..आई एक्सक्लूसिव

- 'वॉटर सिक्योरिटी इन स्मार्ट सिटी' के तहत कानपुर में किया जाएगा जीआईएस बेस्ड सर्वे

-2030 तक कानपुर में ड्रिकिंग वाटर की जरूरत, स्थिति और उपलब्धता का पता चलेगा

- बढ़ती आबादी और घटते वॉटर लेवल को देख ड्रिकिंग वाटर क्राइसिस से निपटने की तैयारी

kanpur@inext.co.in

KANPUR : शहर की बढ़ती आबादी और घटता वॉटर लेवल पब्लिक के साथ सरकार की भी चिंता का कारण बनता जा रहा है. पानी के लिए आए दिन लोगों के बीच झगड़े और फसाद हो रहे हैं. इसी तरह पानी की किल्लत बढ़ती गई तो आने वाले समय में हाहाकार मच सकता है. हालात को भांपते हुए सेंट्रल गवर्नमेंट ने 'वॉटर सिक्योरिटी इन स्मार्ट सिटी' के तहत जीआईएस बेस्ड सर्वे कराने का फैसला किया है. मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स की टीम कंसर्व 'डिजिटल मॉडल टू इंफॉर्म वॉटर सिक्योरिटीज' पर काम करेगी. इसके तहत कानपुर में मौजूदा पानी के वॉटर रिसोर्स और 2030 तक पानी की क्या स्थिति होगी. सर्वे के बाद पूरी रिपोर्ट नीति आयोग को सौंप दी जाएगी.

क्लाइमेट पर भी रिसर्च

पॉल्यूशन और गंदगी की वजह से तेजी से बदल रहे कानपुर के क्लाइमेट पर भी रिसर्च की जाएगी. ग्राउंड वाटर लेवल पर क्लाइमेट चेंज का खासा प्रभाव पड़ेगा. फ्यूचर में पानी को लेकर बढ़ने वाली परेशानियों को कम करने के लिए अभी से स्टडी कर कमियों को दूर करने पर काम किए जाएंगे. नगर आयुक्त संतोष कुमार शर्मा के मुताबिक मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स की तरफ सर्वे की बात कही गई है. स्मार्ट सिटी के अधिकारियों को इस कार्य के लिए कोऑर्डिनेट करने के लिए कहा है.

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5 फेज में होगा सर्वे होगा पूरा

फेज-1 (अप्रैल-मई)

मौजूदा समय में सिटी का डाटा.

फेज-2 (मई-जून)

वॉटर बैलेंस साइकिल और मौजूदा क्लामेट चेंज, पानी के नैचुरल रिसोर्स और मौजूदा समय में शहर में पानी के रिसोर्स का डाटा कलेक्शन.

फेज-3 (जून-जुलाई)

रेनफॉल से ग्राउंड वॉटर डिस्चार्ज और रिचार्ज, शहर में पॉल्यूशन का प्रभाव और पानी पर होने वाले प्रभावों पर रिसर्च.

फेज-4 (अगस्त-सितंबरर)

डाटा कलेक्शन और जीआईएस डाटा पर स्टडी, वॉटर बैलेंस मॉडल पर स्टडी करना.

फेज-5 (अक्टूबर-जनवरी)

वॉटर बैलेंस मॉडल डेवलप करना, पानी के रिसोर्स को फ्यूचर के लिए तैयार करना, नीति आयोग को रिपोर्ट सब्मिट करना.

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ये होगा फायदा

-पानी की जरूरतों के मुताबिक फ्यूचर के लिए शहर में तैयारियां करना.

-वॉटर रिसोर्स मैनेजमेंट के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार करना.

-सिटी वॉटर रिसोर्स के लिए जीआईएस बेस्ड डाटा जुटाना.

-कानपुराइट्स के लिए वॉटर सप्लाई की ट्रांसपेरेंट सिस्टम डेवलप करना.

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ये टीम करेगी सर्वे

-मेंटर- प्रोफेसर एके गोंसाई, वॉटर रिसोर्स इंजीनियरिंग, आईआईटी दिल्ली

-मेंबर- शिल्पा सिंह, एमएससी, टीआईएसएस, मुंबई.

-मेंबर- नमन शर्मा, बीआर्क, आईआईटी रुड़की.

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मौजूदा समय में ये है पानी की सप्लाई

शहर की कुल आबादी---- 45,24,324

ट्यूबवेल की संख्या--- 50

जोनल पंपिंग स्टेशन की संख्या-- 38

हैंडपंप की संख्या---11,890

खराब हैंडपंप की संख्या---5,160

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पानी के रिसोर्स और जरूरत

-डि्रंकिंग वॉटर लेवल की जरूरत--550 एमएलडी

-मौजूदा समय में उपलब्ध पानी---420 एमएलडी

-दक्षिण क्षेत्र में पानी की डिमांड--150 एमएलडी

-सप्लाई हो रहा पानी---65 एमएलडी

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उपलब्धता के लिए बने पंपिंग स्टेशन

भैंरोघाट- 200 एमएलडी

पुराना बैराज-60 एमएलडी

लोअर गंगा कैनाल-50 एमएलडी

ओल्ड गुजैनी वाटर व‌र्क्स-12.5 एमएलडी

सप्लाई के लिए नए बनाए गए

गंगा बैराज वाटर व‌र्क्स- 200 एमएलडी

Posted By: Manoj Khare