकाने वाली बात है।  
विधानसभा भंग होने पर दिखे नाराजगी भरे तेवर
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने विधानसभा भंग होने पर नाराजगी दिखाई। उन्होंने कहा कि केन्द्र की भाजपा सरकार की नीति यही है कि या तो हम हों या फिर कोई नहीं। खैर अब जल्द से जल्द चुनाव होना चाहिए। हम राज्य में लंबे समय तक राष्ट्रपति शासन नहीं चाहते हैं।  वहीं उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उनकी पार्टी पांच महीनों से विधानसभा भंग किये जाने का दबाव बना रही थी। यह एक संयोग नहीं हो सकता है कि मेहबूबा मुफ्ती के सरकार बनाने का दावा पेश किए जानेें के कुछ मिनटों के भीतर ही विधानसभा को भंग करने का आदेश आ जाता है।

जून में  जम्मू कश्मीर की राजनीति में उठा था तूफान

बता दें कि जून, 2018 में बीजेपी ने अचानक से जम्मू कश्मीर की राजनीति में तूफान ला दिया था। प्रदेश की सत्तारूढ़ भाजपा-पीडीपी गठबंधन सरकार से उसके अलग होने पर महबूबा मुफ्ती को राज्यपाल को इस्तीफा सौंपना पड़ा था। भाजपा-पीडीपी गठबंधन की सरकार दिसंबर, 2014 में हुए जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के बाद एक मार्च, 2015 को बनी थी। इस माैके पर वहां पर मुफ्ती मोहम्मद सईद ने 12वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। हालांकि 7 जनवरी, 2016 को उनका निधन हो जाने के बाद 4 अप्रैल को महबूबा मुफ्ती मुख्यमंत्री बनी थीं।

जम्मू-कश्मीर : गठबंधन में विरोधी पार्टियों ने मिलाए थे हाथ, राज्यपाल ने विधानसभा की भंग, अब चुनाव से बनेगी सरकार

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Posted By: Shweta Mishra