-स्टूडेंट्स और टीचर्स ने स्ट्रेस से लड़ने के तरीके, जीवन द्वारा केएसएमएस स्कूल में ऑर्गनाइज किया गया प्रोग्राम

-इंटैरैक्टिव गेम्स, वर्कशॉप के जरिए बताए गए एटिट्यूड, बिहेवियर और माइंडसेट में चेंज लाने के तरीके

द्भड्डद्वह्यद्धद्गस्त्रश्चह्वह्म@द्बठ्ठद्ग3ह्ल सोसाइटी में आज वैल्यू सिस्टम खत्म हो रहा है। किसी प्रॉब्लम के वक्त सही सजेशन और सपोर्ट देने वाला कोई नहीं मिलता। ऐसे में युवा भटकते हैं और कई बार अपने प्रॉब्लम्स से भागने के लिए सुसाइड जैसे रास्ते चुनते है, ये कहा गोपाल कृष्ण शरण ने। सुसाइड प्रिवेंशन के लिए काम करने वाली संस्था जीवन के ट्रस्टी गोपाल कृष्ण शरण संडे को साकची स्थित केरला समाजम मॉडल स्कूल के ऑडिटोरियम में आयोजित प्रोग्राम के दौरान बोल रहे थे। प्रोग्राम का टॉपिक 'सक्सेस इज नॉट एन एक्सीडेंट बट ए च्वाइस' था। प्रोग्राम में सिटी के स्कूल्स के स्टूडेंट्स और टीचर्स ने पार्टिसिपेट किया। इस मौके पर चीफ गेस्ट के तौर पर टाटा स्टील सेफ क्लब की वंदना माथुर मौजूद थी।

एटिट्यूड और माइंडसेट में बदलाव है जरूरी

स्टूडेंट्स के बीच स्ट्रेस बढ़ता जा रहा है, ये बढ़ता स्ट्रेस सुसाइड जैसी समस्याओं को भी बढ़ा रहा है। आखिर क्या है इसकी वजह और इससे निपटने का तरीका क्या है? केएसएमएस स्कूल में आयोजित प्रोग्राम के दौरान इन सभी मुद्दों पर चर्चा हुई। प्रोग्राम सिटी के 12 स्कूल्स के 24 स्टूडेंट्स और 12 टीचर्स ने पार्टिसिपेट किया। सुबह 9 बजे से लेकर शाम पांच बजे तक चले इस प्रोग्रम के दौरान इंटरैक्टिव गेम्स, वर्कशॉप के जरिए इन बातों को समझाने की कोशिश की गई। प्रोग्राम के दौरान एक्सप‌र्ट्स ने हाउ टू नो इच अदर, हाउ टू अचीव सक्सेस जैसे टॉपिक्स पर अपने व्यू साथ ही स्टूडेंट्स को अपने अंदर मौजूद स्ट्रेंथ और अच्छाईयों को पहचानने के तरीके भी बताए गए। प्रोग्राम के को-ऑर्डिनेटर रिटायर्ड ब्रिगेडियर सीएस वैद्यनाथन थे। इस दौरान जीवन के फाउंडर महावीर राम सहित कई स्कूल्स के प्रिंसिपल भी मौजूद थे।

वैल्यू सिस्टम को मजबूत करने की है जरूरत

प्रोग्राम के दौरान मौजूद जीके शरण ने सुसाइड की बढ़ती घटनाओं के लिए ब्रेक होते वैल्यू सिस्टम को एक बड़ा कारण बताया। उन्होंने कहा कि पहले ज्वाइंट फैमिलीज में बच्चों को हर तरह का सपोर्ट मिलता था, किसी भी प्रॉब्लम के वक्त उन्हे परिवार के हर मेंबर का साथ मिलता था पर आज फैमिलीज न्यूक्लियर होती जा रही है। ऐसे में किसी परेशानी या स्ट्रेस के वक्त बच्चे दूसरों से सलाह लेते हैं और इसमें कई बार उनके द्वारा गलत रास्ता चुनने की भी संभावना रहती है। सुसाइड जैसी घटनाओं को रोकने के लिए उन्होंने एजुकेशन सिस्टम में इंप्रूवमेंट की जरूरत भी बताई।

प्रोग्रम के दौरान इंटरैक्टिव गेम्स, वर्कशॉप के जरिए एटिट्यूड, माइंडसेट में बदलाव के बारे में बताया गया। इस तरह के प्रोग्राम्स को आगे भी कंटीन्यू किया जाएगा।

-जीके शरण, ट्रस्टी मेंबर, जीवन

Posted By: Inextlive