सिर्फ छह माह में जंक्शन पर बनाई गई 60 मीटर लंबी दीवार पहली बारिश भी बर्दाश्त नहीं कर पाई और ढह गई। दीवार गिरने के बाद हर कोई अपने अपने तर्क देने में जुटा हुआ है। डीआरएम ने निर्माण की जांच के आदेश दे दिए हैं। इस घटना से जंक्शन पर पिछले महीनों हुआ करोड़ों का निर्माण कार्य संदेह के घेरे में आ गया है।

-जंक्शन के प्लेटफॉर्म 6 पर एनईआर की बनाई 60 मीटर लंबी दीवार ढही

-बिना सरिया डाले ही कर दिया गया था दीवार का निर्माण, ठेकेदार पर आरोप

-करोड़ों के प्रोजेक्ट में शामिल है दीवार का निर्माण, डीआरएम ने शुरू कराई जांच

BAREILLY:

60 मीटर की दीवार सिर्फ छह महीना ही खड़ी रह पाई। पहली बारिश ने इस दीवार के घटिया निर्माण की पोल खोल कर रख दी। इस दीवार के ढहने के साथ ही करोड़ों की लागत से तैयार हो रहे एनईआर के ब्रॉडगेज प्रोजेक्ट के निर्माण की क्वालिटी पर घटिया निर्माण व करप्शन के बादल घिरने लगे हैं। सिर्फ इतना ही नहीं भोजीपुरा स्टेशन पर भी एनईआर की एक नई दीवार गिरने की जानकारी मिली है। इन दो मामलों के बाद मामला गंभीर हो गया है। सवाल उठता है कि क्या यह मिलीभगत व करप्शन का खेल है या फिर कुछ और?

6 महीने पहले हुआ निर्माण

जंक्शन को एनईआर के इज्जतनगर व सिटी स्टेशन से सीधे जोड़ने के लिए ब्रॉडगेज लाइन बिछाने की कवायद शुरू हुई थी। इसी के तहत एनईआर के प्लेटफॉर्म 5 व 6 का भी रेनोवेशन शुरू हुआ। प्लेटफॉर्म 6 पर एनईआर की ओर से सुभाषनगर साइड से इस दीवार को बनाया गया था। इसी के साथ ही करोड़ों के और कंस्ट्रक्शन वर्क भी हुए हैं। अब कहीं न कहीं यह सभी निर्माण की क्वालिटी पर संदेह उठना लाजिमी हो गया है। वहीं भोजीपुरा में भी एक दीवार गिरने की सूचना है।

दीवार में नहीं मिली सरिया

रेलवे अधिकारियों ने बताया कि एनईआर की ओर से बरेली के ठेकेदार अनिल कुमार अग्रवाल को दीवार बनाने का ठेका दिया गया था। सैटरडे रात दीवार गिरने की जानकारी ठेकेदार को संडे सुबह कर्मचारियों से मिली। 6 महीने पहले बनी कंक्रीट की मजबूत दीवार के बड़े बड़े स्लैब टूटकर बिखर गए। टूटी दीवार के स्लैब की जांच में मिला कि इसमें सरिया का इस्तेमाल ही नहीं हुआ है। स्थानीय लोगों ने ढही दीवार की क्वालिटी को घटिया करार दिया और इसमें मजबूती के लिए सरिया का इस्तेमाल न किए जाने के आरोप ठेकेदार पर लगाए।

सीसी दीवार की दलील

नई ढह गई दीवार में सरिया का इस्तेमाल न होने पर ठेकेदार के कर्मचारियों ने इसे सीसी यानि सीमेंट कंक्रीट से ही बनाए जाने की दलील दी। इसका निर्माण करने वाली फर्म के इंजीनियर भुवनेश कुमार ने बताया कि रेलवे की ओर से दीवार बनाने का टेंडर सीसी प्रपोज्ड था। इसमें सरिया का यूज नहीं किया जाता। आरसीसी बेस्ड कंस्ट्रक्शन में ही सरिया का इस्तेमाल किया जाता है। दीवार गिरने के कारण इंजीनियर्स ने तेज बारिश के चलते बुनियाद में पानी की भराव होना बताया। हालांकि दीवार गिरने पर ठेकेदार ने खुद को बचाते हुए एनईआर अधिकारियों को अपनी रिपोर्ट तक भेज दी।

रेलवे का डिजाइन फेल्योर साबित

एनईआर की ओर से प्लेटफॉर्म 6 को कवर्ड करने के लिए बनाई गई दीवार का डिजाइन ही फेल्योर होने की बुनियाद बना। इसकी पुष्टि खुद आईओडब्ल्यू के इंजीनियर्स दबी जुबान से कर रहे। दरअसल दीवार की क्वालिटी मजबूत करने को इसे सीसी की बजाय आरसीसी से बनाया जाना चाहिए था, जिसमें सरिया का इस्तेमाल होने से इसकी मजबूती बुनियाद में जलभराव व तेज बारिश में भी टिकी रहती। वहीं सीसी निर्माण कार्यो की नाकामी बरेली शहर में भी दिखी। निगम की ओर से कराए गए सीसी रोड के निर्माण में भी जबरदस्त खामियां उजागर हुई। प्रदेश भर से ऐसी कंप्लेन मिलने के बाद सरकार ने इन निर्माण कार्यो पर जांच तक बैठा दी है।

अन्य निर्माण कार्यो पर भी सवाल

60 मीटर लंबी दीवार गिरने के बाद एनईआर की ओर से कराए जा रहे जंक्शन पर अन्य निर्माण कार्यो की क्वालिटी पर भी सवालिया निशान लग गए हैं। एनईआर की ओर से जिस ठेकेदार को दीवार बनाने का ठेका दिया गया है। उसी के जिम्मे सुभाषनगर पुलिया पर हो रहे निर्माण कार्य की भी जिम्मेदारी है। करोड़ों के निर्माण कार्य में नई दीवार के भरभरा के गिरने से लगा दाग एनईआर अधिकारियों को भी परेशान कर रहा है। एनईआर इंजीनियरिंग विभाग के निर्माण सेक्शन के डिप्टी चीफ इंजीनियर राजीव कुमार अग्रवाल ने आउट ऑफ स्टेशन होने के चलते पूरे मामले की जानकारी न होने की बात कही। डिप्टी चीफ इंजीनियर ने निर्माण कार्य की जांच करने की बात कही है।

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6 महीने पहले बनी नई दीवार का गिरना चिंताजनक है। दीवार गिरने के मामले की जांच कराई जाएगी। इसके लिए अधिकारियों को निर्देश दे दिए गए हैं। निर्माण कार्यो में क्वालिटी से समझौता नहीं होगा। - चंद्र मोहन जिंदल, डीआरएम, एनईआर

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यह खड़े हो रहे हैं सवाल

-रेलवे में निर्माण की क्वालिटी पर विशेष ध्यान दिया जाता है, क्योंकि यह सीधे तौर पर पैसेंजर्स की सेफ्टी से जुडा मामला होता है। ऐसे में दीवार गिरने के बाद कुछ सवाल उठना लाजिमी है।

- क्या निर्माण कंपनी ने मानकों का पालन नहीं किया। अगर ऐसा है तो रेलवे अफसरों ने इसको रोका क्यों नहीं?

-निर्माण के बाद रेलवे के अधिकारी हर निर्माण की जांच करते हैं। इस निर्माण की रेलवे अधिकारियों ने जांच की या नहीं की?

-अगर जांच हुई है तो फिर इतनी कमजोर दीवार को क्यों पास किया गया? कहीं इसमें अफसरों की मिलीभगत तो नहीं?

-यह दीवार करोड़ों के निर्माण कार्य का एक हिस्सा था। क्या बाकी निर्माण की जांच अब जरूरी हो गई है?

-निर्माण जंक्शन में हो रहा था। जहां आए दिन ऑफिसर्स का आना-जाना लगा रहता था। ऐसे में किसी की नजर महीनों चले इस निर्माण पर क्यों नहीं पड़ी?

जीएम के दौरे से पहले खुली पोल

कंक्रीट की दीवार गिरने के मामले में एनईआर अधिकारियों की पेशानी पर बल एक और वजह से भी पड़ गया है। दरअसल, कुछ दिन पहले ही एनईआर हेडक्र्वाटर गोरखपुर ने बरेली में 16 जुलाई को जीएम राजीव मिश्रा के इंस्पेक्शन पर आने की उम्मीद जताई थी, जिसे लेकर एनईआर इज्जतनगर मंडल ने अपनी तैयारियां भी शुरू कर दी थी। जीएम को जंक्शन से लेकर बरेली-कासगंज ब्रॉडगेज लाइन का मुआयना करना है। जीएम के संभावित दौरे से ठीक तीन दिन पहले जंक्शन पर ही निर्माण कार्य में क्वालिटी पर उठे सवाल को लेकर एनईआर अधिकारी मुश्किल में फंस गए हैं।

Posted By: Inextlive