Bareilly: इस साल शहद महंगा हो सकता है. कोहरे के कारण मधुमक्खियां पराग कलेक्शन के लिए नहीं निकल रही हैं. ऐसे में शहद का प्रोडक्शन बिलकुल बंद हो गया है.


हनी सीजन सूखा जाने के कारण मधुमक्खी और उनका पालन करने वालों के सामने भुखमरी की नौबत आ गई है। बरेली में आईवीआरआई के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक भी इस वजह से परेशान हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसा लगातार कोहरे के कारण हो रहा है। पिछले 10 साल में ऐसा पहली बार हो रहा है। अब सब कुछ मौसम की मेहरबानी पर निर्भर है।10 सालों में पहली बार शहद उत्पादन बंद


मधुमक्खी पालन कारोबार से जुड़े लोगों की माने तो ऐसा पहली बार हुआ है कि सुबह से लेकर रात तक एक सा मौसम बना रहा है। कोहरे और बादल ने धूप की झलक पाने तक के लिए लोगों को तरसा दिया है। ऐसे में मधुमक्खियां पेटी से बाहर ही नहीं निकल रही है, जिसके कारण वो फूलों से पराग कण और मकरंद नहीं निकाल पा रही है। लिहाजा मधुमक्खियां पेटी में छत्ते का निर्माण तक नहीं कर पा रही है और प्रॉडक्शन पर भारी प्रभाव पड़ रहा है। फूलों के खिलने पर किसी तरह की प्रॉब्लम नहीं दिख रही है लेकिन मौसम खराब होने से मधुमक्खियां फूलों तक जा ही नहीं रही है।पिछले साल था ज्यादा production

मधुमक्खी पालन कारोबारियों और वैज्ञानिकों की माने तो पिछले साल ऐसा बिल्कुल भी नहीं हुआ था। भोजीपुरा स्थित प्रहलादपुर गांव में मधुमक्खी पालन का कारोबार बड़े पैमाने पर है। मधुमक्खी पालन से जुड़े कारोबारी विजय पाल सागर ने बताया कि कोहरा हर साल होता था लेकिन दो घ्ंाटे के लिए भी दिन खुल जाता था और धूप निकल आती थी। मधुमक्खियों के लिए इतना काफी होता था और अच्छे स्तर पर शहद का प्रोडक्शन हुआ था लेकिन इस बार स्थिति बिल्कुल ही उलट है। इस साल अक्टूबर तक तो प्रोडक्शन ठीक था लेकिन उसके बाद से शहद का प्रोडक्शन बिल्कुल भी नहीं हो रहा है।Oct-May honey seasonशहद प्रोडक्शन के लिए वैज्ञानिक सबसे महत्वपूर्ण समय अक्टूबर-मई तक को मानते हैं क्योंकि इस दौरान फूलों के खिलने का सीजन होता है। इसके कारण मधुमक्खिया फूलों से पराग कण और मकरंद निकाल कर छत्ते में शहद का निर्माण करती है। इस वर्ष सीजन के दौरान ही मौसम की ऐसी मार ने मधुमक्खी पालन से जुड़े लोगों को भूखमरी के कगार पर पहुंचा दिया है।Scientists भी परेशान

मधुमक्खी पालन से जुड़े कारोबारियों के साथ ही बदले मौसम ने आईवीआरआई के कृषि विभाग केन्द्र के वैज्ञानिकों को भी काफी परेशान कर दिया है। आईवीआरआई के डायरेक्टर प्रो। महेश शर्मा के निर्देशन में कृषि विभाग केन्द्र में भी मधुमक्खी पालन और मधुमक्खी पालन के तौर-तरीकों पर रिसर्च चल रहा है। कृषि विज्ञान केन्द्र के टेक्निकल ऑफिसर दिलीप सिंह अधिकारी ने बताया कि मधुमक्खियों को अपना जीवन चक्र चलाने के लिए 30-35 डिग्री सेल्सियस टेंप्रेचर चाहिए होता है लेकिन फिलहाल ऐसा बिल्कुल भी नहीं हो पा रहा है। ठंड के मौसम में धूप निकलने पर मधुमक्खियों को ऐसा टेंप्रेचर मिल जाता था, जैसा कि पिछले कई सालों से रहा है लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ, जिसके कारण मधुमक्खियों ने छत्ता नहीं लगाया और शहद का प्रोडक्शन बिल्कुल कम हो गया।Costly हो जाएगा शहद
कारोबरियों का मानना है कि शहद की डिमांड तो ज्यादा है लेकिन उस डिमांड के अनुसार इस बार प्रोडक्शन नहीं हुआ। ऐसे में पूरी संभावना है कि शहद और महंगा हो जाएगा। मधुमक्खी पालक कुंवर सेन ने बताया कि थोक विक्रेताओं को शहद 85 रुपए किलो की दर से बेचा जा रहा है, जबकि 20 दिन पहले इसकी कीमत 75 रुपए तक थी। अगर थोक विक्रताओं को शहद महंगा मिलेगा तो वे खुदरा विक्रताओं को महंगा देंगे। अभी मार्केट में शुद्ध शहद 175 से 200 रुपए किलो के रेट में मिल रहा है। दुकानदारों का मानना है कि उन्हें महंगे दर पर शहद अवेलेबल होता है तो वो भी इसके दाम में इजाफा करने पर मजबूर हो जाएंगे।सुझाव-जाड़े और बरिश में मधुमक्खियों के बॉक्स को थोड़ा आगे की ओर झुका देना चाहिए ताकि कोहरा या बारिश का पानी अंदर न जाए।-बॉक्स के अंदर चीनी, शहद या फिर चीनी के घोल को थोड़ी मात्रा में डालें ताकि मधुमक्खियों को खाना मिलता रहे।-कमजोर हो चुकी मधुमक्खियों को एक ही बॉक्स में रख दें। शहद की उपयोगिता-शहद देश भर के कई लोगों को रोजगार दे रहा है।-फूल और फलों की पैदावार में मधुमक्खियां सहायक होती हैं।-शहद खुद एक दवा है।-इसे पेट साफ करने के लिए नवजात शिशु से लेकर बुजुर्गों तक के लिए रामबाण माना जाता है।-हेल्थ फूड प्रोडक्ट में शहद का मिश्रण जरूरी माना जाता है। -शहद में मिनरल प्रचुर मात्रा में होती है, जिसे खाने पर बॉडी में आवश्यक मिनरल की पूर्ति हो जाती है।-शहद ठंड और निमोनिया से बचाव में काफी सहायक है।-शहद प्राचीन काल से एंटीबायोटिक की तरह काम कर रहा है।
अक्टूबर के समय शहद का उत्पादन अच्छा था लेकिन मौसम खराब होते ही मधुमक्खियों ने शहद बनाना ही बंद कर दिया है। काफी नुकसान हो रहा है। गवर्नमेंट को इस ओर ध्यान देना चाहिए।-विजय पाल सागर, मधुमक्खी पालकशहद का थोक बिजनेस प्रभावित होना शुरू हो गया और अगर शहद प्रोडक्शन का यही हाल रहा तो फिर आम लोगों को पहले की अपेक्षा शहद ज्यादा महंगा ही खरीदना पड़ेगा।-दीपक कुमार, मधुमक्खी पालक10 सालों के अपने शहद कारोबार में पहली बार ऐसा देखने को मिला है। मौसम ने नवम्बर, दिसम्बर और अब जनवरी में भी शहद उत्पादन को काफी प्रभावित किया है। बरेली ही नहीं बल्कि देश के कई हिस्सों से ऐसी खबर अ रही है।-कुवंर सेन, मधुमक्खी पालकयह बात बिल्कुल सही है कि शहद का उत्पादन नवम्बर से बिल्कुल कम हो गया है। ऐसा मौसम के खराब होने की वजह से हो रहा है। इस काम से जुड़े कई लोग रोजाना फोन पर हमसे कॉन्टेक्ट कर रहे हैं हम उन्हें सजेशन दे रहे हैं। मौसम साफ होने के बाद ही स्थितियां कुछ ठीक हो पाएंगी।-दिलीप सिंह, टेक्निकल ऑफिसर, कृषि विज्ञान केंद्र, आईवीआरआईReport by : Gupteshwar Kumar

Posted By: Inextlive