‘भोजपुरी क्वीन’ कही जाने वाली कल्पना पाटोवरी भोजपुरी पट्टी के लोगों के दिलों पर राज करती हैं. जब भी इनकी आवाज खनकती है सुनने वालों का दिल धक-धक करने लगता है. बेसिकली असम की रहने वाली कल्पना ने अब तक 22 विभिन्न भाषाओं में नौ हजार से अधिक गीत गाए हैं. इन्हें निर्गुण पूर्वी कजरी बिहू पचरा-देवी आदि विधाओं में महारथ हासिल है. कल्पना ‘इकतारा ’ के पांच जजों में से एक हैं.

संगीत की अनोखी दुनिया

कल्पना कहती हैं कि फोक म्यूजिक को लोग सिर्फ गांव-घर का गीत समझते हैं, जिसे मैं इंटरनेशनल लेवल पर पहचान दिलाना चाहती हूं. संगीत की एक अलग ही दुनिया है लोकगीत. आमजन के घर की भाषा, गांव-समाज की बोली है. ऐसा गीत, जिसे लोग कैसे भी गा लें. इन गीतों में सुबह कोयल की कूहूकू से लेकर अंधियारी रात तक की बातें होती हैं. फीलिंग्स होती हैं. बेटी की विदाई हो या ललना का जन्म. पिया से मिलन की खुशी हो या बैरी पिया के इंतजार की घडिय़ां. लोकगीत की खुशबू में सबकुछ अपना-सा महकता है. यह संगीत की ऐसी विधा है, जिससे अपनापन महसूस होता है. लिखता कोई और है, तो गाता कोई और है. मतलब जो दिल करे, वो करो. 
हो रहे हैं नए-नए इनोवेशन

हालांकि आजकल लोकगीत में  नए-नए इनोवेशन हो रहे हैं. यह अच्छी बात भी है. जो समय के साथ चलता है, वही आगे बढ़ता है. लोकगीत भी समय की रफ्तार के साथ है. शायद यही कारण है कि इतने हाईटेक हो जाने के बाद भी लोक गीत यूथ के दिल का संगीत बना हुआ है. आई नेक्स्ट लाइव ने ‘इकतारा ए सेंसेशनल फोक म्यूजिक कांपटीशन’ शुरू करके फोक गीत की रफ्तार में यूथफुल जान डाल दी है. लोकगीत की ‘छुक-छुक गाड़ी’ से जुडक़र मैं खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही हूं

In conversation with Sanjeet N Mishra

Posted By: Garima Shukla