बचपन की मेरी सबसे फेवरेट फिल्म रही है 'हाथी मेरे साथी' जब भी ये फिल्म टीवी पर आती थी मैं एकटक हाथियों और राजेश खन्ना को जानवरों से इंसानों की तरह प्यार से रहता है देखता रहता था जब उसके एक हाथी की मौत होती है तो मेरा ही नहीं हर वो इंसान जिसने ये फिल्म देखी है वो भले ही रोया न हो शोक से सर जरूर झुकाया होगा। जंगली से कुछ वैसी ही आशा थी।

कहानी :
जंगल पर है खतरा और खतरे से लड़ने के लिए हैं हमारे टार्जन कम कमांडो भाई साहब यानि 'विद्युत जामवाल'।

रेटिंग : 2.5 स्टार


समीक्षा:
जंगली एज अ फिल्म एक बहुत अलग किस्म का एक्सपेरिमेंट है, यहां भारत मे बनी इस फिल्म को हॉलीवुड के एक रेप्युटेड व्यक्ति ने डायरेक्ट किया है। फिल्म दिखती बहुत अच्छी है, पर फिल्म का ट्रीटमेंट मिड सिक्सटीज की फिल्मों जैसा है विलेन जिसके पास वही पैतरे हैं जो तब होते थे। कहने का मतलब करैक्टर मात्र इसलिए विलेन है क्योंकि... बहुत सोचा कुछ समझ नहीं आया कि वो ऐसा किस मनुफचरिंग डिफेक्ट के कारण है। जंगली जानवरों के संरक्षण को बेस बना कर कब विद्युत जामवाल की मार्शल आर्ट शो रील बन जाती है पता भी नहीं चलता। इसी तरह से फिल्म का इमोशनल कनेक्ट भी बहुत वीक है। इमोशनल कनेक्ट भारत मे सिनेमा का सबसे बड़ा सेलिंग पॉइंट है, और लॉजिकली होना भी चाहिए, सोचिए अगर आप किसी फिल्म में इमोशनल होकर रो दिए हैं, तो फिल्म को बुरा नहीं बोलेंगे। वो इमोशनल कनेक्ट जो तेरी मेहरबानियां या माँ में था वो इस फिल्म से पूरी तरह मिसिंग है (दोनो ही फिल्मों में जानवर और इंसान के प्यार भरे रिश्ते की कहानी थी। इस फिल्म की राइटिंग बहुत वीक है।

 

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— nyvfxwaala (@nyvfxwaala) March 6, 2019

क्या है बढ़िया :
प्रोडक्शन डिजाइन, सिनेमैटोग्राफी और वी एफ एक्स कमाल के हैं।

अदाकारी :
पूरी एक्टिंग टीम ने काफी मेडिओकर काम किया है, विद्युत को मार्शल आर्ट्स करते आप पहले ही काफी देख चुके हैं, नया कुछ भी नही है।

इस फिल्म में कितने टैलेंटेड लोग इन्वॉल्व हैं, इसके बाद कुलमिलाकर जिस तरह के प्रोडक्ट की आशा थी, वो नहीं निकला। इस फिल्म का सबसे बड़ा माइनस पॉइंट है इसकी क्लीशेड राइटिंग।

Review by : Yohaann Bhaargava

Posted By: Chandramohan Mishra