पर्यटन विभाग कसेगा यूपी इंवेस्टर्स समिट में धोखाधड़ी करने वाली कंपनी पर शिकंजा, जानें पूरा मामला
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LUCKNOW: पर्यटन विभाग के साथ सूबे के आठ प्रमुख पर्यटक स्थलों पर फाइव स्टोर होटल बनाने का एमओयू करने वाली केसी इंफ्राबिल्ड प्राइवेट लिमिटेड के निदेशकों पर राज्य सरकार कानून का शिकंजा कसने जा रही है। 'दैनिक जागरण आई नेक्स्ट' द्वारा कंपनी के फर्जीवाड़े का खुलासा करने के बाद पर्यटन मंत्री रीता बहुुगुणा जोशी के निर्देश पर हुई जांच में केसी इंफ्राबिल्ड पर लगे आरोप सही पाए गये हैं। अब पर्यटन विभाग कमेटी गठित कर इस प्रकरण की विस्तृत जांच कराने की तैयारी में है। उच्चाधिकारियों की मानें तो कमेटी जांच के बाद डीजीपी को कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश करेगी।
एमडी ने कराई जांच
दरअसल पर्यटन मंत्री ने दैनिक जागरण आई नेक्स्ट द्वारा विगत 30 नवंबर के अंक में कंपनी के फर्जीवाड़े को लेकर प्रमुखता से प्रकाशित खबर का संज्ञान लेते हुए पर्यटन विभाग की प्रबंध निदेशक सी इंदुमती को प्रारंभिक जांच कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए थे। इसमें खुलासा किया गया था कि केसी इंफ्राबिल्ड के एमडी विजय कुमार मिश्रा के खिलाफ राजधानी के आलमबाग स्थित केनरा बैंक से 12.38 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का मामला चल रहा है जिसकी जांच नई दिल्ली स्थित सीबीआई मुख्यालय की इकोनोमिक ऑफेंस विंग द्वारा की जा रही है। सूत्रों की मानें तो प्रारंभिक जांच में इसकी पुष्टि हो गयी है कि सीबीआई जांच के निशाने पर होने के बावजूद विजय कुमार मिश्र ने अफसरों को गुमराह करके इंवेस्टर्स समिट में राज्य सरकार के साथ 1500 करोड़ रुपये का फर्जी एमओयू कर लिया। एमओयू करने के दौरान विजय मिश्रा ने अपने खिलाफ चल रही सीबीआई जांच का उल्लेख नहीं किया। इतना ही नहीं, वह इस एमओयू को दिखाकर लोगों से कंपनी में बड़े पैमाने पर निवेश भी कराने लगा।
कमेटी करेगी विस्तृत जांच
प्रारंभिक जांच में केसी इंफ्राबिल्ड के फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बाद पर्यटन विभाग ने इस मामले की विस्तृत जांच के लिए कमेटी गठित करने का निर्णय लिया है। यह कमेटी केसी इंफ्राबिल्ड के खिलाफ दर्ज सीबीआई केस, उसकी चल-अचल संपत्तियां, कंपनी की माली हालत और किन परिस्थितियों में एमओयू साइन किया गया, इसकी गहन जांच करके अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। साथ ही कमेटी कंपनी द्वारा राज्य सरकार के साथ धोखाधड़ी करने के मामले में डीजीपी को पत्र लिखकर एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश भी करेगी। सूत्रों के मुताबिक कमेटी ने केसी इंफ्राबिल्ड के खिलाफ दर्ज सीबीआई की एफआईआर की प्रति भी हासिल कर ली है।
पहले भी किया फर्जीवाड़ा
केसी इंफ्राबिल्ड द्वारा फर्जीवाड़ा करने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले कंपनी ने ग्रोवेल टे्रडिंग प्राइवेट लिमिटेड के नाम से एक और फर्जी कंपनी बनाई और नेपाल में होटल, कैसिनो में निवेश पर आकर्षक रिटर्न देने के नाम पर निवेशकों से दस करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम बटोर ली। केसी इंफ्राबिल्ड की तरह ग्रोवेल में भी विजय कुमार मिश्र का भाई विनय कुमार मिश्र निदेशक है। वहीं निवेशकों से रकम बटोरने का काम बतौर लीडर परवेज, रॉबिन अवस्थी और अरुण गौतम व अन्य के जिम्मे रहता है। सूत्रों की मानें तो ग्रोवेल के एक अन्य निदेशक अवनीश पांडे ने विजय मिश्र की कारगुजारियों से तंग आकर इस्तीफा दे दिया है.
पर्यटन मंत्री के निर्देश पर केसी इंफ्राबिल्ड प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ की गयी प्रारंभिक जांच में आरोप सही पाए गये हैं। कंपनी ने राज्य सरकार को गुमराह कर एमओयू किया है। इसकी विस्तृत जांच के लिए कमेटी का गठन किया जा रहा है जो कंपनी पर एफआईआर कराने की सिफारिश करेगी।
सी. इंदुमती, प्रबंध निदेशक, पर्यटन विभाग
फैक्ट फाइल
- 06 जनवरी 2017 को केनरा बैंक के जीएम ने सीबीआई में की शिकायत
- 28 मार्च 2017 को सीबीआई नई दिल्ली में कंपनी के खिलाफ केस दर्ज किया
- 12.38 करोड़ रुपये की आलमबाग के केनरा बैंक से धोखाधड़ी करने का है आरोप
- 1500 करोड़ रुपये निवेश कर आठ होटल बनाने का किया था समिट में एमओयू
- 2000 लोगों को रोजगार देने का भी कंपनी ने किया था एमओयू में वादा।