कानपुर महोत्सव धीरे-धीरे मुश्किलों का महोत्सव बनता जा रहा है.


डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन महोत्सव के आयोजन के नाम पर महज खानापूर्ति कर रहा है। मिस मैनेजमेंट पहले से ही था, रही-सही कसर पब्लिक को होने वाली प्रॉब्लम्स ने पूरी कर दी है। आई नेक्स्ट रिपोर्टर की नजर से महोत्सव में मौजूद खामियों पर एक नजर - अंदर park हो रहे two wheelers अब बात महोत्सव प्रिमाइसेज की। टू-व्हीलर्स के लिए फूलबाग में ही पार्किंग बनाई गई है, लेकिन ज्यादातर टू-व्हीलर्स महोत्सव के अंदर पार्क हो रहे हैं। आरबीआई का स्टॉल हो या ऑडियंस के बैठने के लिए सीटें। पंडाल के बीचो-बीच तक टू-व्हीलर्स की आवाजाही से विजिटर्स स्पेशली महिलाओं और बच्चों के इंजर्ड होने का खतरा बना रहता है। धूल-मिट्टी का गुबार


अभी ज्यादा दिन नहीं बीते फूलबाग में ऑर्ट ऑफ लिविंग के महासत्संग को। तब पूरे ग्राउंड को कारपेट से कवर करवाया गया था। फायदा यह हुआ कि धूल-मिïट्टी का नामो-निशान तक नहीं था। कानपुर महोत्सव में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। पंडाल से जितना एरिया कवर किया गया है। वहां भी ठीक से कारपेट नहीं बिछी है। जहां स्टॉल्स लगे हैं। वहां का एरिया कारपेट से कवर नहीं हुआ। धूल-मिïट्टी उडऩे से सांस लेने में भी विजिटर्स को तकलीफ होती है। Full-prof नहीं safety arrangements

महोत्सव एरिया को ए, बी और सी तीन कैटेगरी में डिवाइड किया गया है। गणेश उद्यान एंट्री गेट से राइट साइड वाला एरिया ‘कैटेगरी-ए’ का हिस्सा है। इनॉग्रेशन के दो दिन बाद तक इस एरिया को चैनलाइज नहीं किया जा सका। स्टॉल्स के बैक साइड जाने के लिए विजिटर्स को घूम कर जाना पड़ता था। भगदड़ की स्थिति में भी मंच में बैठे लोगों को सामने से ही निकलने का विकल्प था। स्टॉल ओनर्स के ऑब्जेक्शन पर पंडाल और स्टॉल्स के बीच एक रास्ता और बनाया गया। दूसरे गेट पर फायर ब्रिगेड की दो गाडिय़ां ही खड़ी मिलीं। अब तक 20,000 महोत्सव में भीड़ को लेकर एडमिनिस्ट्रेशन के दावे कमजोर साबित होते नजर आ रहे हैं। चार दिन हो गए महोत्सव शुरु हुए, लेकिन क्राउड अब तक नदारद है। इन चार दिनों में विजिटर्स की संख्या 20,000 तक ही पहुंच सकी है।

Posted By: Inextlive