क्त्रड्डठ्ठष्द्धद्ब: झारखंड के एक्टिंग सीएस सजल चक्रवर्ती 24 साल की पुरानी यारी निभाने के लिए सैटरडे को खूंटी डिस्ट्रिक्ट के डोमबारी बुरू गांव पहुंचे। इस गांव के पहाड़ी की चोटी पर स्थित चालीस फीट ऊंची शहीद स्मारक को नमन करने के बाद उन्होंने कहा कि स्टेट के हित में काम करने के पहले यहां आने का उन्होंने ठान लिया था, क्योंकि झारखंड के लिए इस शहीद स्मारक की काफी अहमियत है। नौ जनवरी 1900 को जब बिरसा मुंडा अपने साथियों के साथ बैठक कर रहे थे तो अंग्रेजों ने पहाड़ी को चारों ओर से घेरकर इतनी गोलियां चलाईं कि सैकडों लोग शहीद हो गए। हालांकि, सरकारी आंकड़ों में सिर्फ छह लोगों के शहीद होने की बात कही गई थी।

बगैर एस्कॉर्ट के गए सजल

खूंटी के मुरहू ब्लॉक में स्थित डोमबारी बुरू गांव नक्सल अफेक्टेड गांव है। ऐसे में जब शनिवार की सुबह सीएस सजल चक्रवती ने गांव में शहीद स्मारक को नमन करने के लिए जाने का फैसला किया तो अधिकारियों के नींद उड़ गई। बिना एस्कॉर्ट पार्टी के वे इस गांव के लिए सबसे आगे चल रहे थे। गांव की पहाड़ी पर स्थित शहीद स्मारक तक जाने के लिए पहले बाइक का अरेंजमेंट किया गया, पर बाद में जीप मंगाई गई। रास्ते में जीप भी कई बार रोकी गई। आखिरकार शहीद स्मारक पहुंचकर उन्होंने पहले देश के शहीदों का नमन किए, फिर गांव की स्थिति का जायजा लिया। गौरतलब है कि 1990 में रांची का डीसी रहते हुए उन्होंने इस गांव का दौरा किया था।

Posted By: Inextlive