केजीएमयू ओपीडी में भी लगेगा नो अप्वाइंटमेंट का बोर्ड
- 9 से 10 हजार की ओपीडी रोज
-16 लाख 33 हजार मरीज पिछले वर्ष ओपीडी में -556 से अधिक फैकल्टी मेंबर -750 रेजीडेंट डॉक्टर -3500 मेडिकल, डेंटल व पैरामेडिकल स्टूडेंट -5 हजार से ज्यादा कर्मचारी - रोजाना हजारों मरीजों को बिना इलाज वापस करने की तैयारी -केजीएमयू प्रशासन ने लिया निर्णय, जल्द हो सकता है लागूLUCKNOW: केजीएमयू में आने वाले दिनों में ट्रॉमा सेंटर के साथ ही ओपीडी में भी मरीजों का दर्द बढ़ाने की तैयारी है। यूनिवर्सिटी ने तय किया है कि वह भी संजय गांधी पीजीआई और डॉ। राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट की तर्ज पर ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या सीमित करेगा। अगर ऐसा हुआ तो यहां अपने वाले हजारों मरीजों को रोज बिना इलाज के ही घर वापस लौटना पड़ेगा। गौरतलब है कि केजीएमयू में अधिकतर विभागों में रोज मरीजों की संख्या 250 से 400 तक होती है। वहीं पीजीआई में प्रति ओपीडी 40 और लोहिया में 50 मरीज देखे जाते हैं।
50 नए मरीज अधिकतमकेजीएमयू के कार्डियोलॉजी विभाग की ओर से हाल ही में हॉस्पिटल एडवाइजरी कमेटी के सामने प्रस्ताव रखा गया है कि संजय गांधी पीजीआई की भांति ही केजीएमयू में भी ओपीडी में सीमित मरीज देखे जाएं। इस पर कमेटी ने निर्णय लेते हुए कहा है कि ई हॉस्पिटल जल्द लागू होगा तो उसमें इसका प्राविधान किया जाएगा। लेकिन वर्तमान के लिए एचओडी खुद मरीजों की संख्या सीमित कर लें लेकिन इनकी संख्या पीजीआई से अधिक हो।
2 बजे तक देखे जाते हैं मरीज केजीएमयू में ओपीडी में मरीज देखने का समय दोपहर दो बजे तक है लेकिन बहुत से डॉक्टर मरीजों को शाम पांच से सात बजे तक देखते रहते हैं। अब इन विभागों में आने वाले मरीजों को दिक्कत होगी और वे बिना इलाज वापस होने को मजबूर होंगे। पीजीआई में नहीं मिलता अप्वाइंटमेंट संजय गांधी पीजीआई और लोहिया इंस्टीट्यूट में मरीजों की सीमित संख्या को ही अप्वाइंटमेंट मिलता है। ऑनलाइन सिस्टम होने से सीमित संख्या से अधिक मरीजों को उसके आगे की तारीख दी जाती है। अब कुछ ऐसा ही केजीएमयू में भी देखने को मिलेगा। हजारों मरीज होंगे वापसकेजीएमयू में रोज नौ से 10 हजार मरीज ओपीडी में दिखाने के लिए आते हैं। इनमें करीब तीन से चार हजार मरीज पुराने होते हैं। इन मरीजों में आसपास के कई जिलों से लेकर गोरखपुर से लेकर बनारस और नेपाल तक से मरीज आते हैं। ऐसे में मरीजों की संख्या सीमित होने पर हजारों मरीज रोज यहां से निराश होकर लौटेंगे।
कई डॉक्टर विरोध में केजीएमयू चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय की ओर से जारी मिनट्स के बाद कई विभागों में इसका विरोध शुरू हो गया है। कार्डियोलॉजी, गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी, सर्जरी, पीडियाट्रिक के कई डॉक्टरों की ओपीडी देर शाम तक चलती है और वे तभी ओपीडी छोड़ते हैं जब आखिरी मरीज देख लें। वहीं बहुत से डाक्टर दोपहर 12 बजे ही ओपीडी से भाग जाते हैं। ऐसे डॉक्टर ही अधिक मरीजों की संख्या का विरोध कर रहे हैं। जबकि अधिक मरीज देखने वाले डॉक्टर इस फरमान के विरोध में हैं। बाक्स नहीं चली इवनिंग ओपीडी कुछ वर्ष पहले मरीजों की अधिक संख्या को देखते हुए केजीएमयू प्रशासन ने इवनिंग ओपीडी चलाने का निर्णय लिया था। लेकिन यह शुरू नहीं हो सकी। अगर यह सुविधा शुरू हो जाती तो मरीजों को काफी फायदा मिलता।