RANCHI : झारखंड सरकार ने आदिवासी जमीन पर कम्पंशेसन का प्रावधान खत्म कर दिया है। अब टेनेंसी एक्ट के तहत आनेवाली किसी आदिवासी जमीन को गैर आदिवासियों के द्वारा हासिल नहीं किया जा सकेगा। इससे संबंधित राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के एक प्रस्ताव पर बुधवार को कैबिनेट ने मुहर लगा दी। इसके अलावा सीएनटी एक्ट-1908 और एसपीटी एक्ट-1949 में संशोधन के प्रस्ताव से जुड़े अध्यादेश के प्रारूप को भी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। गुरुवार से झारखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है। इसी सत्र में यह विधेयक प्रस्तुत किया जाएगा।

विस्थापितों को मिलेगा जमीन का मालिकाना हक

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के एक अहम प्रस्ताव पर भी कैबिनेट की मुहर लगी। इसके अनुसार किसी भी परियोजना के लिए अधिग्रहित की गई भूमि के बदले में रैयतों को जो जमीन दी गई है, उसपर उन्हें मालिकाना हक दिया जाएगा। इससे अब रैयत अपनी जमीन किसी और से बेच भी सकेंगे। नए भू-अर्जन कानून के तहत रैयतों को प्रमाण पत्र दिया जाएगा। इसका एक फायदा यह भी होगा कि भूमि पर स्वामित्व मिलने के बाद अब उन्हें जाति प्रमाण पत्र बनाने में सुविधा होगी।

डॉक्टरों को प्रखंड प्रमुख देंगे छुट्टी

स्वास्थ्य विभाग के एक प्रस्ताव को भी कैबिनेट से मंजूरी मिली। इसके तहत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में काम कर रहे चिकित्सा पदाधिकारी (डॉक्टर) को अब प्रखंड प्रमुख ही छुट्टी देंगे। इसके अलावा एएनएम को मुखिया से छुट्टी लेनी पड़ेगी। यह प्रस्ताव स्वास्थ्य विभाग ने 23 दिसंबर 2015 को ही अधिसूचित किया था। इसे कैबिनेट की मंजूरी बुधवार को मिली।

क्या है सीएनटी-एसपीटी के संशोधन प्रस्ताव में

1. संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम (एसपीटी एक्ट)-1949 की धारा-13 में कृषि भूमि को गैर कृषि भूमि में बदलने के बावजूद रैयतों का स्वामित्व (मालिकाना हक) बरकार रखने का प्रस्ताव जोड़ा गया है।

2. छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी एक्ट)-1908 की धारा 21 में भी कृषि भूमि को गैर कृषि भूमि में बदलने के बावजूद रैयतों का स्वामित्व (मालिकाना हक) बरकार रखने का प्रस्ताव जोड़ा गया है।

3. सीएनटी की धारा 49(1) में उपधारा सी जोड़ी गई है। इसके तहत सरकारी कल्याणकारी योजनाओं के लिए जमीन ली जाएगी। इस संशोधन के तहत सरकार सड़क, केनाल, वाटरपाइप, स्कूल, कॉलेज, अस्पताल और आंगनबाड़ी निर्माण के लिए आदिवासी जमीन ले सकेगी।

4. सीएनटी की धारा 49(2) में संशोधन करते हुए कहा गया है कि अगर किसी सरकारी कार्य के लिए जमीन का अधिग्रहण किया जाता है, तो पांच साल के भीतर उस जमीन का इस्तेमाल करना जरूरी होगा। अगर इस अवधि के अंदर जमीन का उपयोग नहीं हुआ, तो जमीन वापस उसी रैयत को दे दी जाएगी, जिससे ली गई थी। इसके लिए संबंधित रैयत से मुआवजे की राशि भी वापस नहीं ली जाएगी।

5. सीएनटी की धारा-71 (ए) के प्रोवीजन-2 में संशोधन करते हुए एसएआर कोर्ट से कम्पंसेशन का प्रावधान खत्म किया गया है।

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कैबिनेट के अन्य प्रमुख फैसले

- अति कमजोर समूह जनजाति विकास प्राधिकार के गठन को मंजूरी।

- सरकारी पॉलिटेक्निक के शिक्षकों की रिटायरमेंट की उम्र सीमा 62 साल से बढ़ाकर 65 साल की गई।

- झारखंड नगरपालिका संवेदक निबंधन नियमावली को मंजूरी।

-वैट संशोधन विधेयक को विधानसभा के पटल पर रखने की मंजूरी।

- जीएसटी के क्रियान्वयन के लिए मेसर्स प्राइस वाटर हाउस कूपर्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के मनोनयन को स्वीकृति।

-ग्रामीण विद्युतीकरण में काम करनेवाले झारखंड के संवेदकों को 14 परसेंट के बदले महज 2 परसेंट वैट देने की स्वीकृति।

- राजस्व पर्षद न्यायालय में सरकारी वकील की फीस रिवाइज की गई। अब एक केस को रिप्रेजेंट करने के एवज में 7000 रुपए और दैनिक उपस्थिति पर 1500 रुपए दिए जाएंगे।

- एजी की रिपोर्ट (2015-16) विधानसभा में प्रस्तुत करने की मंजूरी।

Posted By: Inextlive