संथाली फिल्मों की प्लेबैक सिंगर और झारखंड की लता मंगेशकर कही जाने वाली रानी मार्डी ने संथाली फोक म्यूजिक को आगे लाने में इंपोर्टेंट भूमिका निभाई है.


संथाली फिल्मों की प्लेबैक सिंगर और झारखंड की लता मंगेशकर कही जाने वाली रानी मार्डी ने संथाली फोक म्यूजिक को आगे लाने में इंपोर्टेंट भूमिका निभाई है। ऑकेस्ट्रा से अपने कॅरियर की शुरुआत करने वाली रानी ने कई ऑडियो और वीडियो अल्बम के अलावा फिल्म में भी प्लेबैक सिंगर की भूमिका अदा की है। आज रानी झारखंड के फोक म्यूजिक और कल्चर को लोगों तक लाने के लिए फिल्म डायरेक्ट कर रही है।Folk music के सिवा कुछ नहीं रानी फोक म्यूजिक को डिस्क्राइब करते हुए कहती है कि फोक म्यूजिक ही उनकी लाइफ है। इसके बिना वो अपनी जिंदगी की कल्पना नहीं कर सकती हैं। फोक म्यूजिक उन्हें आत्मिक शक्ति प्रदान करता है। आज वो जिस मुकाम पर है, वह सिर्फ और सिर्फ फोक म्यूजिक की बदौलत ही है।बनना था हॉकी प्लेयर
सिटी के करनडीह एरिया में पली बढ़ी रानी को बचपन से हॉकी खेलने का शौक था। लोकल लेवल के इवेंट में रानी ने अपने खेल से लोगों को प्रभावित किया था, पर फैमली की स्थिति ठीक नहीं होने के कारण रानी को बचपन में हॉकी को अलविदा कहना पड़ा और उसने म्यूजिक को अपना कॅरियर बना लिया। संघर्ष के बाद मिला मुकाम


रानी अपने सिंगिंग कॅरियर के बारे में बताती हुए कहती हैं कि जब उन्होंने सिंगिंग को कॅरियर के रूप में सेलेक्ट किया था, तो लोग गलत निगाह से देखते थे। पहला अल्बम हिट होने के बाद धीरे-धीरे लोगों की सोच बदली। उसके बाद कोई परेशानी नहीं हुई। पहले एलबम से मिली पहचानरानी अपने कॅरियर के बारे में बताती है कि ऑर्केस्ट्रा में गाने के बाद 1995 में जब मेरा पहला अल्बम जूरी मार्केट में आया, तब मेरे गाने को लोगों ने नोटिस करना शुरू कर दिया और इसके बाद कई  ऑफर्स आए, लेकिन मैंने हमेशा ट्रेडिशनल सांग्स को प्राथमिकता दी। आज भी है demandट्रेडिशनल और फोक सांग्स की डिमांड आज भी है। ट्राइबल कल्चर में चाहे वह बाहा हो या सोहराय या सकरात हरेक फेस्टिवल के लिए अलग-अलग डांस और सांग्स हैं। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे दुहराया नहीं जाता। इस कारण से लोग इसे सुनना और देखना पसंद करते हैं। इसका दूसरा फायदा यह है कि यह आसानी से लोगों की जुबान पर चढ़ जाता है। आज भी संथाली भाषा में ट्रेडिशनल सांग को ज्यादा पसंद किया जाता है। Remix नहीं किया जा सकता

प्योर ट्रेडिशनल सांग्स को रिमिक्स नहीं किया जा सकता है। कई बार अगर आप धुन को चेंज करने की कोशिश करते हैं, तो उसका स्वरूप चेंज हो जाता है। ये ज्यादा दिनों तक लोकप्रिय नहीं रह सकता है। फोक म्यूजिक के लिए फिल्म का directionरानी संथाली भाषा और ट्रेडिशन को प्रमोट करने के लिए फिल्म डायरेक्शन का काम भी स्टार्ट कर चुकी है। वह रहेला एंटरटेनमेंट के बैनर तले फिल्म का डायरेक्शन कर रही है। वह दो फिल्म आश ताहे एन आमरे और मोगोद दुलाड़ नामक फिल्म बना चुकी है और उनकी आने वाली फिल्म ट्राईबल सोसायटी के फेमस देवता लुगु लुमांग पर बेस्ड है, जो पूरी तरह से ट्रेडिशनल फिल्म है। मिल चुका है झारखंड रत्न रानी मार्डी को 2002-03 में रांची में लोक सेवा समिति द्वारा संथाली भाषा को प्रमोट करने के लिए झारखंड रत्न का अवार्ड दिया जा चुका है।  आगे आना होगारानी कहती हैं कि फोक म्यूजिक को आगे बढ़ाने के लिए आर्टिस्ट्स को आगे आना होगा। फोक म्यूजिक को प्रमोट करेंगे, तो अपने आप ही फोक सांग आगे आ जाएगा।

Posted By: Inextlive