स्कूलों में जंक फूड पर लगी रोक तो बच्चों ने निकाला तोड़
- स्कूल की छुट्टी के बाद सीधे पहुंच रहे फास्ट फूड के स्टॉल पर, घर के खाने को कर रहे इग्नोर
- जंक फूड से बच्चों के दांत खराब होने के मामले तेजी से बढ़े, दूसरी बीमारियों के केसों में भी बढ़ोत्तरीबरेली। स्कूलों ने टिफिन बॉक्स में जंक फूड पर डंडा चलाया तो बच्चों ने इसका भी तोड़ ढूंढ़ लिया है। वे स्कूल की छुट्टी के बाद घर जाकर लंच करने के बजाए सीधे फास्ट फूड के स्टॉल्स पर पहुंचने लगे हैं। बर्गर, पिज्जा, चाउमिन और कोल्ड ड्रिंक्स आदि का टेस्ट ले रहे हैं। इनकी इस आदत ने जहां पेंरेंटस को परेशान कर रखा है, वहीं डॉक्टरों को हैरत में डाल दिया है। कई पेरेंट्स का कहना है कि बच्चे स्कूल से आने के बाद अब घर पर लंच इग्नोर कर रहे हैं। वे जंक फूड के इस कदर दीवाने हैं कि उन्हें घर का खाना रास ही नहीं आ रहा है। टीवी पर नए-नए जंक फूड्स के विज्ञापन देखकर वे उनकी भी डिमांड करने लगे हैं। वहीं डेंटिस्ट्स का कहना है कि उनके पास ऐसे बच्चों के केस ज्यादा आ रहे हैं, जिनके दांत फास्ट फूड से खराब हुए हैं। साथ ही डायबिटीज और बीपी के मामलों में भी बढ़ोत्तरी हुई है।
20 प्रतिशत केस फास्ट फूड से खराबी के
डेन्टिस्ट डॉ। दिनकर गोयल के मुताबिक, उनके पास रोजाना जितने भी केस आते हैं, उनमें से 20 प्रतिशत बच्चे ऐसे होते हैं जिनके दांत फास्ट फूड से खराब हुए हैं। इनके मुताबिक, जंक फूड का सबसे बुरा असर दांतों के इनेमल पर होता है। डायबिटीज-बीपी के मामले भी बढ़े डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के सीनियर फिजिशियन डॉ। अजय मोहन अग्रवाल का कहना है कि जंक फूड में कैलोरी वैल्यू अधिक होने से बच्चों में फैट बढ़ने लगता है और वे ओवरवेट हो जाते हैं। इससे उनमें डायबिटीज और ब्लड प्रेशर सहित अन्य बीमारियों के चांसेज काफी बढ़ जाते हैं। आजकल उनके पास इन्हीं बीमारियों से जूझ रहे बच्चे ज्यादा आ रहे हैं। इन इलाकों में रहता है जमावड़ा। शहर के सिविल लाइंस रोड, अयूब खां चौराहा, राजेंद्र नगर, कोहाड़ापीर, बीसलपुर रोड पर बने फूड कॉर्नर पर स्कूल की छुट्टी के बाद बच्चों का जमावड़ा रहता है। ---------------------- वर्जन बच्चे की जिद के आगे झुकना पड़ता है। स्कूल से घर ले जाते वक्त बच्चे फास्ट फूड कॉर्नर पर जाने की जिद करते हैं। जंक फूड खाने के बाद घर पर खाने की तरफ देखते ही नहीं हैं। अजय खंडेलवाल।अगर एक दिन पिज्जा न मिले तो बच्चों को ऐसा लगता है कि उनकी दिनचर्या अधूरी है। घर में कितना भी स्वादिष्ट खाना बना हो लेकिन बच्चे इसको मन से नहीं खाते।
आलोक रस्तोगी।